एक लंबे अरसे के बाद हम फिर हाज़िर हैं लेकर आपका पसंदीदा कॉलम ‘इशारों इशारों में’। तकरीबन एक साल बाद हम फिर से इस कॉलम को जारी करेंगे। मेरे पापा के देहांत की और ज़िंदगी की उलझनों व परेशानियों की वजह से इस कॉलम को होल्ड करना पड़ा था। उम्मीद करते हैं आज का आर्टिकल भी आपको पहले की तरह ही पसंद आएगा।

आज हम बात करने वाले हैं कुछ ऐसे पत्रकारों व स्वयंभु पत्रकारों के बारे में जिनका यह फ़ेवरेट डायलॉग है ‘किसने करवाया?’

यदि आपको यह सुनकर समझ नहीं आया है तो हम विस्तार से समझाते हैं। कुछ पत्रकारों व स्वयंभु पत्रकारों को अपना काम करने से ज़्यादा इस बात में दिलचस्पी रहती है कि शहर में कौन सा इवेंट/प्रेस कॉन्फ्रेंस हो रही है और वह किसने करवाई है। अब आप पूछेंगे ऐसा क्यों? क्योंकि सभी जगह उन्हें बुलाया नहीं जाता और ऐसा होने पर उनका दूसरे पत्रकारों से (जिन्हें बुलाया गया था) हर समय यही सवाल रहता है ‘किसका इवेंट था? किसने करवाया?’

जैसा कि आप सब जानते हैं ज़माना डिजिटल है और हर किसी को आदत है फ़ोटो या वीडियो क्लिक करने की। अब इवेंट में जाकर आप फ़ोटो क्लिक करें और जैसे ही उसे अपने स्टेटस या सोशल मीडिया पर डालते हैं, तभी मैसेज बज जाता है ‘किसका इवेंट था? किसने करवाया? हू वॉज द पीआर?’

अगर इवेंट किसी सेलेब्रिटी का हो या उस इवेंट में कोई अच्छा गिफ्ट मिला हो तो यह पता करते ही सीधा पीआर तक फ़ोन पहुंच जाता है कि अच्छा आपने इवेंट करवाया, हमें तो बुलाया नहीं। अच्छे इवेंट में आप बुलाते नहीं हो। दूसरों को आप ज़्यादा प्रेफरेंस देते हो। अगली बार देखना आप, हम बताते हैं।

कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो बदला लेने के लिए दूसरे पत्रकारों को पीआर के ख़िलाफ़ भड़काना शुरू कर देते हैं। अब हमारी यही टिप्पणी रहेगी कि बहुत से ऐसे पीआर हैं जो मुझे भी नहीं बुलाते और उससे मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। न मेरा काम रुका न मेरी ज़िंदगी। आज भी मेरी न्यूज़ वेबसाइट शहर की नमी वेबसाइट्स में गिनी जाती है, चाहे कोई बुलाए या न बुलाए। आज तक मैंने कभी किसी को इस तरह मैसेज करके या कॉल करके पूछा नहीं कि किसका इवेंट था या किसी पीआर को कहा नहीं कि आप बुलाते नहीं। कुछ पत्रकार व स्वयंभु पत्रकार यह भूल जाते हैं कि हर प्रोफेशन के कुछ तौर तरीके होते हैं।

एक पत्रकार होने के नाते आपको अपनी डिग्निटी को बनाकर चलना चाहिए। इस प्रकार इवेंट में न बुलाए जाने पर मुद्दा बनाना या गिफ्ट न मिलने पर गुस्सा होना, यह सब आपकी अपनी इज़्ज़त के साथ-साथ आपके प्रोफेशन की भी इज़्ज़त को ख़राब कर रहा है। अब जो खुद से ही स्वयंभु पत्रकार बन बैठे हैं, उनको भी इतना तो मान रखना चाहिए कि इस प्रोफेशन की इज़्ज़त ख़राब न करें।

एक कोट है कि ‘डोंट गो व्हेयर यू आर नॉट इन्वाइटेड’। जहां आपको बुलाया न जाए वहां न जाएं। लेकिन चंडीगढ़ मीडिया में कुछ पत्रकारों व स्वयंभु पत्रकारों ने केवल अपने स्वार्थ के लिए अपने साथ-साथ प्रोफेशन को भी बदनाम कर दिया है।

कोई आपको नहीं बुलाता, आप मत जाएं, दोबारा कभी बुलाए तो अपने अनुसार चुनकर जाएं, ख़बर मत लगाएं। लेकिन यह क्या तरीका हुआ कि इवेंट में जाने के लिए आप भीख मांगकर इनविटेशन मंगा रहे हैं। कुछ तो शर्म होनी चाहिए!

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