पंजाब में जनता के अरबों रूपये लूटने वाली कंपनी को फिर से डीएल/आरसी बनाने का काम दे दिए जाने का आरोप  

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सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. कमल सोई ने किया पर्दाफाश : डाटा लीक होने की संभावना भी जताई

चण्डीगढ़
14 दिसंबर 2019
दिव्या आज़ाद
पंजाब में पिछले आठ वर्षों से ड्राइविंग लाइसेंस व आरसी बनाने के काम में जिस कंपनी ने लूट मचा रखी थी, उसी को फिर से यह काम करने का टेंडर मिल गया है। यह खुलासा आज सामाजिक कार्यकर्ता व अंतराष्ट्रीय रोड सेफ्टी एक्सपर्ट डॉ. कमल सोई ने चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया के सामने किया।
उन्होंने बताया कि कि स्मार्टचिप नाम की यह कंपनी वर्ष 2011 से कांट्रेक्ट हासिल कर रही है व ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के 65 रुपये व आरसी बनाने के 136.5 रुपये वसूल करती है। जबकि केंद्रीय सरकार की कंपनी निक्सी (एनआईसीएसआई) यह दोनों काम महज 45 रुपये में करती आ रही है।
उन्होंने बताया कि इसमें मजे की बात यह है कि इतने वर्षों तक दो से तीन गुना रुपये ज्यादा वसूलने के बाद अब कंपनी ने जिस रेट पर ठेका हासिल किया है वह महज 32 रुपये  का है और इससे भी ज्यादा मजे की बात है कि यही कंपनी उत्तर प्रदेश में इस काम को सिर्फ 24 रुपये प्रति ड्राइविंग लाइसेंस व आरसी बनाने में कर रही है।
डॉ सोई, जो भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व एनजीओ राहत (द सेफ कम्युनिटी फाउंडेशन) के चेयरमैन भी हैं, ने कहा कि यह सारी लूट दिन दिहाड़े व सबकी आंखों के सामने हो रही है परंतु नेताओं व अधिकारियों का कंपनी के साथ इतना मजबूत नेक्सस है कि कोई कुछ नहीं कर पा रहा है व कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है और हालात यह है कि जिस कंपनी का कांट्रेक्ट 2018 में रद कर दिया गया उसके बावजूद वह अभी तक कार्यरत है और अब आगे भी उसे काम दे दिया गया है। इसके अलावा कंपनी द्वारा बरती जा रही अनियमितताओं के खिलाफ पंजाब के कई शहरों में न केवल एफआईआर दर्ज है बल्कि विजिलेंस की जांच भी चल रही है।
डॉ सोई ने बताया कि मैं पिछले कई सालों से इस बारे में बार बार प्रेस कांफ्रेस करके अथवा नेताओं, मंत्रियों व अधिकारियों से मिलकर इस धांधली को उठाते आ रहे हैं पर कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। पर अब कंपनी ने खुद ही 32 रुपये का रेट कोट करके असलियत सामने ला दी है, और इससे कई गंभीर सवाल भी पैदा हो रहे हैं।
उन्हंोंने आरोप लगाया कि इसी कंपनी को ठेका देने के लिए कई नियमों व शर्तों में भी ठील दी गई है या बदलाव किया गया है। उन्होने बताया कि अगर पंजाब में औसतन 15 लाख डीएल या आरसी प्रतिवर्ष बनते हैं तो इस हिसाब से इस कंपनी ने अब तक 165 करोड़ रुपये यानी डेढ़ अरब रुपये  से भी ज्यादा की जनता से लूट की है जो कि इससे वापिस लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि वे वे इस रुपये की रिकवरी के लिए  मीडिया के सामने आए हैं और इसके बाद कोर्ट व सीबीआई का भी दरवाजा खटखटाएंगे। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो पंजाब सरकार के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसे नहीं हैं वही दूसरी तरफ ऐसी लूट होने दी जा रही है जो कि सरासर गलत है।
उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पिछले कुछ ही महीनों में पांच से छह एसटीसी भी बदल दिए गए जिससे मामले की संगीनता और भी गहरी हो जाती है।

डाटा लीक होने की भी संभावना जताई डॉ. सोई ने
 
डॉ. सोई ने इसके साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण मुद्दा उठाते हुए कहा कि आए दिन गूगल, फेसबुक व वाट्सएप द्वारा आम जनता की निजी जानकारियों से जुड़ा डाटा लीक करने की खबरें व आशंकाएं जताई  जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस दायरे में स्मार्टचिप कंपनी भी आती है क्योंकि यह विदेशी कंपनी मैसर्स मोर्फो की सबसिडरी है। जिसके पास स्मार्ट चिप कंपनी की 97 प्रतिशत शेयर होल्डिंग है। उन्होंने कहा कि देश में जहां जहां भी इस कंपनी को काम मिला है वहां जनता के निजता के अधिकार के हनन की प्रबल संभावना है। कंपनी जनता के सारे निजी डाटा को किसी भी अन्य कंपनी के साथ शेयर कर सकती है। इसे रोकने का कोई प्रावधान या प्रबंध नहीं है। पंजाब में तो यह मसला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़़ा है क्योंकि पंजाब की सारी सीमा पाकिस्तान जैसे देश के साथ जुड़ी हुई है। 

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