चंडीगढ़

24 जून 2017

दिव्या आज़ाद

हरियाणा कला परिषद द्वारा हरिनाद कार्यक्रम की श्रृंखला के अंतर्गत आज मिनी टैगोर थिएटर सेक्टर 18 चंडीगढ़ में सुश्री नेहा मिश्र ने अपने गायन से आज की संध्या को सजाया। नेहा ने अपने गायन का आरंभ राग यमन में गाइये गणपति जगवंदन से किया तत्पश्चात आपने रचित मारुबिहाग में एक भजन सुने री मैंने निर्बल के बल राम से किया।इसके बाद आपने ग़ज़ल शहरों शहरों गांव का आंगन याद आया प्रस्तुत कर  सुनने वालों की वाहवाही बटोरी।यह ग़ज़ल राग बिलावल पर आधारित थी।आपने अगली रचना राग  भीमपलासी में बहुत कमजोर थे लेकिन सहारे याद आते हैं अंधेरी रात के रौशन सितारे याद आते हैं प्रस्तुत की।कार्यक्रम को आगे बढ़ते हुए आपने ओ रे आंसू मत बहो व्यर्थ पीड़ा मत कहो प्रस्तुत की जो राग भटियार में रचित थी।उसके पश्चात आपने तुम जब कहते गीत सुनाओ मैं खोया से रह जाता हूँ प्रस्तुत किया। जाना था रास्ते में अगर छोड कर मुझे हमराह क्यों लिए था मेरे हमसफर मुझे   ग़ज़ल प्रस्तुत करने के बाद आपने कार्यक्रम का समापन राग भैरवी में रचित हरिनाम सुमिर सुखधाम जगत में जीवन दो दिन का भजन से किया जो स्वामी ब्रहमानंद जी द्वारा रचित थी।कुमारी नेहा मिश्र रामपुर सदारंग परंपरा के सुप्रसिद्ध गायक प्रोफ़ेसर सौभाग्य वर्धन बृहस्पति की शिष्या हैं।कार्यक्रम में हारमोनियम पर नेहा के गुरु डॉ सौभाग्य तथा सरबजीत शिबू और  तबले पर देवाशीष धर ने किया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी के अध्य्क्ष श्री कमल अरोरा तथा विशेष अतिथि के रूप में श्री उमेश कांत जी रहे उपस्थित रहे।अतिथियों का स्वागत हरियाणा कला परिषद के निदेशक श्री अजय सिंघल ने किया।

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