चण्डीगढ़
30 अक्टूबर 2022
दिव्या आज़ाद
आर्य समाज सेक्टर 7-बी का 64वां वार्षिक उत्सव आज संपन्न हो गया है। प्रवचन के दौरान वेदों के मर्मज्ञ विद्वान डॉ वीरेंद्र अलंकार ने कहा कि व्यक्ति का दायरा बढ़ने से वह महान होता है। जिसका दायरा विश्व हो तो वह व्यक्ति विश्व में महान बन जाता है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपनी पृष्ठभूमि में वेदों को लिया। वेद किसी विशेष स्थान, संप्रदाय, जाति आदि पर आधारित नहीं है बल्कि यह विश्व को साथ लेकर चलने की बात करता है। यह वसुधैव कुटुंबकम की भावना से परिपूर्ण है। आज हर व्यक्ति महर्षि दयानंद की बात को स्वीकार करता है। हर कोई वेद के बारे में जानना चाहता है। वेद हमें कहता है कि हमारा जीवन त्याग पूर्ण होना चाहिए। महर्षि दयानंद सरस्वती ने मूल अर्थ को पहचानने के लिए रास्ता दिखाया। ऋषि का अर्थ बुद्धि, तर्क, ज्ञान, विज्ञान, वेद आदि है। महर्षि दयानंद सरस्वती ने सही मार्ग पर चलने की राह दिखा दी है। अब व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह उस पर अमल करें। विद्वानों का संग ही तीर्थ स्थान होता है। प्रियंवदा वेदभारती ने अपने संबोधन में कहा कि घरों को स्वर्ग बनाना होगा। सत्पत्नियां ही धर्म का मूल कारण होती हैं। घर को स्वर्ग बनाने के लिए देवियों को आगे आना होगा। इसके लिए जरूरी है कि पंच महायज्ञ का पालन करना होगा। वेद मंत्र में गृहस्थियों को जिम्मेदारियां निभाने को कहा गया है। कर्तव्य का कभी भी त्याग नहीं करना चाहिए जीवन का सुख गृहस्थ में जाने से बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि घर का अर्थ कल्याण करने और सुख शांति की प्राप्ति के लिए होता है। स्वामी दयानंद जी कहा था कि उपदेशक -शिक्षक को समाज को सही दिशा देने का दायित्व है। शिक्षा का उद्देश्य है कि वह शिष्यों के व्यवहार को सही रखे। आचार्य चंद्रदेव ने कहा कि वेद वाणी पर सभी का समान अधिकार है। जिस प्रकार ड्योढ़ी पर रखा गया दीपक घर के अंदर और बाहर प्रकाश करता है। उसी प्रकार महिलाएं भी माता-पिता और सुसराल के घर को रोशन करती हैं। पति- पत्नी आपस में समर्पण भाग से सहयोग करने वाले होने चाहिए। आज बेटियां हर क्षेत्र में कार्य कर रही है। चारों वर्णों को वेद पढ़ने का पूर्ण अधिकार है। आचार्य विजयपाल शास्त्री ने बनकर सूरज चांद गगन में, मेरे राम के गीत गा कर तो देखो आदि भजनों से उपस्थित लोगों को आत्मविभोर कर दिया किये। इस मौके पर चंडीगढ़ पंचकूला और मोहाली से काफी संख्या में लोग मौजूद थे।