चंडीगढ़

11 सितंबर 2020

दिव्या आज़ाद

चंडीगढ़ संवाद साहित्य मंच ने आचार्यकुल चंडीगढ़ के सहयोग से भारत-रत्न आचार्य विनोबा भावे की जयंती पर विशेष ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता आचार्यकुल चंडीगढ़ के अध्यक्ष के के शारदा ने की। मंच के अध्यक्ष व कवि प्रेम विज ने सब का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन कवियत्री नीरू मित्तल ‘नीर’ ने बखूबी किया। के के शारदा ने विस्तार से विनोबा भावे जी के जीवन व सिद्धांतों की जानकारी दी। उन्होने कहा कि विनोबा भावे जी ने गांव गांव जाकर भूमि दान मे लेकर भूमिहीन किसानो को दे दी। वे भारत की बहुत सी भाषाओं के ज्ञाता थे।

कवि गोष्ठी में प्रेम विज ने अपनी कविता में विनोबा जी का आह्वान करते हुए कहा ‘संत विनोबा आपको फिर आना होगा अबलाओं को बदमाशों से छुड़ाने।’ शायर अशोक भंडारी नादिर ने गजल के माध्यम से कहा ‘यूँ नामुमकिन किया मुमकिन अकेले ही विनोबा ने’। नीरू मित्तल ने अपनी कविता ‘बन जाए मेरे ख्वाबों का हिंदुस्तान विश्वगुरु मेरा भारत महान’ में विनोबा जी के सपने को दर्शाया। प्रज्ञा शारदा ने ‘विनोबा तेरा नाम जैसे भूदान का काम’ के द्वारा विनोबा जी के हर कार्य को याद किया। सरिता मेहता ने ‘सर्वोदय व भूदान के प्रणेता संत विनोबा भावे’ के द्वारा अपने बचपन के संस्मरण कविता के रूप में गाये। डॉ. विनोद शर्मा ने विनोबा जी की जीवन यात्रा प्रस्तुत की ‘स्वतंत्र सोच वाले थे विनोबा भावे के अन्तर्गत उन्होने कहा कि गांधीवादी विचारधारा से हुए थे प्रभावित, देश प्रेम की भावना में हुए थे समाहित, भक्ति रस में रमे होकर आत्म विभोर, सात्विक जीवन शैली का रहा पुरजोर, धर्म संस्कृति के प्रति अथाह था अनुराग, सन्यास लेने की चाह में पैदा हुआ वैराग। काव्य गोष्ठी में राशि श्रीवास्तव, नीलम त्रिखा, दलजीत कौर,गोगी गिल,सुभाष भास्कर, बी के गुप्ता ने भी शिरकत की।अंत में अशोक भंडारी नादिर ने सभी का धन्यवाद किया।

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