पेटू शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में एक ऐसे व्यक्ति की तस्वीर बन जाती है जिसे खाने से बहुत प्यार हो आजकल के ट्रेंड में कहें तो “फूडी”। आज हम आपको चंडीगढ़ मीडिया के कुछ पेटू मियां के बारे में बताने जा रहे हैं। पेटू मियां अकसर हर मीडिया संस्थान में पाये जाते हैं। इन पेटू मियां को खाने से इतना प्यार होता है कि यह खाना खाने के लिए कहीं भी कभी भी पहुंच जाते हैं। यहां तक कि अपने सह-कर्मी को मिली कॉन्फ्रेंस में भी ये बिना बुलाये और बिना बताए उनसे पहले पहुंच जाते हैं।
ज्यादातर इनके सह-कर्मियों को पी.आर. के सामने शर्मिंदा होना पड़ता है क्योंकि एक ही मीडिया संस्थान से 3-4 लोगों की एंट्री हो जाती है। इसके चलते कई पेटू मियां तो एंट्री करने से भी कतराते हैं। इन्हें बस इंतेज़ार होता है तो खाना शुरू होने का। खाने का स्टॉल खुलते ही पेटू मियां सबसे पहले पहुंचते हैं और कई बार तो दूसरों से पहले ही खाना खा कर वहां से रफू-चक्कर भी हो जाते हैं। कई बार देखा गया है कि पेटू मियां को जैसे ही पता चलता है कि कॉन्फ्रेंस में खाना नहीं मिलने वाला है वे वहां से मुंह छुपा कर भागते दिखाई देते हैं। ऐसा कई सालों से चला आ रहा है और ज़्यादातर हर मीडिया संस्थान में एक पेटू मियां मिल ही जाते हैं। इनका ओहदा या संस्थान चाहे बदल जाए पर पेटू होने की आदत नहीं जाती। कुछ मियां पेटू तो इस प्रकार से खाना खाते हैं कि कमीज़ और जूते भी साथ खाने का स्वाद लेते पाए जाते हैं। इनका पेट चाहे खराब हो जाए और ऑफिस के समय में ये शौचालय में ही बैठ कर समय बिताएं पर खाने की आदत कभी नहीं छोड़ते। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ऐसे कई मियां पेटू सच में खाते-खाते और बैठे-बैठे दिखने में भी पेटू यानि तोंद निकले हो चुके हैं।
इनका एक ही मंत्रा है: खाएंगे तब तक सांस है जब तक!