चंडीगढ़
11 जून 2018
दिव्या आज़ाद
प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृंखला में आज दिनांक 11 जून को 247 वीं मासिक बैठकों की श्रृंखला में आज दिल्ली से आए युवा सितार वादक पंडित प्रतीक चैधरी ने अपने मधुर सितार वादन से एक सुरमई शाम को संजोया। कार्यक्रम का आयोजन मिनी टैगोर थियेटर में किया गया। पंडित प्रतीक चैधरी महान सितार वादक पंडित देनू चैधरी के सुपुत्र एवं शिष्य हैं। ।प्त् एवं नैशनल टेलीविजन के टाॅप ग्रेड आर्टिस्ट हैं। प्रतीक आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रतिभा का बखूबी प्रदर्शन करके बहुत प्रशंसा हासिल की है। संगीत में डाक्टरेट की ड्गिी प्राप्त करने वाले प्रतीक न सिर्फ सधे हुए सितार वादक हैं बल्कि दिल्ली विश्वविद्यालय में बतौर प्रोफैसर कार्यरत हैं एवं अपने गुरू एवं कलाकार दोनों के रूप में बखूबी सामंजस्य रखते हुए सफलता के नए आयाम प्राप्त कर रहे हैं।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत प्रतीक ने राग मारवा से की जिसमें आलाप के बाद मसीतखानी गत का सुंदर प्रदर्शन किया। उपरांत राग बागेश्री में झपताल में निबद्ध बंदिश पेश की। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। एक ताल की बंदिश के उपरांत प्रतीक ने द्रुत तीन ताल की बंदिश पेश करके दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम का समापन प्रतीक ने एक सुंदर धुन से किया। जिसमें प्रसिद्ध भजन ‘‘जानकी नाथ सहाई करें जब’’ पेश करके दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इन प्रस्तुतियों के माध्यम से प्रतीक ने रागों की शुद्धता से प्रस्तुतिकरण एवं तंत्रकारी अंगों पर अपनी महारथ को बखूबी दर्शाया।
इनके साथ तबले पर दिल्ली के प्रसिद्ध तबला वादक उस्तार अकरम खां ने बखूबी संगत की। केन्द्र की रजिस्ट्ार डाॅ.शोभा कौसर ने कलाकारों को पुष्प देकर सम्मानित किया और डाॅं.चारू हांडा ने बखूबी मंच संचालन किया।

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