चण्डीगढ़
29 अक्टूबर 2022
दिव्या आज़ाद
आर्य समाज सेक्टर 7-बी में प्रवचन के दौरान आचार्य चंद्रदेव ने कहा कि आश्रम व्यवस्था चार भागों में विभक्त है जिसमें ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम शामिल हैं । यह चारों आश्रम गणित के 4 सिद्धांतों योग, घटाओ, गुणा और भाग पर आधारित हैं। योग के अंतर्गत विद्या प्राप्ति है। योग ब्रह्मचर्य आत्मा की उन्नति का पहला सोपान है। घटाना के तीनों आश्रमों को अर्पित करना है। वानप्रस्थ आश्रम में व्यक्ति कई गुना मानसिक विकास कर लेता है। भाग के अंतर्गत अर्जित किये गए ज्ञान को तीनों आश्रमों में बांटना है। सन्यासी का कार्य संसार में वेद प्रचार करना है। ब्रह्मचर्य आश्रम आधार स्तंभ अर्थात मूल है। तीनों आश्रम गृहस्थ आश्रम पर ही निर्भर करते हैं। गृहस्थ आश्रम में पांच महायज्ञ का काफी महत्व है। इन पांच महायज्ञ में ब्रह्म यज्ञ, देव, पितृ, बलिवैश्यव और अतिथि यज्ञ शामिल है। उन्होंने बताया कि यज्ञ का पालन करने से लाभ मिलता है। आचार्य विजयपाल शास्त्री ने भजन प्रस्तुत किये। इस मौके पर चंडीगढ़ पंचकूला और मोहाली से काफी संख्या में लोग मौजूद थे।