डीएवी कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा ‘राष्ट्र और साहित्य’ पर एक दिवसीय वर्कशाप का आयोजन

0
1602

चंडीगढ़

11 मार्च 2019

दिव्या आज़ाद

डीएवी कालेज सेक्टर 10 में हिन्दी विभाग द्वारा राष्ट्र और साहित्य विषय पर एक दिवसीय वर्कशाप का आयोजन किया गया। यह प्रो.नामवर सिंह सेमिनार का उद्घाटन कालेज के प्रिसिंपल पवन शर्मा ने किया। इस वर्कशाप में दिल्ली विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर संजीव कुमार तथा पंजाब विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अक्षय कुमार ने विस्तार से अपनी बातें रखीं। वर्कशाप का उद्घाटन करते हुए प्रिंसिपल पवन शर्मा ने राष्ट्रवाद के विभिन्न पक्षों पर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया। इसके बाद संजीव कुमार ने अपने मुख्य वक्तव्य में कहा कि राष्ट्रवाद कोई पूजा या आस्था की चीज नहीं है, बल्कि हर दौर में इसका स्वरूप बदलता रहता है। उन्होंने प्रो.नामवर सिंह के योगदान पर बात करते हुए दूसरी परम्परा की खोज पुस्तक के महत्व की चर्चा की।

इसके अलावा फेडरिक जेमसन, बाख्तिन, इ.एम फोस्टर और बेनिडिक्ट एंडरसन आदि के हवाले से राष्ट्रवाद की अवधारणा पर विस्तार से बात की। हमें राष्ट्रवाद के आधार पर लोगों को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए, न कि हिंसा या नफरत फैलाने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए। अपने भाषण में उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद के सवालों का साहित्य से जोड़ते हुए यह भी कहा कि साहित्य हमें राष्ट्र के बारे में उदार, लोकतांत्रिक सोच से जोड़ता है और यही आज के समय की जरूरत है। देश सभी का है और देशद्रोही शब्द पर जरूरत से ज्यादा जोर देने से हम देश की बहुलता तथा विविधता के विचार को खो देते हैं।

इस सत्र में छात्रों ने काफी देर तक विभिन्न प्रकार के प्रश्न किए। वर्कशाप के दूसरे खंड में पीयू के प्रोफेसर अक्षय कुमार ने उपन्यास की परिस्थितिकी के बारे में छात्रों को बताया। महाकाव्य के मर्यादावादी व शास्त्रीय फ्रेमवर्क को उपन्यास किस तरह बदलते हैं और आम आदमी की भाषा और जीवन को चित्रित करते हैं। इससे राष्ट्र व उसके प्रतीकों को समझने व उनकी प्रकार्य को समझना आसान होता है। लोकप्रिय उपन्यास जिन उदारवादी नीतियों द्वारा संचलित होते हैं उनसे भाषा और समाज का हित व उनकी चिंता न होकर साहित्य को वस्तुकरण किया जाता है और वे लाभ और मुनाफे के तर्क पर आधारित होते हैं।

LEAVE A REPLY

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.