चंडीगढ़
13 फरवरी 2021
दिव्या आज़ाद
आज का दिन विश्व भर में वर्ल्ड रेडियो दिवस के रूप में मनाया जाता है। आज हम इस विशेष आर्टिकल में बात करेंगे कि किस प्रकार हमारी पारंपरिक भाषा के मायनों में बदलाव आने लगे हैं।
जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी विकसित होती गई उसने हमारी ज़िंदगियों में बहुत से बदलाव ला दिए। कुछ बदलाव ऐसे थे जिनसे रोज़मर्रा के कामों में मदद मिली लेकिन साथ ही कुछ अपडेट्स ने कई अहम चीज़ों पर ऐसा प्रभाव डाला कि उनके सही माईने ही बदलकर रख दिए। सोशल मीडिया के आने से युवा पीढ़ी पर ऐसा असर पड़ा है कि उनकी भाषा में बदलाव आ गया है।
आज वर्ल्ड रेडियो दिवस के अवसर पर जाने-माने ब्रॉडकास्टर सर्वप्रिय निर्मोही ने इस बदलाव के दुष्प्रभाव पर बल दिया। निर्मोही ने बताया कि सोशल मीडिया ऐप्स आने से युवाओं का बात करने का तरीका बदल गया है। अब वे पूरी भाषा का प्रयोग करने के बजाए आधे-अधूरे लफ़्ज़ों का इस्तेमाल कर चैट करने लगे हैं। कभी स्लैंग तो कभी हिंगलिश का इस्तेमाल किया जाता है। यह सब निजी बातचीत के लिए भले ही सही लगता हो पर सामाजिक व व्यवसायिक तौर पर यह सही नहीं कहा जा सकता।
निर्मोही ने कहा कि स्लैंग व हिंगलिश ने हमारी पारम्परिक भाषा के मायने खराब कर दिए हैं। इसका युवाओं पर बहुत गलत असर पड़ रहा है क्योंकि न केवल चैट के लिए बल्कि युवा इसे अपनी रोज़ाना की ज़िंदगी में भी इस्तेमाल करने लगे हैं। हम जैसे लिखते हैं वैसा ही हमारा माइंड भी प्रोग्राम करने लगता है व हमारी आदतों को स्टोर कर लेता है। इसलिए बहुत बार ऐसा देखा गया है कि युवा इंटरव्यू या लिखने वाले एग्जाम में गलती से आधे लफ़्ज़ों या स्लैंग का इस्तेमाल करने लग जाते हैं।
आगे बोलते हुए निर्मोही ने कहा कि इस समय की मांग है कि हम इस ओर धयान दें कि किस प्रकार टेक्नोलॉजी में हो रहे अप्डेट्स के कारण हमारी भाषा की परिभाषा ही बदल चुकी है। पुराने दौर में रेडियो ऐसा माध्यम था जिससे लोग हर ज़रूरी जानकारी व मनोरंजन के लिए उपयोग किया करते थे। आज भी रेडियो का बोलबाला है पर यह उस प्रकार हर घर की शान नहीं रहा जैसे पहले हुआ करता था। तब लोग एक-एक प्रोग्राम के लिए घंटों पहले ताक लगाए बैठ जाया करते थे। रेडियो के माध्यम से हम युवाओं को भाषा के सही उपयोग के फायदे बता सकते हैं क्योंकि भाषा का सही इस्तेमाल हो इसके लिए बहुत कम लोग ही जागरूक हैं।
उन्होंने भाषा के सही प्रयोग के लिए युवाओं को प्रेरित करने की सलाह दी है। उनका मानना है कि हमे युवाओं को प्रोत्साहित करना चाहिए कि वे लिखते हुए या चैट करते हुए भी पूरे लफ़्ज़ों का ही इस्तेमाल करें। फिर चाहे वह हिंदी में हो या अंग्रेजी या कोई भी क्षेत्रीय भाषा। जैसे ही इस आदत में बदलाव आएगा, यह समस्या अपने आप कम होने लग जाएगी।
वर्ल्ड रेडियो दिवस के मौके पर सर्वप्रिय निर्मोही ने चंडीगढ़ डिफेन्स अकादमी में “रोल ऑफ़ मॉडुलेशन इन कम्युनिकेशन” सेमिनार में आज अकादमी के छात्रों को बताया कि रेडियो एक समय हर घर की शान हुआ करता था। रेडियो के महत्व को देखते हुए रेडियो दिवस को बड़े स्तर पर मनाया जाना जरूरी है।