चंडीगढ़

27 जुलाई 2017

हिन्दू तख़्त मुख्य पीठ श्री काली माता मंदिर पटियाला के धर्माधीश तथा  कामाख्या मंदिर गुवाहाटी और जूना अखाड़ा के पीठाधीश जगद्गुरु  पंचानंद गिरि जी महाराज पिछले कई वर्षों से लोक कल्याण के कार्य कर रहे हैं। वे भटके हुए लोगों को धर्म की राह पर लाते हैं।  उन्होंने बताया कि वे मात्र 7 साल की उम्र में मां काली की उपासक बन गए थे।  इसके पीछे एक घटना रही है। उनके पिताजी  कैंसर रोग से पीड़ित थे।  डॉक्टरों ने इलाज के लिए इंकार कर दिया था।  माता काली के मंदिर में अरदास की और पिता के कैंसर का उपचार पीजीआई से  शुरू कर दिया।  श्री काली माता की अपार कृपा से कैंसर रोग से निजात मिल गई।  फिर क्या था मां के उपासक बनकर गए तथा उनकी सेवा में जुट गए। बचपन से ही तंत्र विद्या सीख ली।

जगतगुरु पंचानंद गिरी जी महाराज ने चंडीगढ़ के एनकाउंटर के ब्यूरो चीफ डॉ. विनोद कुमार को विशेष बातचीत के दौरान बताया कि आज लोग तंत्र के रूप को गलत पेश कर रहे हैं। तंत्र कभी भी किसी का बुरा नहीं करता है। यह भगवान शिव की खूबसूरत रचना है। सनातन धर्म का मानना है कि भाग्य से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता है। परंतु तंत्र विद्या से भाग्य में नहीं लिखा हो तो भी उसे प्राप्त किया जा सकता है। तंत्र से किसी भी व्यक्ति का अहित नहीं किया जाता। रावण ने शिव को खुश करके हर तरह के तंत्र- मंत्र की विद्या को हासिल किया था। परंतु दूसरों का अहित करने से खुद उसका पतन हुआ।
तंत्र से किसी का बुरा नहीं किया जा सकता है। यह न  मुंडमाला को पहनकर या भयानक शक्ल बनाकर हासिल किया जाता है। तंत्र का मतलब तन है और मंत्र मन है। तन और मन को सिद्ध करके ही तांत्रिक के विभिन्न सोपानों को हासिल किया जाता है। उन्होंने कहा कि खुद भी उन्होंने यह लोगों को प्रेक्टिकल करके कई बार दिखाया है। आज तंत्र का लोग दुरुपयोग कर रहे हैं।
इसका रूप तो अति सुंदर है। यही शिव का सबसे बढ़िया रूप है। वशीकरण और काला जादू तंत्र के अंतर्गत नहीं आता। पंचानंद गिरी ने बताया कि कुंभ के मेले में उन्होंने मीडिया और बड़े-बड़े विद्वानों तथा कई लोगों की उपस्थिति में एक लड़की का उपचार किया था जिसे देख सभी दंग रह गए थे।
उनके पिता इंद्रजीत भारद्वाज खादी विभाग में कार्यरत थे। जबकि माता कृष्णा देवी घरेलू कार्य करती थीं। उनके दो भाई और दो बहने हैं। घर में सिर्फ उन्होंने ही सन्यास धारण किया है।  सन्यास धारण करने से पूर्व जगतगुरु पंचानंद गिरी जी महाराज का नाम  संजीव भारद्वाज था। वे पटियाला में तिलकधारी के नाम से भी विख्यात रहे।
उन्होंने बताया कि वे पटियाला स्थित  शिव शक्ति सेवादार चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित लंगर  के प्रमुख ट्रस्टी है।  इसके अलावा ज्वालामुखी, कानपुर, गगरेट, नगरोटा,  कामाख्या मंदिर गुवाहाटी के मंदिरों से भी जुड़ें हैं। उन्होंने पंजाब के आंतकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जम्मू कश्मीर और पंजाब में हिंदुओं के विरुद्ध  हो रहे अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई।
उनके संगठन द्वारा समय-समय पर मेडिकल चेकअप कैंप लगाकर फ्री दवाइयां दी जाती हैं। रोगियों के टेस्ट करके उनका उचित उपचार किया जाता है। उन्होंने बताया कि ट्रीटमेंट फास्ट होता है। पटियाला के श्री माता काली मंदिर में एंबुलेंस रोगियों की सुविधा के लिए उपलव्ध रहती है। यहां तक कि डेथ बॉडी के लिए फ्रीजर का इंतजाम भी है।  लावारिस लाशों का संस्कार करके  मां गंगा में अस्थियों को प्रवाहित करके उनकी आत्मा की शांति के लिए भंडारा किया जाता है। हिंदुओं को सम्मान दिलाने तथा सनातन धर्म को मजबूत करने के लिए 2500 वर्ष पहले हिन्दू तख़्त की स्थापना की थी। उस समय आदि शंकराचार्य ने देखा कि बहुत से सनातनी बुद्ध धर्म को अपना रहे हैं। तो ऐसे में बुद्ध धर्म से लोगों को वापिस सनातन धर्म में लाने के लिए इसका गठन किया।  तब से हिंदू तख़्त की परंपरा रही है कि यदि किसी हिन्दू पर कोई अत्याचार होता है और उसकी सुनवाई नहीं होती है तो वह श्री हिन्दू तख़्त के पास जाकर अपनी बात को रख सकता है। उसे यहाँ पर न्याय अवश्य मिलता है।  हिन्दू तख़्त हिंदू देवी देवताओं के सम्मान के लिए भी कार्य करता है। यदि कोई जर्दा,टॉयलेट्स की शीटों, कपड़ों और टीवी आदि के विज्ञापनों में  देवी-देवताओं का कार्टून या चित्र बनाकर अपमान करता है तो हिंदू तख़्त समाज को बाँटने वाली ऐसी ताकतों को पनपने नहीं देती है।
हिन्दू तख़्त के धर्माधीश एवं माँ कामख्या देवी गुवाहाटी के पीठधीश्वर जगत गुरु पंचानंद गिरिजी महाराज ने बताया कि देश विदेश में प्रख्यात गुवाहाटी में माँ कामख्या देवी पीठ में  हर वर्ष 22 से 25 जून तक अबुवाची मेले का आयोजन होता है। इस वर्ष उनके साथ असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, पर्यटन मंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा, देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज एवं शर्मेश्वरा नन्द भैरो जी भी साथ थे।  इस मेले में हज़ारों की संख्या में भक्तों ने माँ के दर्शन किये।
उन्होंने कहा कि कामख्या का देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों के अंतर्गत शुमार है। इसे 51 शक्तिपीठों में ‘तंत्रपीठ’ की संज्ञा प्रदान करके महापीठ कहा गया है। उन्होंने कहा कि असम की गुवाहाटी से लगभग 9 किलोमीटर दूर नीलांचल पहाड़ी पर देवी कामख्या मंदिर को सभी शक्तिपीठों में बहुत ख़ास माना जाता है। धार्मिक ग्रन्थों की माने तो यहाँ देवी सती का योनिभाग गिरा था और यहाँ देवी के इसी अंग की पूजा होती है। यद्यपि इस पीठ अर्थात देवालय के गर्भगृह में देवी की कोई प्रतिमा स्थापित नहीं की गई है बल्कि यहाँ गुफा के कोने में जहा यह मंदिर स्थित है प्रतिमा के स्थान पर काले रंग के पाशाडखंड पर योनी कि आकृति उकरी हुई है वही शिलाखंड गर्भगृह में देवी रूप में स्थापित है।  उन्होंने कहा कि हिन्दू पंचांग के अनुसार देवी का मासिक धर्म उसी दिन से शुरू हुआ था।
उन्होंने अबुवाची मेले को सर्वप्रिय बनाने और वहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधायें मुहैया करवाने के लिए असम सरकार का तहे दिल से शुक्रिया अदा किया और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल का इस मेले में पधारे श्रद्धालुओं व् साधू संतों की ओर से भी अभिनन्दन किया था।
उन्होंने बताया कि नेपाली बाबा डेरा में सन 2005 में उन्होंने सन्यास लिया। मां की उपासना के लिए लड़ाई लड़ी और शौकिया तौर पर तंत्र सीखा।  सन्यास लेने का निर्णय सिर्फ 5 मिनट में ही किया था।  इसका मुख्य कारण गुरुजी का चोला छोड़ना रहा है।   संगत के बार-बार आग्रह करने पर सन्यास धारण करने का मन बनाया। उस समय पंचकूला प्रशासन उस जगह का कब्जा करने के लिए आयी थी । ऐसे में उस गददी की बागडोर संभाली।
पटियाला स्थित गौशाला में लगभग 450 गायें हैं।  सभी गायें देसी हैं।  इनका दूध दीन- दुखियों की सेवा के काम आता है। उन्होंने गायों का सड़कों पर आने का दोषी हिंदू समाज को माना है। उन्होंने कहा कि यदि वे गायों को अपनी माता समझते हैं तो घर में पालें। गायें कातिल के पास जाने से बच जायेंगीं। मां की रक्षा नहीं की तो धर्म की रक्षा कैसे होगी? आज लोग गौशाला के  नाम पर दुकानदारी चला रहे हैं। गौरक्षा के नाम पर इकठ्ठा होने वाले धन  का दुरुपयोग हो रहा है।
उन्होंने बताया कि जो सोवत है, वो खोवत है,  जो जागत है सो पावत है। इसलिये ईश्वर की भक्ति हर रोज करनी चाहिये।   संत समाज की कमी के कारण आज लोग अपने रास्ते से भटक रहे हैं।  इसके लिए संत समाज भी जिम्मेवार  है। वही मनष्य को सही मार्ग पर ला सकता है। यदि मनुष्य अपनी रक्षा खुद नहीं कर सकता तो उसकी रक्षा भगवान भी कैसे करेंगे? पाप सहना महापाप है। मनुष्य को धर्म के लिए अपना कर्तव्य समझना चाहिए। राष्ट्र प्रेम से ही धर्म प्रेम संभव है। आज लोग राष्ट्र की बात नहीं करते हैं यह तो चाहते हैं कि देश में शहीद भगत जैसी संतान होनी चाहिए परंतु अपने घर में नहीं बल्कि पड़ोसियों के घर में। उन्होंने कहा कि मनुष्य की सिर्फ ढाई जाति नर, नारी और किन्नर है। आज जात- पात का देश में जहर घुल रहा है। वैसे तो हर मनुष्य चार वर्ण  मस्तिष्क,भुजाएं, पेट और पैर सहित पैदा होता है। सबमें यही चारों वर्ण हैं। फिर भेदभाव क्यों है? राजनीति ने ही वोट बैंक को पक्का करने के लिए ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र में मनुष्यों को विभाजित किया है। सभी मनुष्यों का खून एक जैसा है तो आखिर फर्क कैसा? उन्होंने कहा कि धूम्रपान,  मद्यपान, मांस आदि का परित्याग कर देना चाहिए।  तंत्र पद्दति वाममार्गी है। जिसमें अघोर, कोल और शमशान का वर्णन होता है। इसमें पंच मकार योनि, मदिरा, मांस, मुंड और मैथुन अनिवार्य माने गए है। परंतु मनुष्य इस से ऊपर उठकर भी शक्ति की आराधना कर सकता है।  यदि मन में कृतसंकल्प हो और विचार शुद्ध हो तो उसे इन सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है।  उन्होंने कहा कि जीव हत्या नहीं करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि पंजाब की खुशहाली के लिए जात पात को दर किनार कर क्रिस्चन समुदाय के साथ खड़ा रहने को  हिन्दू तख़्त तैयार है।   पिछले दिनों पंजाब में चर्च के बाहर हुए पादरी के क़त्ल पर शोक व्यक्त करते हुए हिन्दू तख़्त के धर्माधीश जगत गुरु पंचानंद गिरिजी महाराज ने कहा कि हिन्दू तख़्त पंजाब का माहौल खराब नहीं होने देगा। अगर क्रिस्चन समुदाय चाहे तो हिन्दू तख़्त उनकी इस दुखदाई घड़ी में उनका साथ देने को तैयार है।
उन्होंने कहा कि पिछले काफी समय से पंजाब में घट रही घटनाएं पंजाब के लिए चिंता का विषय है। जलंधर के आर.एस.एस. के प्रचारक गगनेजा की गोली मारकर हत्या, खन्ना में दुर्गा गुप्ता की हत्या, लुधियाना में अनिल शर्मा की हत्या, खन्ना के पास सिरसे वाले की कैंटीन चलाने वाले बाप बेटे कि हत्या और चर्च के फादर की हत्या ऐसी कई घटनाएं पंजाब में अंजाम दी जा चुकी है लेकिन कोई भी एजेंसी अभी तक इन घटनाओं का सुराग नहीं लगा पाई। इन सभी घटनाओं की निंदा करते हुए जगत गुरु पंचानंद गिरिजी महाराज ने कहा कि जितनी भी वारदातों को अंजाम दिया गया ये सारी वारदातें पंजाब का माहौल खराब करने के मकसद से की गई| इन सभी घटनाओं में गौरतलब बात यह है कि ये सभी वारदातें शनिवार के दिन की गई।
हिन्दू तख़्त के धर्माधीश जगत गुरु पंचानंद गिरिजी महाराज ने कहा कि पंजाब पहले ही 13 साल आतंकियों की साजिश का शिकार रह चुका है और अब फिर पंजाब को इस आग में धकेलने का काम हो रहा है जो कि हिन्दू तख़्त बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेगा। पंजाब स्टेट बॉर्डर के साथ लगने के कारण हमेशा से सेंसिटिव रहा है। पाकिस्तान और इसकी एजेंसियां फिर से खालिस्तान की परिस्थिति को जीवित करने में लगी हुई है। पाकिस्तान द्वारा पंजाब में नशे की सप्लाई करके पंजाब की युवा पीड़ी को ख़तम करना चाहता है। हिन्दू तख़्त उसकी इस साजिश को पंजाब में कायम नहीं होने देगा। उस समय के आतंकवादियों के आका महेल सिंह, रंजित सिंह नीटू, वधवा सिंह, पंज्वर जो पाकिस्तान में बैठे है पंजाब की नयी पीड़ी को भड़काकर पंजाब में दुबारा अपनी गतिविधियों को जीवित करना चाहते हैं। उन्होंने पंजाब के अन्दर सभी समुदाय के लोगों से अपील की है कि बम और गोली कभी भी जातपात को नहीं देखती। आज ज़रूरत है पंजाब के हर समुदाय के लोगों को एक जुट हो दहशत फैलाने वाले लोगों को नाकामयाब करें और भाईचारे को कायम कर उन देश द्रोहियों के खिलाफ कंधे से कन्धा मिला कर मुह तोड़ जवाब दें।
उन्होंने कहा कि देश के प्रधान मंत्री जो 56 इंच के सीने की बात करते हैं आज देश में बैठे देश द्रोही हमारे देश को खा रहे हैं। हिन्दू तख़्त सरकार और एजेंसियों के साथ मिलकर ऐसे देश द्रोहियों को देश से बाहर निकाल फेंकेंगे और पाकिस्तान, चीन और उन आतंकी संगठनों को बतला देंगे कि आज भी हिन्दुस्तान में वो माँ के लाल बैठे हैं जो चौड़ी छाती कर जंग के मैदान में तैनात हैं।

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