दीवाली की छुट्टियां खत्म हो चुकी हैं और अब सब बैठ कर हिसाब लगाने में लगे हैं कि किसने कितने कमाए और किसने कितने गंवाए।
लेकिन हम आपको रिपोर्ट देने जा रहे हैं कि इस बार मीडिया में भरे पड़े ब्लैकमेलरों का क्या हाल रहा।
जैसा कि सबको पता है कि बीते दिनों मीडिया में भरे पड़े नकली पत्रकारों और ब्लैकमेलरों की पोल खुली थी और उन पर किस प्रकार पुलिस ने शिकंजा कसा था। इसके चलते ही दीवाली पर होने वाली कमाई पर भी बस जैसे नज़र ही लग गई। ब्लैकमेलर और नकली पत्रकार जिनको उम्मीद थी कि दीवाली पर अच्छी कमाई करेंगे, उनके सपने चूर-चूर हो गए।
कुछ साल पहले अच्छे चैंनलों व अखबारों के पत्रकारों और कैमरा पर्सन को सरेआम मिठाई की दुकानों पर ब्लैकमेलिंग करते हुए पकड़ा गया था। उसके बाद से सब पत्रकार संभल कर ये काम करने लगे थे। लेकिन जब से नकली पत्रकार मीडिया में शामिल हुए हैं उन्होंने इस काम को एक बार फिर खुलेआम शुरू कर दिया था।
कोई एड का नाम लेकर पैसे लेकर फरार हो जाता था और उसके बाद नज़र नहीं आता था। कोई किसी न किसी को ब्लैकमेल करके पैसे ऐंठ लेता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हो पाया। इसकी वजह???? सब जानते हैं।
जहाँ मीडिया का नाम लेकर लोग पुलिस के सामने रॉब चलाते हुए नज़र आते थे वहीं अब ये हाल हो चुका है कि पुलिस ने गलत करने वालों को बख्शना बंद कर दिया है चाहे फिर वो कोई मीडिया वाला ही क्यों न हो। गलत है तो गलत है। पोस्ट और प्रोफेशन से उस बात का कोई लेना देना नहीं।
हमारे सामने ही है कि मीडिया का नाम इस्तेमाल कर ब्लैकमेल करने वाले कुछ लोग ताज़ा-ताज़ा जेल की हवा खा कर आए हैं। अब भाई बाकियों को भी डर तो लगा ही होगा कि कहीं पोल न खुल जाए हमारी। पोल बचाए रखने के डर ने जेब खाली ही रहने दी इस बार।
कोई इसके बाद भी इस दीवाली थोड़ा- बहुत माल इधर-उधर कर गया हो तो उसको टैलेंटेड ही कहना पड़ेगा!
Happy diwali doesnt seem happy for all then