रमजान का महीना (मई 06 – जून 04 ,2019 )अल्लाह के नजदीक जाने के लिए दयाभाव, रोजे, सही रास्ते और परहेज रखने का समय होता है ।ईमान वाले को मानवीय मूल्यों, सत्कार्य/आचरण इत्यादि पर अडिग रहना होता है जो संपूर्ण मानव जाति के लिए आवश्यक है। रमजान प्रत्येक मुसलमान को असामाजिक गतिविधियों, हिंसा और आतंकवाद से परहेज रखने के लिए बाध्य करता है और इस महीने के दौरान इबादत मे मशगूल होने की ताकीद देता है। इस महीने में की गई इबादत के खास मायने व असर होते हैं जो इस कहावत से जाहिर है कि ‘रमजान के महीने में किए गए अच्छे कार्य अन्य 11 महीनों में किए गए 70 कार्यों के बराबर हैं और इस दौरान की गई एक नमाज 27 पुण्य कार्यों के बराबर है।’ रोजा रखना (16 से 17 घंटे प्रतिदिन औसत)अल्लाह के प्रति मोहब्बत को भी दर्शाता है। इसी तरह अफतारी एक दूसरे को परस्पर सहिष्णुता,सम्मान, भाईचारा, शांति और सौहार्द का संदेश देता है।रमजान में किसी भी प्रकार की हिंसा वर्जित है। रमादान का अंत जरूरतमंदों और समुदाय के लोगों में खाने पीने की वस्तुओं का आदान-प्रदान कर और एक दूसरे को शुभकामनाएं देकर होता है।हिंदुस्तान जो हिंदू -मुस्लिम भाईचारे और सौहार्द की परंपरा वाला देश है, में अनेकों उदाहरण देखे गए जब हिंदुओं ने रमजान में रोजे रखे जबकि अनेकों की संख्या मैं मुसलमानों ने स्वेच्छा से हिंदू त्योहारों में भाग लिया ।इसके अलावा सूफी-संतों की जियारतों पर जाकर श्रद्धासुमन पेश करना भी ऐसा ही उदाहरण है जो ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ को साबित करता है। इस भावना को रमजान के महीने में मजबूत करने की जरूरत है।

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