चंडीगढ़
3 फरवरी 2018
दिव्या आज़ाद
पिछले लगभग 6 दशकों से कला के क्षेत्र में अपनी बहुमूल्य सेवाओं और योगदान द्वारा नए आयाम स्थापित करने वाले तांडव सम्राट गुरू एम.एल.कौसर को श्रेष्ठ कलाकार होने के साथ-साथ भारतीय शास्त्रीय कलाकारों के वाहक के रूप में भी जाना जाता है। गुरू मदन लाल कौसर के इन अनथक प्रयासों एवं निस्वार्थ सेवाओं के अमूल्य योगदान सराहनीय है। इसी सराहनीय योगदान को मद्दे नज़र रखते हुए प्राचीन कला केन्द्र की कार्यकारिणी समिति द्वारा 2004 में 1 लाख की गुरू मदन लाल कौसर अवार्ड की घोषणा की गई जो उन शख्सियतो को दिया जाता है जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय कलाओ का परम्परा अनुसार प्रचार एवं प्रसार करने में अहम भूमिका निभाई।
इस अवार्ड के अन्तर्गत कई महान कलाकारों को नवाज़ा जा चुका है जिनमें प्रमुख कथक नर्तक पंडित चरण गिरधर चाॅंद,सितार सम्राट शाहिद परवेज़,सारंगी सम्राट पंडित राम नारयण,पंडित शंकर घोष,कथक सम्राट बिरजू महाराज,प्रसिद्ध संतूर वादक सतीश व्यास,सितार सम्राट उस्ताद शुजात हुसैन खां एवं पंडित अजय चक्रवर्ती जैसे कलाकार शामिल हैं।
अपनी इस परम्परा को आगे बढ़ाते हुए प्राचीन कला केन्द्र द्वारा 3 फरवरी को टैगोर थियेटर में सायं 6 30 बजे इस विशेष संध्या का आयोजन किया गया जिसमें पंजाब घराने के दो प्रसिद्ध तबला वादकों पंडित सुशील कुमार जैन एवं पंडित काले राम जी को सम्मानित किया गया। हरियाणा के गर्वनर महामहिम प्रोफैसर कप्तान सिंह सोलंकी ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। दीप प्रज्वलन की रस्म के पश्चात दोनों कलाकारों को सम्मानित किया गया। माननीय गर्वनर प्रोफैसर सोलंकी ने केन्द्र द्वारा भारतीय संस्कृति को प्रचारित एवं प्रसारित करने के लिए प्रशंसा की और साथ ही दोनों महान कलाकारों को 51 .51हजार रूपये, शाल, स्मृति चिन्ह एवं प्रशस्ति पत्र भेंट किया।इस अवसर पर केन्द्र के चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा, रजिस्ट्ार डाॅ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे।
सम्मान समारोह को यादगारी के लिए आज इस विशेष कार्यक्रम को संगीतमयी संध्या से सजाया गया। आज के इस कार्यक्रम का आरंभ पंडित काले राम जी की शिष्या अर्शप्रीत कौर के शास्त्रीय गायन से हुआ। उपरांत पंडित सुशील कुमार जैन के शिष्य गुरजिंदर सिंह जो कि श्री गुरूद्वारा प्रबंध कमेटी के जाने माने तबला वादक हैं और तबला वादन में अपना विशेष स्थान बना चुके हैं ने तीन ताल पर बेहतरीन प्रस्तुति दी एवं पारंपरिक पंजाब घराने की बंदिशें पेश की और अपने गुरू द्वारा बनाई गई कुछ विशेष तबला बंदिशों की प्रस्तुति दी। उन्होंने अपने दमदार तबला वादन से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी। इनके साथ हारमोनियम पर नवतेज सिंह ने बखूबी संगत की।
उपरांत विनिता द्वारा सितार वादन की प्रस्तुति दी गई। जिसमें उन्होंने राग भिन्न शरज,जोड़ झाला की बेहतरीन प्रस्तुति दी। सभी युवा कलाकारों ने अपने गुरूओं के द्वारा दी गई बेहतरीन शिक्षा का बखूबी प्रदर्शन करके दर्शकों की वाहवाही लूटी।
कार्यक्रम केे अतिम भाग में पंडित जयदेव एवं समूह द्वारा ताल कचहरी पेश की गई जिसमें उन्होंने तीन ताल में निबद्ध पंजाब घराने की कुछ विशेष कायदे,पलटे,लड़ी इत्यादि की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरी।
इस कार्यक्रम का सफल संचालन प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना एवं केन्द्र की डिप्टी रजिस्ट्ार डाॅ.समीरा कौसर द्वारा किया गया। केन्द्र के चैयरमैन श्री एस.के.मोंगा,रजिस्ट्ार डाॅ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर द्वारा युवा कलाकारों को सम्मानित किया गया।