आज हमारे एक पत्रकार साथी को सच सामने लाने के लिए गिरफ्तार किया गया है। इसलिए आज का इशारों इशारों में कुछ पत्रकारों के नाम लेकर लिखा जाएगा यह हमारी अपनी सोच, राय व कुछ फैक्ट्स पर आधारित होगा।
कल दिल्ली पुलिस द्वारा हमारे पत्रकार साथी मनदीप पुनिया व धर्मेंद्र सिंह को पुलिस हिरासत में लिया गया। उनकी गलती शायद इतनी थी की वे सच्चाई से अपना काम कर रहे थे। धर्मेंद्र को अंडरटेकिंग पर साइन करवा कर छोड़ दिया गया लेकिन मनदीप को आज कोर्ट में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। रविवार को मिली रिपोर्ट्स के अनुसार डिफेंस लॉयर की गैरमौजूदगी में पत्रकार मनदीप को कोर्ट में पेश करके न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। लॉयर के मुताबिक उन्हें बताया गया था कि 2 बजे पेश किया जाएगा लेकिन उससे पहले ही पेश कर दिया गया।
इससे पहले कुछ अन्य पत्रकारों पर भी मामले दर्ज किए गए हैं जिनमें राजदीप सरदेसाई,मृणल पांडेय, परेश नाथ, अनंत नाथ और विनोद के जोस शामिल हैं। इन सभी पर 26 जनवरी को हुई ट्रेक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा पर की गई रिपोर्टिंग के लिए मामला दर्ज किया गया है। दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि इन्होंने 26 जनवरी को एक आंदोलनकारी किसान की मौत की गलत खबर चला कर लोगों को गुमराह किया है।
लेकिन वहीं 26 जनवरी को हुई हिंसा के बारे में जब गोदी मीडिया के बड़े चैनलों ने दिखाया कि लाल किले पर तिरंगे को उतार कर धार्मिक झंडे लगाए गए, जबकि ऐसा कुछ नहीं हुआ था, उन चैंनलों व पत्रकारों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।
इसके साथ ही रैली में शामिल हुए दंगाईयों ने उस दिन नारे लगाए कि दिल्ली पुलिस लठ चलाओ हम तुम्हारे साथ हैं, जबकि दिल्ली पुलिस आराम से खड़ी थी, उनको उकसाया जा रहा था। वे दंगाई थे न कि किसान। किसान शांतिपूर्वक खड़े थे, उन पर पत्थर, लाठियां चली। इतना ही नहीं एक प्रदर्शनकारी ने पुलिस वाले (एसएचओ) को तलवार भी मार दी लेकिन उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। किसानों व पत्रकारों को ढूंढ- ढूंढ कर हिरासत में लिया जा रहा या मामले दर्ज किए जा रहे हैं।
आखिर क्यों हैं ये डबल स्टैण्डर्ड कि गोदी मीडिया बोले, लिखे या दिखाए तो सही लेकिन कोई और पत्रकार करके माफ़ी भी मांग ले तो गलत। जिन दंगाईयों ने 26 जनवरी को हिंसा की और पुलिस को मारा या पब्लिक प्रॉपर्टी को नुक्सान पहुँचाया उनके खिलाफ कुछ भी नहीं किया गया।
इस और भी ध्यान देने की जरुरत है कि जो पत्रकार केवल अपना काम करने की कोशिश कर रहे हैं, उनको इस प्रकार से परेशान किया जा रहा है और जो लोग हिंसा भड़का रहे हैं या जो बड़े चैनल गलत रिपोर्टिंग करके जनता को गुमराह करके भड़का रहे हैं, उनके खिलाफ कुछ नहीं हुआ!