चंडीगढ़
1 मार्च 2017
दिव्या आज़ाद
सेक्टर 34 स्थित पंजाब सरकार के प्रतिष्ठित अदारे पनसप के प्रबंधन के रवैये से वहां के कर्मचारी परेशानी का सामना कर रहे हैं। प्रबंधन की मनमानी नीतियों के कारण उन्हें आर्थिक व मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ता है।
यह आरोप इस संस्थान के पूर्व अधिकारी सुशील सिंगला ने लगाए। उनकी सेवानिवृत्ति 31 अगस्त 2014 को होनी थी पर उन्हें सेवाविस्तार मिल गया था। सेवानिवृत्ति के बाद पनसप के कर्मचारियों को पेंशन तो मिलती नहीं पर उन्हें सेवानिवृत्ति लाभों में ग्रेच्युटी एवं लीव एनकैशमेंट मिलता है। सुशील सिंगला के रिटायर होने पर उनके सेवानिवृत्ति लाभ रोक लिए गए जिस पर वह अदालत में चले गए।
इस पर पिछले वर्ष मई 2016 को याचिका दायर की जिस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के माननीय जज ने बीती 23 जनवरी को अंतरिम फैसला सुनाया। जिसमें उन्होंने याची को उनके बनते सेवानिवृत्ति लाभ की राशि तत्काल जारी करने के आदेश दिए। साथ में पनसप प्रबंधन को यह भी निर्देश दिए कि वे एक शपथ पत्र देकर बताएं कि इस मामले के कौन कौन से सेवानिवृत्ति लाभ रोके गए और क्यों रोके गए। इस बाबत प्रबंधन को 25 अप्रैल तक विस्तृत शपथ पत्र जमा कराना होगा।
उन्होंने पनसप के पूर्व एमडी पीएस शेरगिल पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में इस संस्थान का माहौल बेहद बिगड़ गया व कर्मचारियों को तंग किया जाने लगा। उन्होंने कहा कि अधिकतर कर्मचारी कोर्ट कचहरी के चक्कर में पडऩे से बचते हैं इसलिए उन्हें न्याय भी नहीं मिल पाता परंतु उन्होंने (सुशील सिंगला ने) इस अन्याय के आगे झुकने से इनकार करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया जिस पर कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
उन्होंने कहा कि शोकॉज नोटिस को आड़ बनाकर उन्हें प्रताडि़त किया गया पंरतु उन्होंने संघर्ष करने की ठानी। उनका कहना है कि पनसप प्रबंधन के किसी भी अधिकारी की जेब से इस केस को लडऩे का पैसा खर्च नहीं हुआ बल्कि सारा पैसा सरकार का खर्च हुआ। यह सार्वजनिक संपदा का सरासर दुरुपयोग का मामला बनता है। इस पर भी अदालत को संज्ञान लेना चाहिए व बनती कार्रवाई करनी चाहिए।