हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स को उच्च शिखर पर ले जाने वाले श्रीनिवास शर्मा हैं पदमश्री के सही हकदार 

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चंडीगढ़
8 सितंबर 2020
स्काउटिंग व गाइडिंग श्रीनिवास शर्मा लिए एक साधना है। हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स इनका साकार रूप है। वे  आज एक चीफ स्काउट हैं। इन्हें इसी संस्था के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री पुरुषोत्तम रुपाला जी के सहयोग से 10 अगस्त 2015 को राजऋषि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का उनके कार्यालय में सानिंध्य प्राप्त हुआ व अपने हाथ से उनके गले में हिंदुस्तान स्काउट्स व गाइड्स का केसरी स्कार्फ पहनाया तथा अनवरत 14 मिनट्स तक संस्था की स्थापना से सम्बंधित जानकारी दी। उसके पश्चात् श्रीनिवास शर्मा ने कहा  कि मेरी  उम्र टूट रही है पर साधना ना टूट जाए, उन्होंने हाथ उठाकर मेरी साधना की रक्षा का दृढ़ आश्वासन दिया जिसे सुन कर मैं धन्य हो गया।
हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स एसोसिएशन के संस्थापक श्रीनिवास शर्मा 1946 मात्र 9 वर्ष की आयु में आर.एस.एस से जुुड़े ।  शाखाओं में 2 वर्ष नियमित रूप से जाते रहे पर महात्मा गाँधी हत्याकांड के कारण विराम लग गया। उन 2 वर्षों ने शर्मा जी के जीवन निर्माण का कार्य किया। इसी प्रेरणा से अग्रवाल इंटर कॉलेज, सिकंदराबाद, यूपी में प्रवेश लेकर स्काउटिंग से 1950 में जुड़ गये  और प्रतिदिन कम से कम एक भलाई के  कार्य को करना दिनचर्या बना लिया। स्काउट जीवन की सीढियों के क्रम में 1951 में टोलीनायक, 1952 में दलनायक बने । इन्हें स्काउटिंग के साथ खेल कूद, कविता, कहानी लेखन के आधार पर 1953 व 1954 मे 2 वर्ष कॉलेज का प्रमुख छात्र चुना गया। स्काउटिंग को देश व समाजसेवा की भावना के साथ जीवन में उतार लिया जो 83 वर्ष की आयु में आज भी सक्रिय है। निर्धनता के कारण कक्षा 12 के बाद कॉलेज न जा सके।  प्राइवेट पढाई से बी.ए, एम.ए व बी.एड किया 1957 में जेटीसी पास कर उसी अग्रवाल इंटर कॉलेज में अध्यापक बने। बुलंदशहर जिला में इनकी स्काउट टीम सर्वश्रेष्ठ  चुनी गयी। 1959 में टेस्ट पास कर दिल्ली नगर निगम मिडिल स्कूल, रामजस लेन, करोल बाग नई दिल्ली में अध्यापक नियुक्त हुए। 1961 में सर्वश्रेष्ठ कब मास्टर चुना गया। 1963 में सरकारी स्कूल में टी.जी.टी बना व जिला संस्था भारत स्काउट व गाइड पश्चिमी दिल्ली का क्वार्टर मास्टर चुना गया।  1965 में जिला सयुंक्त सचिव, 1967 में जिला कोषाध्यक्ष व 1970 में जिला सचिव बने। 1992 तक सचिव रहे भारत स्काउट्स व गाइड्स का भाव अंग्रेजी स्काउट संस्था के समकक्ष 1928 में भारतीयों की अपनी संस्था हिंदुस्तान स्काउट्स एसोसिएशन खड़ी करने वाले प० मदन मोहन मालवीय व प० श्रीराम बाजपेयी के प्रति द्वेष पूर्ण था। जबकि वे लार्ड बेडेन पावेल को पूजते थे व उनका जन्मदिन 22 फरवरी को चिंतन दिवस के रूप में सारे भारत में मनाते थे। इनकी मनोवृति बदलने के लिए श्रीनिवास शर्मा जी ने भारत स्काउट गाइड दिल्ली के स्टेट चीफ कमिश्नर के चुनाव में अपने उम्मीदवार उतारे।  1967,1973, 1985 व 1991 में चुनाव लड़ायें पर वहां नॉमिनेटेड वोटर अधिक होने से सफलता नहीं मिली। स्वयं कभी चुनाव नहीं लड़ा। भारत स्काउट्स व गाइड्स ने श्रीनिवास शर्मा शिकायत दिल्ली के शिक्षानिदेशक श्री शक्ति सिन्हा से की। जिन्होंनेे इन्हें अपनी अलग संस्था बनाने की सलाह दी। शर्मा जी ने अपने स्तर  पर 13 अप्रैल 1994 को दिल्ली स्टेट गर्ल बॉय स्काउट्स एसोसिएशन बनाई व उस का पंजीकरण कर काम शुरू कर दिया। जिसके अध्यक्ष स्व साहिब सिंह वर्मा और  श्रीनिवास शर्मा राज्य सचिव थे। शर्मा जी 27-03-1997 को लेक्चरर (राजनैतिक विज्ञानं) पद से रिटायर हुआ।
   स्कूलों व छात्रों की संख्या अधिक बढ़ जाने के कारण वर्ष 1997 में स्काउटिंग गाइडिंग के मुख्य संरक्षक तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ के.आर नारायणन ने भारत सरकार को स्काउटिंग के द्वार अन्य संस्थाओं के लिए खोलने की  संस्तुति की। भारत सरकार के खेल मंत्रालय के प्रोत्साहन से 26 नवंबर 1998 को राष्ट्रीय संस्था हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स एसोसिएशन की विधिवत स्थापना की। लगभग 3 वर्ष के सफल सयोजन और राष्ट्रीय स्तर पर प्रसार को देखकर खेल मंत्रालय ने 07 मार्च 2001 को राष्ट्रीय मान्यता प्रदान की जिसके विरुद्ध भारत स्काउट व गाइड संस्था हाई कोर्ट गई पर हार गयी। 2004 में भारत सरकार के खेल मंत्रालय के सर्वे के अनुसार सदस्य संख्या 11 लाख 72 हजार पहुँच गयी अत: श्रीनिवास शर्मा को लाखों रूपये का प्रलोभन देकर संस्था बंद कराने की कोशिश  की गई पर इनका कहना था कि साधना बेचीं नहीं जाती।  इस प्रकार इन्हें 15 दिसम्बर 2004 से 22 जनवरी 2005 तक तिहाड़ जेल भेजकर गैरहाजरी में शोकॉज नोटिस निकालकर हिंदुस्तान स्काउट्स एंड गाइड्स की मान्यता रद्द करा दी। उसके बाद बिना सरकारी मान्यता व अनुदान के 10 वर्षों तक कोर्ट के चक्कर काटने के साथ संस्था का सफल संचालन किया। विश्व स्तरीय संस्था डब्ल्यूएफआईएस  जर्मनी से मान्यता ली। 26 सितम्बर 2013 को भारत सरकार से मान्यता बहाल हुई जो सफलता से राष्ट्रीय स्तर चल रही है ।
इन्हें ख़ुशी है कि इनके 70 वर्ष के सेवा कार्य से लाखों स्काउट बच्चे सुयोग्य नागरिक बने। उन्हें नौकरी में काम आने वाले प्रमाण पत्र मिले व आज हजारों युवा विद्यालय प्रशिक्षक के रूप में स्काउटिंग गाइडिंग को आय का साधन बनाये हुए है। श्रीनिवास शर्मा जी को स्काउट्स एंड गाइड्स को बढ़ावा देने के लिए पदमश्री अवार्ड से सम्मानित किया जाना चाहिए। दुनिया में ऐसे लोग ही विरले होते हैं जो अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीते हैं।  इनमें देश प्रेम की भावना कूट-कूट कर भरी हुई है। स्काउटिंग – गाइडिंग को उच्च शिखर तक ले जाने के लिए इनके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। रास्ते में कई विपत्तियां आईं परंतु ये डगमगाए नहीं। इनकी इतनी लंबी साधना और देश को देने की भावना हर जन जन में सराहनीय है। भारतवर्ष में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी श्रीनिवास शर्मा जी की कठिन तपस्या की चर्चा होती है। शर्मा जी एक जनसाधारण मनुष्य नहीं है, ये देव हैं जो लेने नहीं बल्कि देने की भावना में विश्वास रखते हैं। देश के कर्मठ लोगों, महानुभावों, नेताओं, सांस्कृतिक व खेल प्रेमियों और हर क्षेत्र से जुड़े हुए लोग यही चाहते हैं कि  शर्मा जी पदमश्री के सही हकदार हैं। इनको सम्मानित किया जाना देश के लिए गौरव की बात है।
-डॉ. विनोद कुमार शर्मा

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