“बच्चों के प्रति ज़िम्मेदारी, मां बाप की समझदारी”

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सूर्य की किरणों के निकलने के साथ साथ ज़िंदगी भी दौड़ने लगती है। नई सुबह हर एक के जीवन में एक आशा की किरण ले कर उदय होती है और फिर वह चाहे मानस हो, पशु हो यां पक्षी घरों से अपने अपने रास्तों पर निकल पड़ते हैं । हर एक को तलाश है, कईयों को काम पर जाने की, कईयों को काम ढूंढने की, कईयों को सैर करने की, कईयों को मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, गिरजाघरों में जाने की , कईयों को स्कूल कालेज या ट्यूशन पर जाने की ओर कइयों को हस्पतालों में जाकर इलाज़ करवाने की बस हर कोई जीवन की भागदौड़ में व्यस्त हो कर रह जाता है। सड़कों पर वाहनों ओर रेल की पटरियों पर रेलगाड़ियों की मदद से लाखों लोग समय पर अपने कामों को ठीक समय पर कर पाते हैं । कामयाब होने के लिए बिस्तरों से बाहर निकलना पड़ता है, शरीर को हिलाना पड़ता है और घरों से निकलकर काम पर जाना पड़ता है लेकिन जिन्होंने उठना ही नहीं, नशे करके घरों में या पार्कों में पड़े रहना है उनके लिए सूर्य की किरणें भी एक अंधेरे  के समान हैं और समाज मे आज ऐसे युवाओं की गिनती दिन प्रतिदिन बड़ रही है जिसकी रोकथाम के लिए उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।
 शिक्षा के विस्तार से युवाओं की प्रगृति के लिए अनेक क्षेत्र नज़र आने लगे हैं , पढ़लिखकर युवा अपने पैरों पर खड़ा हो सकते हैं। चाहे मां बाप अधिक पढ़े लिखे हों या कम पढ़े लिखे हों लेकिन यह उनकी इच्छा होती है की उनके बच्चे पढ़ लिख कर अच्छे बनें, तरक्की करें और अपने घर परिवार और देश का नाम रौशन करें। बच्चों का भविष्य संवारने में कोई भी माता पिता कोई कसर नहीं छोड़ता ओर अपनी हैसियत से ऊपर उठ कर वो अपने बच्चों को अच्छे स्कूल, कालेज या संस्था से शिक्षा दिलवाने की कोशिश करते हैं इसके लिए फिर चाहे उनको अपने बच्चों को दूसरे शहरों या विदेशों में ही क्यों ना भेजना पड़े।
 बच्चों को उचित शिक्षा दिलवाने के लिए पैसा खर्च करना, दूसरे शहरों या विदेश में पढ़ने के लिए भेजना ही पर्याप्त नहीं है। बच्चों के माता पिता को अपने बच्चों के ऊपर नज़र बनाये रखने की भी अति आवश्यकता है। आपको पता होना चाहिए की आप का बच्चा ( लड़का/लड़की) जहां रह रहा है वहां उसकी संगत कैसे लोगों के साथ है, वह पढ़ाई में लगा कर करता है की नहीं, वह ठीक समय पर पढ़ने जाता है की नहीं। बच्चों के स्कूल, कालेज या कोचिंग संस्थाओं के अध्यापकों से सम्पर्क बनाए रखने की आवश्यकता है जिससे बच्चे के रोज़ के कामकाज/पढ़ाई के बारे में पता चल सके
की वह किस दिशा की ओर बढ़ रहा है। बच्चों ने कोई न कोई पढ़ाई के वास्ते नई वस्तुओं को खरीदने की फरमाइश की ओर आपने बिना सोचे समझे, बिना जाने की बच्चों को पैसे की वास्तव में आवश्यकता है भी के नही पैसे भेजने आरम्भ कर दिए तो इसके लिए बच्चों से ज़्यादा आप ज़िम्मेदार होंगे क्योंकि आपका भेजा हुआ पैसा खुद आप के बच्चे को व्यर्थ के खर्चा करने की आदत डालेगा ओर हो सकता है वह नशा आदी भी करने लगे।
 इसमें कहीं भी छिपा नहीं की देश के कितने ही राज्यों में नशा खोरी की आदत में कितने ही युवा लिपित हो चुके हैं और अपनी ज़िंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। अगर समय रहते इनको ना रोक गया तो यह खुद तो अपना जीवन बर्बाद करेंगे ही ओर इसके साथ साथ अपने घर परिवार वालों के जीवन को भी नरक बना के रख देंगे। माता पिता को चाहिए की वह अपने बच्चों को नशा करने से रोकें ओर उनका नशा मुक्त केंद्रों से शीघ्र अति शीघ्र इलाज़ करवाएं।
इसमें कोई भी संदेह नहीं की राज्य सरकारों व केंद्रीय सरकार को नशा करने व इनको नशे का समान उपलब्ध करवाने वालों पर कड़े कदम उठाने चाहियें ओर विदेशों से बार्डर सीमा के रास्ते चरस, अफीम ,गांजा ओर हिरोईन की तस्करी को रोकने के लिए उचित प्रबंध करवाएं जिससे यह नशे का समान देश में ना आ पाए।
 केवल यह कह देने से की बेरोज़गारी के कारण युवा नशे की तरफ अग्रसर हो रहा है तो इससे आप अपनी ज़िम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते। माता पिता बच्चों के प्रति अपनी अनदेखी को दूसरों के ऊपर नहीं थोप सकते। बच्चे आकाश से नहीं गिरे, आपने ही इनको संसार में लाया है और उनको पढ़ाना लिखाना ओर अपने पैरों पर खड़ा करना भी आपकी ही ज़िम्मेदारी है। बच्चों में अच्छे संस्कार भरना, उनको गलती करने पर टोकना, उनका सही मार्ग दर्शन करना ही हर मां बाप की जिम्मेवारी है। केवल बच्चों को उचित सहूलतें उपलब्ध करवाने से यह उन पर अधिक पैसा खर्च करने से बच्चों का भविष्य नहीं सँवरता। बच्चों के भविष्य संवारने के लिए बच्चों के लिए समय निकालना पड़ता है, बच्चों से मित्रता पूर्वक सम्बन्ध बनाना पड़ता है ताकि वे आप से  निसंकोच हो कर आपको अपनी समस्या बता सकें जिससे उसका समाधान हो सके। अगर आप बच्चों को समय नहीं दे पाएँगे तो फिर वह अपनी समस्याओं को ना तो आपको बता पाएंगे और न ही किसी ओर से इसका समाधान ही ढूंढ पाएंगे। ऐसे में बच्चे मानसिकता का शिकार हो जाते हैं और फिर नशे जैसी गलत आदतों का शिकार बन बैठते हैं।
अगर युवा पीढ़ी के माता पिता बच्चों के प्रति सचेत रहें तो काफी हद तक युवाओं को नशा मुक्त रखा जा सकता है। अब ज़रूरत है माँ बाप को अपनी ज़िम्मेदारी समझने की।
बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़।

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