चण्डीगढ़
11 अप्रैल 2018
दिव्या आज़ाद
प्राचीन कला केन्द्र के नियमित मासिक बैठकों की श्रृंखला में 245 वीं कड़ी में आज 11 अप्रैल को चण्डीगढ़ के टैगोर थियेटर में गोवा से आई युवा एवं प्रतिभाशाली नृत्यांगना डाॅ. क्षितिजा ने मंच पर अपनी प्रस्तुति देकर एक यादगारी शाम को संजोया । आज के कार्यक्रम में केन्द्र के चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा,रजिस्ट्ार डाॅ.शोभा कौसर,सचिव श्री सजल कौसर एवं अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित थे ।
डाॅ.क्षितिजा एक सधी हुई भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं इन्होंने अल्पायु से नृत्य की शिक्षा लेनी प्रारंभ की। इन्होंने नृत्य की शिक्षा गुरू पद्मभूषण डाॅ.कनक रेले,गुरू थगांमनी नागार्जुन,डाॅ.अम्बिका विश्वानाथन से प्रात की। अपनी प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के साथ-साथ क्षितिजा की नृत्य एवं अभिनय पर मजबूत पकड़ है। क्षितिजा ने नृत्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।
अपने कार्यक्रम की शुरूआत क्षितिजा ने वर्णम् से की जिसमें इन्होंने राग शंकवर्णम् में निबद्ध रचना पर नृत्य एवं भाव से सजी प्रस्तुति प्रस्तुत की। उपरांत आचार्य वल्लभाचार्य द्वारा रचित मधुराष्टकम प्रस्तुत किया जिसमें उन्होंने भगवान कृष्ण की विभिन्न लीलाओं की सुंदर प्रस्तुतियां पेश की। जिसमें माखन चोरी एवं अन्य छोटी-छोटी लीलाओं का सुंदर चित्रण नृत्य द्वारा प्रस्तुत करके खूब तालियां बटोरी कार्यक्रम के अगले भाग में क्षितिजा ने भरतनाट्यम नृत्य में विशेष स्थान रखने वाले पदम को प्रस्तुत किया एवं अपनी अभिनय क्षमता का बखूबी परिचय दिया
कार्यक्रम का समापन क्षितिजा ने पारम्परिक तिल्लाना से किया जो कि शुद्ध नृत्य भी कहा जाता है। इसमें क्षितिजा ने अपने बेहतरीन भाव,अभिनय,ताल एवं नृत्य पर मजबूत पकड़ को बखूबी दर्शाया।
कार्यक्रम के अंत में केन्द्र के चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा,रजिस्ट्ार डाॅ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया।