आज बात करते हैं उन लोगों की जिनको यह लगता है कि आज वे जिस पोस्ट/पोजिशन पर हैं वह हमेशा कायम रहेगी। लेकिन वे यह भूल गए हैं कि नौकरी किसी की भी कभी भी जा सकती है, केवल मालिक ही हैं जो सदा टिकते हैं वर्कर नहीं।

अब एक अख़बार में काम करने वाले ब्यूरो चीफ को सच इतना बुरा लग गया कि उन्होंने हमारी खबरें ही लगानी बंद कर दी हैं। यहां तक कि उन्होंने हमारी सिफ़ारिश करने वालों तक को धमकी दे दी है कि यदि किसी ने उसकी ख़बर भेजी तो तुम्हें भी ब्लैकलिस्ट कर दूंगा। महोदय को कोई बताए कि वह सदा तो एक ही पद पर नहीं रहने वाले हैं तो इतना गुरूर किस बात का। साथ ही पहले खुद गलत काम नहीं करना चाहिए था तो नौबत यहां तक आती ही नहीं।

अब बात करते हैं ऐसे ही कुछ और लोगों की जो अपने पद का नाजायज़ फायदा उठाते हैं। चंडीगढ़ मीडिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनको लगता है कि यदि आज उनके पास कोई पद/पोस्ट है तो वे कुछ भी कर सकते हैं। फिर चाहे वह दूसरों को नीचा दिखाना हो, दूसरों को कम समझना हो या फिर किसी का हक मारना हो। उन्हें लगता है कि उनका पद सदा के लिए रहने वाला है।

सब जानते हैं कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता। वैसे ही आज अगर आप किसी अच्छी पोस्ट पर हैं तो शायद कल न भी रहें। या फिर शायद उसे ऊपर की पोस्ट पर चले जाएं या क्या पता नीचे भी गिर सकते हैं। ऐसे में अपनी फील्ड के लोगों को अपने से कम आंकना आपको आगे जाकर भारी भी पड़ सकता है।

यूं तो मीडिया को नेटवर्किंग के लिए जाना जाता है लेकिन यहां बहुत ही कम ऐसे लोग हैं जो एक दूसरे की मदद करते हैं। ज़्यादातर लोग एक दूसरे को नीचे गिराने में या आगे बढ़ने से रोकने में ही व्यस्त रहते हैं।

यदि कोई आगे बढ़ता नज़र आये तो उसको रोकने वालों की लाइन पहले लग जाती है। सबसे हैरानी की बात यहां यह है कि ऐसा वह लोग करते हैं जो खुद पहले से ही अच्छे पदों पर काम कर रहे होते हैं।

ज़्यादा विस्तार में न जाते हुए हम यही कहना चाहेंगे कि संस्थान चाहे कोई भी हो उसके सिर्फ मालिक ही सदा के लिए होते हैं, वर्कर यानी पत्रकार (चाहे किसी भी पोस्ट पर हो) बदलते रहते हैं। नौकरी किसी की हमेशा के लिए नहीं रहती है। इसलिए दूसरों के रास्ते का कांटा बनने से अच्छा एक दूसरे का सहारा बनो ताकि जब आपको भी जरूरत पड़े तो हर कोई मदद के लिए खड़ा हो न कि आपको और नीचे गिराने के लिए।

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