चंडीगढ़

10 जनवरी 2018

दिव्या आज़ाद 

चंडीगढ़ भाजपा प्रभारी प्रभात झा को टंडन के बारे में लिखी गई चिट्ठी:

हरमोहन धवन
पूर्व केंद्रीय उड्डयन मंत्री,
 भारत सरकार
 11.01.2018
श्रीमान प्रभात झा साहब
             प्रभारी
     (चंडीगढ़  भाजपा)
नमस्कार,
मैंने आपके द्वारा एक अख़बार में दिया बयान पढ़ा है जिसमे मेरे ऊपर आपने कई टिप्पणियाँ की और आरोप भी लगाए हैं, जो कि बिल्कुल ही निराधार है. झा साहब  बहुत ही अच्छा होता अगर आप मेरा स्पस्टीकरण भी मांग लेते।
श्री संजय टंडन शुरू से ही पार्टी नेताओं को बदनाम करने  उनके  खिलाफ शिकायतें और  षड़यंत्र रचते रहे है उदाहरण के तौर पर:-
1. 2011 में कारपोरेशन चुनाव से पहले श्री श्याम जाजू जी की अध्यक्षता में एक मीटिंग हुई थी, जिसमे सर्व सम्मति  से सभी वार्ड प्रत्याशियों का चयन हुआ था. जो  कि अगले दिन मीडिया में भी छपा और प्रत्याशियों ने ख़ुशी में ढो ल नगाड़े बजाए और लड्डू भी बांटे थे। दुर्भांग्यपूर्ण श्री संजय टंडन जी ने बिना किसी को विश्वास में लिए मेरे 5 समर्थकों के टिकट काट दिए थे, नतीजा हम पार्टी चुनाव हार गए.
लेकिन संजय टंडन जी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया।
 2. श्री सत्यपाल जैन की अनुपस्थिति में उनके दफ्तर से सारा सामान बाहर फेंक दिया गया जिसमें उनकी माता जी की फोटो भी थी उन्होंने भी इस बारे में शिकायत  की थी .
लेकिन संजय जी पर कोई एक्शन नहीं लिया गया.
3. संजय टंडन जी ने अपने ही मीडिया प्रभारी से उन्हीं  की फेसबुक पर अपने ही सांसद श्रीमती किरण खेर के खिलाफ एक पोस्ट करवाई  और उन्हें बदनाम करने की कोशिश हुई बाद में इसको अखबार में भी छपवाया गया और बाद में  फेसबुक से हटा भी दिया गया लेकिन जो नुकसान होना था वह तो हो गया. बावजूद इसके उनपर आजतक कोई एक्शन नहीं हुआ.
 4. 2015 में श्रीमती हीरा नेगी को मेयर के चुनाव के लिए खड़ा किया गया और उन्हें भी हरवाया गया था. संजय जी पर आजतक कोई करवाई नहीं हुई .
 5. 2017  में  F&CC के चुनाव में श्रीमती हीरा नेगी को बहुमत होने के बावजूद हरवा दिया गया.
लेकिन संजय जी पर कोई भी एक्शन नहीं हुआ.
 6. झा साहब 21 नवंबर 2016 को श्रीमती सरोज पांडेय जी की अध्यक्षता में यूटी गेस्ट हाउस में कोर कमेटी की बैठक बुलाई गई थी। इसमें सांसद श्रीमती किरण खेर, श्री सत्यपाल जैन, श्री संजय टंडन सहित खुद मैं भी उपस्थित था। बैठक में नगर निगम चुनाव से सम्बन्धित सभी 26 वार्डों के प्रतियाशियों की सूची शार्ट लिस्ट की  गयी  थी। बैठक में श्रीमती सरोज पांडेय जी ने यह कहा था कि अगली बैठक दिल्ली में होगी।  उसी वक्त  वरिष्ठ नेता श्री सत्यपाल जैन जी  ने सरोज जी से कहा था कि दिल्ली की बैठक 24 नवंबर 2016 के बाद रखें, क्योंकि वह पार्टी  के एक केस की पैरवी में इलाहाबाद हाईकोर्ट में व्यस्त रहेंगे। इस पर सरोज पांडेय जी  ने सहमति भी जताई थी। इसके बावजूद हैरान करने वाली बात थी कि अचानक ही 23 नवंबर को देर शामकरीब 7 बजे सरोज जी  का फोन मेरे फ़ोन पर आया कि कल 24 नवंबर को दिल्ली  स्थित चंडीगढ़ कोर कमेटी की मीटिंग बुलाई गई है,जिसमें प्रत्याशियों के  नामों पर अंतिम निर्णय लिया जायेगा। इस पर मैंने हैरानी जताते हुए कहा था कि यह अचानक मीटिंग क्यों? क्योंकि सत्यपाल जैन जी पहले ही कह चुके थे कि वह 24 नवंबर के बाद ही उपलब्ध रहेंगे। वही मैं भी पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण उपस्थित न होने की बात कही थी. साथ ही यह आग्रह किया था कि मीटिंग को 24 की बजाय 25 या 26 नवंबर को ही रखा जाए। इस पर सरोज पांडेय जी ने कहा था कि इस बारे में आधे घंटे के बाद मैं आपको फोन करके बताऊंगी। इसके कुछ देर बाद सरोज जी का मुझे आया और उन्होंने कहा कि कल की मीटिंग को टाला तो नहीं जा सकता, अलबत्ता मैं अपने किसी नुमाइंदे को अपनी लिस्ट के साथ दिल्ली मीटिंग में भेज सकता हूँ। इसलिए ना चाहते हुए भी पार्टी हित में मैंने देवेंदर सिंह औलख को 6 नामों की लिस्ट के साथ दिल्ली भेजा था। जब दिल्ली में बैठक शुरू हुई तो औलख को मीटिंग में बैठने की अनुमति नहीं देकर मेरी और औलख की बेज्जती की गई थी। मीटिंग शुरू होते ही सांसद किरण खेर ने औलख को न बैठने देने पर आपत्ति जताते हुए मुझसे फोन पर खुद बात की थी और सरोज जी से भी  बात करवाई थी।  मैंने सरोज पांडेय जी से आग्रह किया था कि बहन जी ऐसा न करें और औलख को मीटिंग में बैठने देकर मेरा पक्ष रखने की अनुमति दें। मेरे बार-बार विनती करने के बावजूद वह नहीं मानीं । इस महत्वपूर्ण मीटिंग में जिसमें प्रत्याशियों का अंतिम निर्णय लेना था। उसमें न तो श्री सत्यपाल जैन जी  और न ही मैं खुद मौजूद था। सांसद श्रीमती किरण खेर ने भी मीटिंग में कई नामों की सिफारिश की थी, लेकिन उनकी भी एक न सुनी गई थी। सिर्फ चार को छोड़कर बाकि सभी 22 प्रत्याशियों का चयन संजय टंडन ने सरोज पांडेय जी  की मिलीभगत से एकतरफा फैसला करवा लिया। मुझे इस बात पर खेद है कि न तो आपने और न ही किसी अन्य बड़े नेता ने इस अन्याय की कोई सुनवाई की। इस पुरे घटनाक्रम से मैं बहुत ही आहत और दुखी था।यह भी सच है कि उस वक्त मैंने यह कहा था  कि “संजय टंडन जी  जीत गए, मगर पार्टी हार गई”।
झा साहब यह भी सच है कि उस वक्त मैंने कहा था कि जिस तरह से प्रत्याशियों का चयन हुआ है इस  तरह  पार्टी पांच से छह सीटें ही जीत पाएंगी। यह बात सिर्फ मैं ही नहीं शहर का पूरा मीडिया और खुफिया विभाग भी ऐसी रिपोर्टे दे रहा था, लेकिन  नगर निगम चुनाव में  भाजपा को अदभुत और प्रचंड बहुमत मिला। यह ख़ुशी की बात थी, लेकिन ये भारी बहुमत मोदी सुनामी की वजह से मिला न कि स्थानीय संगठन की वजह से।
7. झा साहब जहाँ तक आपका मेरे ऊपर नगर निगम चुनाव में पार्टी विरोधी काम करने का आरोप है। उस बारे में मुझे इतना ही कहना है कि चुनाव से पहले कोई ऐसी मीटिंग नहीं बुलाई गई, जिसमें  पार्टी नेताओं को विभिन्न वार्डों की जिम्मेदारी सौंपी गई हो। इसके बावजूद जहाँ कहीं भी मुझे बुलाया गया वहां मैं चुनाव प्रचार में गया और वहां पार्टी प्रत्याशियों की जीत हुई। मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप खुद निम्नलिखित लोगों से जानकारी लें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी पता चल सके:- जैसे  वार्ड नंबर-1 महेश इन्दर सिंह सिद्धू, वार्ड न. 3 से रवि कांत शर्मा, वार्ड न.4 से सुनीता धवन, वार्ड न.8 कंग, वार्ड न.9 से हरदीप सिंह, वार्ड न.12 शुक्ला, वार्ड न.14 कँवर राणा, वार्ड न.17 से वर्तमान मेयर आशा जसवाल,वार्ड न. 21 से देवेश मोदगिल, वार्ड न.24 से अनिल दुबे।
8. झा साहब 2014 के लोकसभा चुनाव के लिए मैंने भी चंडीगढ़ से टिकट माँगा था. कई केंद्रीय नेताओं ने उस समय मुझे कहा था के पार्टी ने चंडीगढ़ में 2 सर्वे करवाए हैं और इन  दोनों में ही मेरा नाम अव्वल नंबर पर है, लेकिन इसके बावजूद श्रीमती किरण खेर को टिकट दे दिया गया. जिसका सारे शहर में बहुत ही जबरदस्त विरोध हुआ था. मुझे भी इस बात का दुःख था लेकिन इसके बावजूद मैंने श्रीमती खेर की तन मन धन से मदद की, क्यूंकि मैं जानता था के मोदी जी को प्रधान मंत्री बनाने के लिए एक एक वोट का अपना महत्व है. चंडीगढ़ के गांव खुड्डा अली शेर में एक महापंचायत हुई थी जिसमें श्रीमती किरण  खेर, श्री सत्यपाल जैन, श्री संजय टंडन और खुद मैं भी मौजूद था. समस्त पंचायतों ने मेरे सर पर पगड़ी बाँधी और चुनाव में निर्णेय लेने का अधिकार दिया था. उस वक्त मैंने अपने सिर से पगड़ी उतार कर श्रीमती किरण खेर के सर पर रख दी और सारे पंचायत वालों से अपील की के मोदी जी को प्रधान मंत्री बनाने के लिए श्रीमती किरण खेर को चंडीगढ़ से सांसद चुनना बहुत ही जरुरी है. मैंने और मेरे साथियों ने तन मन धन से अपनी छोटी बहन श्रीमती किरण खेर को  जिताने की कोई कसर नहीं छोड़ी और वह परचंड बहुमत से जीती भी. इसके विपरीत श्री संजय टंडन श्रीमती किरण खेर को हारने मैं प्रयत्नशील रहे. झा जी आप इस बारे मैं श्री अजय जम्वाल और श्रीमती किरण खेर जी से पूछ सकते है कि श्री संजय टंडन का और मेरा उनको जिताने और हराने में किसका क्या रोल रहा हैं .
9. मेयर चुनाव में संजय टंडन की दादागिरी:- प्रभात झा जी आप 3 जनवरी को चंडीगढ़ आये थे और मेयर कंडिडेट के लिए पार्षद देवेश मोदगिल के नाम की घोषणा की थी। इसके बावजूद टंडन जी ने केंद्र के इस निर्णय को नकारते हुए श्रीमती आशा जसवाल को मेयर कंडिडेट के तौर पर मैदान में उतार दिया। झा साहब आपके और रामलाल जी के दबाव के बाद मोदगिल के नाम पर श्री टंडन जी जरूर सहमत हुए, लेकिन अपनी ही शर्तों पर। झा साहब टंडन जी ने अपने समर्थकों से देवेश मोदगिल पर सार्वजनिक तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए औऱ उन्होंने बार बार श्री मोदगिल पर अनुशासनहीनता के तीन बार भेजे गए नोटिस का जवाब न देने की बात दोहराते रहे। ये सारी बातेँ  टीवी और समाचार पत्रों में छपती रही। आखिरकार मिलीभगत और षड्यंत्र के तहत देवेश मोदगील से मांफीनामा लिखवाया गया और वादाखिलाफी करते हुए संजय जी ने इस मांफीनामा को वायरल किया और देर रात प्रेसनोट भी जारी कर दिया।
 आठ जनवरी को तमाम समाचार पत्रों के हेडलाइन मांफीनामा छपा। इससे पार्टी की खूब फजीहत हुई और पार्टी की छवि भी धूमिल हुई है। झा साहब मेरे उपरोक्त लिखे तथ्यों पर क्या आप अब भी चुप ही रहेंगे या श्री संजय टण्डन पर कोई कार्रवाई कर उन्हें अध्यक्ष पद से हटाएंगे भी?  या नहीं।
 प्रभात झा जी कुछ और भी बता दूँ:-
 लगभग 5 महीने पहले मै आपसे UT गेस्ट हाउस में मिला था और आपने मुझे कहा था की आप इस बारे में केंद्रीय नेताओं से बात करेंगे लेकिन आजतक आपने इस पर कोई भी करवाई नही की है. एक अख़बार में आपने मुझे आत्मनिरिक्षण की सलाह दी है. मैंने आपको सारे आरोपों का तथ्यों के आधार पर जवाब दे दिया है. झा साहब मुझे खेद है की जो व्यक्ति अपने पिता जी की वजह से जाना जाता हो और उनकी खुद की पहचान पार्टी अध्यक्ष होने की वजह से हो और जिसका चंडीगढ़ की राजनीती में कोई योगदान नही रहा हो वह व्यक्ति षड़यंत्र कर नेताओं को बदनाम करता रहा हो इसपर आप चुप है और कोई भी करवाई नही होती है.
झा साहब मैं जय प्रकाश नारायण जी के आंदोलन से प्रेरित होकर राजनीति में आया और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री चंद्रशेखर जी के साथ जुड़ गया था। राजनीति में हमें दो बातें सिखाई गईं थीं। एक तो जब आप विपक्ष में रहें तो जनता को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करें, दूसरी ये जब आप सत्ता में हों तो अपनी कलम की ताकत से जनहित में काम करें और मैं इन दोनों ही कसौटियों पर खरा उतरा। विपक्ष में रहते हुए मैंने आम आदमी के साथ-साथ गरीबों के लिए संघर्ष करते हुए 10 बार जेल गया, और जब वर्ष1989 में सत्ता में आया तब  सांसद और मंत्री बनने के बाद मैंने समाज के हर वर्ग गावों, कालोनियों, व्यापारियों, कर्मचारियों के अलावा हर वर्ग के लिए विकास कार्य किया, जो कि एक रिकॉर्ड है, और जनता  के दिलों दिमाग में आज भी ताज़ा है. मुझे खेद है के मैंने अपने 40 साल की राजनीतिक जीवन में ऐसी घटिया, छल, कपट और झूठ की राजनीति कभी भी नहीं देखी।
झा साहब मुझे मान सम्मान देना तो दूर की बात पिछले एक वर्ष से मुझे न तो कोर कमेटी की किसी भी बैठक में और न ही पार्टी के दूसरे अन्य कार्यक्रमों की सुचना न देकर मुझे अपमानित किया जा रहा है. आपने मेरे ऊपर जो अनुशासनत्मक कारवाई करने के संकेत दिए है . इस पर मुझे इतना ही कहना है की अगर मुझे पार्टी से निष्काषित करके पार्टी मजबूत होती है तो मुझे बहुत ही ख़ुशी होगी.
धन्यवाद्
भवदीय
(हरमोहन धवन)
प्रति 1 . श्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष
                  2 . श्री नरेंद्र मोदी जी, प्रधानमंत्री
                  3 . श्री रामलाल जी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री
                  4 . श्रीमती किरण खेर, सांसद
                  5 . श्री सत्यपाल जैन जी
                  6 . श्री दिनेश शर्मा, संगठन मंत्री

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