दिनचर्या करते ईश्वर ध्यान से,पूरे परिपक्व हैं ज्ञान से,सात्विक है खान- पान,निराली है इनकी शान,मिलकर आता मानसिक बल,जीवन हो जाता प्रफुल्ल,
महापुरुष है श्रीराव जी।लंबे समय चलता स्वाध्याय,
गहराई में उतर मोती लाए,
हर बात को निपुणता से रखते हैंअसंभव को संभव कर सकते हैं,पकड़ है इनकी पूरी भाषा पर,समाज को देने की अभिलाषा कर,महापुरुष है श्रीराव जी।अथाह है इनका बौद्धिक भंडार,परिपूर्ण हैं सोलह संस्कार ,घटना का हो जाता है पूर्वाभास,नहीं होते कभी हताश व निराश,मन से रहते हैं बड़े शांत,व्यक्तित्व से है कांत,महापुरुष है श्रीराव जी।छपते पत्र – पत्रिकाओं में शोधपूरण लेख,कार्य करते समाज के लिए नेक,संस्कृति और इतिहास का किया संरक्षण,कहाए इसलिए संस्कृति रत्न,मानव मूल्यों के लिए प्रयत्नशील,मानवता में अध्यात्म लाने को क्रियाशील,महापुरुष है श्रीराव जी।इनकी पुस्तकों पर जारी अनुसंधान,बड़ा रहे इनका सम्मान ,हर लेख है हितकारी,साबित होते कल्याणकारी,जागृत करते सांस्कृतिक चेतना,समस्याओं से जूझते मानव के लिए प्रेरणा,महापुरुष है श्रीराव जी।उत्साही जनों के हैं मागदर्शक,भूले भटकों के हैं पथ प्रदर्शक,समाज का कर रहे हैं सुधार,इनका है सादा जीवन उच्च विचार,चेहरे पर दिखता नूर,
साक्षातकार ईश्वर से है जरूर,
महापुरुष है श्रीराव जी।
सब लोगों का करते भला,
बहुमूल्य इनकी हर सलाह,
सामाजिक भलाई में आगे
सभी अवार्ड से नवाजे,
साधारण नहीं विशेष है पुरुष,
तभी तो कहाते महापुरुष,
महापुरुष है श्रीराव जी।
– डॉ. विनोद कुमार शर्मा, चंडीगढ़