पंचकूला

6 अगस्त 2023

दिव्या आज़ाद

प्रसिद्ध गज़ल व नज़म लेखक अशोक भण्डारी ‘नादिर‘ की 19 पुस्तकंे काव्यबद्ध (नजम) का शनिवार को विमोचन किया गया। उनकी इन किताबों का विमोचन विधान सभा हरियाणा के स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता द्वारा किया गया। जो कि कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहंुचे थे। इस दौरान उनके साथ हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, पंचकूला के कार्यकारी उपाध्यक्ष प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री तथा विशिष्ट अतिथि के तौर पर हिमाचल प्रदेश धर्मशाला की सेंट्रल यूनिवर्सिटी के चांसलर पद्मश्री डॉ हरमोहिंदर सिंह बेदी भी उपस्थित थे। पुस्तक विमोचन का कार्यक्रम भण्डारी अदबी ट्रस्ट (रजि.) द्वारा पंचकूला के पीडब्ल्यू रेस्ट हाउस सेक्टर 1 में आयोजित किया गया था।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर कार्यक्रम में पहुंचे ज्ञानचंद गुप्ता ने नादिर द्वारा लिखित काव्य पुस्तकों पर उन्हें बधाई दी और उनकी किताबों की कुछ नज़मों को पढ़़कर सुनाया और अपनी प्रशंसा व्यक्त की।

इस अवसर पर अशोक भण्डारी ‘नादिर‘ ने बताया कि स्वामी विवेकानंद का एक मत व्यक्ति निर्माण, राष्ट्र निर्माण यही वह उद्देश्य है जिसे उन्होंने ऊंचाई पर रखकर समाज में पनप रही बुराई को समाप्त करने तथा सामाजिक जनकल्याण व प्रेरणात्मक 19 पुस्तके काव्यबद्ध (नजम) की विधा से लिखी हैं। उन्होंने बताया कि यह किताबें वे ट्राईसिटी के विभिन्न धार्मिक स्थलों, सरकारी स्कूलों में निःशुल्क बंटवाते हैं। इसके लिए एक स्पेशल इलेक्ट्रिकल थ्री व्हीलर भी लगाया गया है। इसे हर उम्र वर्ग का व्यक्ति पढ़ सकता है। सामाजिक जीवन पर आधारित इन किताबों की अभी तक 1 लाख से अधिक प्रतियां छप्प चुकी हैं।

अशोक भण्डारी ’नादिर’ बताते है कि जीवन में सामाजिक संदेश देती इन 19 किताबों में 18 किताबें नजम बद्ध है जबकि एक अन्य किताब अश्यार (शायरी) है। यह किताबें हैं- शहीदों को श्रद्धासुमन, इंतजार (बुजुर्गों के हालात), जीवन रेखा(पौधे लगाओ, पर्यावरण बचाओ), ये जिंदगी अनमोल है (नशा मुक्त हो अपना समाज), दहेज प्रथा, दर्द बेटियों काय बाल श्रम अभिशाप है, गरीबी दैवीय अभिशाप नही, अमानवीय सृष्टी है, जंक फूड एक जहर है, रक्तदान महादान, अंगदान श्रेष्ठ दान, स्वच्छ भारत अभियान, तू जो खिलेगी, हिंदुस्तान खिलेगा (कन्या सशक्तिकरण), भ्रष्टाचार बद्दुआ से कम नहीं है, वोट की कीमत पहचानो, छोटा परिवार सुखी परिवार, बेरोजगारी का इलाज स्वरोजगार, चलो ज्योति का रथ लेकर, मिलावट एक अभिशाप, मुफ्तखोरी देश के लिए अभिशाप है तथा समान नागरिक संहिता (यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी))। उन्होंने बताया कि उनके किताबों की हर एक नजम दिमाग में एक दृश्य का निर्माण करती है और पाठक इसे अंत तक पढता है।

इस अवसर पर समान नागरिक संहिता-क्या, क्यों और कैसे पर संगोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी पर चर्चा करते हुए अशोक नादिर ने कहा कि वैसे जो समान नागरिक संहिता (यूनिफाॅर्म सिविल कोड (यूसीसी))लागू करने के लिए बहुत सी दलीलें दी जाती है, मगर सबसे बड़ा कारण है कि इसके लागू होने के साथ ही महिलाओं की स्थिति में सुधार आएगा। दरसरलख् कुछ धर्मो के पर्सनल लाॅ में महिलाओं के अधिकारों को काफी हद तक सीमित रखा गया है। इसलिए आज के समय में, यूसीसी एक जरूरत बन चुका है। वहीं जो इसके विरोध में हैं, उनकी भी चिंताओं का निवारण होना चाहिए। सरकार को सभी पक्षों को ध्यान में रखकर इस कानून को लागू करना चाहिए।

इस अवसर पर त्रिभाषायी कवि दरबार भी सजाया गया जिसमें प्रेम विज, ईशा नाज़, सोमेश, मधु गुप्ता, अनीश गर्ग, नीरू मित्तल, मधु गुप्ता, गणेश दत्त ने अपनी अपनी कविताओं को बखूबी प्रस्तुत किया और प्रशंसा बटोरी।

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