“भूल माफ करना, सर पर हाथ रखना मां”

1
2968
 मुदत के बाद आज माता के दरबार से बुलावा आया,
 बूढ़े दंपति ने माता के मंदिर जाने का प्रोग्राम बनाया।
मैडम ने कहा आप बस स्टैंड पहुंचो वह अभी आयी,
वह बस स्टैंड कब का पहुंच गया पर मैडम नही आई।
मैडम की इंतज़ार करते  कितना वक्त निकल गया,
कई बसें निकल गयी कितना समय निकल गया।
धूप बहुत तेज़ थी बस स्टैंड पर शैड भी उतर गया,
धूप से बचने के लिए उसे पीपल का पेड़ मिल गया।
इतने में मैडम आ गयी और बस भी आ गयी,
मुरझाये हुए चेहरे पर अब रौनक सी छा गयी।
दोनों बस में चढ़ गए दो टिकटें भी कटवाई।
सीनियर सिटीज़न थे, तभी सीटें मिल पायीं।
बस ने सीधा माता मनसा देवी मंदिर जा पहुंचाया,
लम्बी लम्बी कतारें देख दोनों का सिर चकराया।
मंदिर के बाहर से ही माता रानी को शीश निवाया,
लम्बी कतारों में लगने में खुद को असमर्थ पाया।
ज़रूरी नहीं हर मंदिर  पर जाने वाला दर्शन कर पाए,
कुछ ऐसे भो होते हैं जो जाकर द्वार से ही लौट आएं।
मजबूरी भक्तों की समझे, उन्हें माता मनसा ना ठुकराए,
सर पर हाथ उन के भी रखे जो दर पे आ शीश झुकायें।
बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़

1 COMMENT

  1. Hey very nice website!! Man .. Excellent .. Amazing .. I’ll bookmark your web site and take the feeds also…I’m happy to find numerous useful info here in the post, we need work out more techniques in this regard, thanks for sharing. . . . . .

LEAVE A REPLY

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.