आप सभी सोच रहे होंगे कि पत्रकारों के काम का ससुराल से क्या लेना देना? आज हम आपको एक ऐसे फ़र्ज़ी पत्रकार की दास्तान सुनाने जा रहे हैं जो ब्लैकमेल करने के चक्कर में अब जेल की हवा खाने को तैयार है। ससुराल यानी पुलिस थाना !!!

यह महाश्य अपने आपको किसी बड़े चैनल का कोई सीनियर पत्रकार समझते हैं। जब भी आप इनसे मिलेंगे तो यह खुद को ऐसा जाहिर करेंगे कि जैसे यह कोई सीनियर पत्रकार हैं जिनको शहर की सबसे ज़्यादा जानकारी है। पर ब्लैकमेलर ये एक नंबर के हैं। यह बात सब लोग जानते हैं। यूट्यूब पर चैनल चलाने और ब्लॉग पर खबरें लगाने से यह खुद को जाना माना रिपोटर समझते हैं।

यह महाश्य इससे पहले भी कई लोगों को ब्लैकमेल कर चुके हैं और इन पर कई मामले भी दर्ज हैं। लेकिन कुछ लोग बेशर्म होते हैं ना। इनको अपनी इज़्ज़त से ज़्यादा पैसा प्यारा होता है। अब आपको बताते हैं इनके पैसे प्रेम के बारे में।

आपको याद होगा कि हमने एक आर्टिकल में आपको बताया था कि कुछ लोग 200-500 रुपये में भी पीआर कर देते हैं??? नहीं याद तो हम बता देते हैं। इन महाश्य को पैसे से इतना प्यार है कि यह 200 रूपए में भी लोगों को खबरें लगवाने के वादा कर देते हैं और उनसे 200 रूपए लेकर भी फरार हो जाते हैं। जी हाँ… हम सब जानते हैं इस बारे में फिर भी हम ऐसे लोगों को अपने बीच पत्रकार का दर्जा दिए जा रहे हैं जो हमारे काम और प्रोफेशन को सरेआम 200 रूपए में बैच आया है।

अब बताते हैं इनके नए कारनामे के बारे में….
200 रूपए लेने वाले महाश्य जीरकपुर में एक दुकानदार के पास गए अपने एक साथी के साथ। दोनों ने दुकानदार को कहा कि आपके यहाँ गैरकानूनी काम चल रहा है। इसके बाद दोनों ने खुद को बड़े इलेक्ट्रॉनिक चैनल (3 चैनलों का नाम लिया गया) का पत्रकार बताया।

इसके बाद महाश्य ने दुकानदार से कहा कि यदि आप चाहते हैं कि आपकी ख़बर हम चैनल पर न चलाएं तो हमे 20 हज़ार रूपए दिए जाएं। जी सही पढ़ा आपने…. 200 रूपए में खबर लगवाने वाले महाश्य 20 हज़ार रूपए मांग रहे थे। दुकानदार ने डर के मारे इनको 10 हज़ार रूपए दे भी दिए। लेकिन अब आया कहानी में ट्विस्ट!!!

दुकानदार की दुकान में कैमरा लगा हुआ था और यह दोनों उस कमरे में कैप्चर हो गए। बन गया वीडियो पैसे लेते हुए। जारी भी हो गया।

अब दुकानदार ने कर दी पुलिस को शिकायत कि मुझे ब्लैकमेल किया जा रहा है और मुझसे 20 हज़ार रूपए मांगे गए। आजकल वैसे भी फ़र्ज़ी पत्रकारों का चलन कुछ ज़्यादा ही हो चुका है और ब्लैकमेल के मामले बढ़ते जा रहे हैं।

अब पुलिस और असली पत्रकारों ने ऐसे नकली और ब्लैकमेलर पत्रकारों पर नकेल कसने के लिए हाथ मिला लिए हैं। पुलिस ने यह विश्वास दिलाया है कि किसी भी पत्रकार को बख्शा नहीं जाएगा यदि उसके खिलाफ पक्के सबूत मिले।

अब महाश्य मारे-मारे फिर रहे हैं बड़े पत्रकारों से गुजारिश करते हुए कि मुझे बचा लो। इनको लगता है किसी ने सिखाया नहीं था कि खाना उतना खाओ जितना हज़म कर सको वार्ना पेट खराब भी हो जाता है। जब 200 वाला काम बढ़िया चल रहा था तो 20 हज़ार मांगने की क्या जरूरत पड़ी थी? बड़े चैनलों का नाम इस्तेमाल ही क्यों किया? किसने इनको हक्क दिया कि यह किसी प्रतिष्ठित संस्थान का नाम इस्तेमाल कर सकें। अब लगाएं चक्कर पुलिस के!!!

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