वास्तु शस्त्र कलयुग की देन नहीं है। हिंदुस्तान के ऋषि मुनियो ने अपने ज्ञान को वेद पुराणों और शस्त्रों में समेट कर आने वाली पीढ़ीओ या युगो के लिए ज्ञान की धरोहर तैयार की थी जो कि अब तक जीवित है और वास्तु शस्त्र भी उसी धरोहर का एक हिस्सा है।भारतवासियो की सब से बड़ी कमजोरी है कि वो अपने देश की धरोहर और ज्ञान के पिटारे पर विश्वास न कर के पाश्चात्य देशो द्वारा बताये गए ज्ञान पर विश्वास करते है। अपने ही देश के प्राचीन ज्ञान को ले कर भारतवासियो के विश्वास की नीव कुछ इस कदर कमजोर हो गई है कि अपनी संस्तृति या ज्ञान पर जब पाश्चात्य देशो की मोहर लगती है तब देशवासी अपने ज्ञान को तवज्जो देने लगते है। खेर यहाँ आगे की बात वास्तु पर की जाएगी। ये चंद शब्द उनके लिए थे जो अपने देश के ज्ञान के खजाने को महत्व नहीं देते।
वास्तु में 5 तत्वों में सांमजस्य बैठने की इतनी ताकत है कि आपके घर या कार्यालय के भीतर नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मकता में बदल सकता है और सुख समृद्धि, सफलता और स्वास्थ्य को प्रभावी करने वाली नकारात्मक उर्जाओ को सकारात्मकता में तब्दील कर देता है। ईश्वर ने हर चीज़ में संतुलन बैठाया है जैसे इंसान के शरीर को देखे हर अंग अपने निर्धारित जगह पर जैसे आंख, कान, नाक, हाथ पैर, जीभा सबका आपने एक स्थान है और ये अंग अपने निर्धारित स्थान से हट जाये तो शायद मानव शरीर अपना कार्य ठीक ढंग से नहीं कर पाएगा। ठीक उसी तरह वास्तु में जिस दिशा का जो गुण धर्म महत्व है उस दिशा में उसके विपरीत कार्य हो रहा हो या वीपरित ऊर्जा का सामान वह हो तो उस दिशा को आपने गुण और फायदे दिखाने में बाधा होगी।
वास्तु में ब्रह्मस्थान में महत्व को जानना बहुत जरूरी है। ब्रह्मस्थान शब्द भगवान ब्रह्मा से आया है ब्रह्मा जिन्हे पूरी सृष्टी का निर्माता माना जाता है ब्रह्मस्थान किसी भी सम्पति का केंद्र बिंदु है जहा से वास्तु की दिशाए निर्धारित की जाती है ब्रह्मस्थान को सब महत्वूर्ण मानना चाहिए किउकी ब्रह्मस्थान से ही पूरी सम्पति में ऊर्जा प्रवाहित होती है जिस तरह से इंसान का केंद्र बिंदु उसकी नाभि है नाभि से ही पुरे शरीर में अन्य उर्जाओ का संचार होता है, ब्रह्मस्थान को खाली और ऊँचा रखना सबसे श्रेष्ठ बताया गया है जैसे इंसान की नाभि पर अगर कोई भारी भरकम वस्तु रख दी जाये तो पुरे शरीर की ऊर्जा का संचार रुक जायेगा ठीक उसी तरह ब्रह्मस्थान को भारी कर दिया जाये तो पुरे घर या सम्पति में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बाधित हो जायेगा, इस लिए किसी भी सम्पति का निर्माण करने से पहले ब्रह्मस्थान की जाँच करना आवश्यक है।
पहले की दिनों में घरो और मंदिरो का केंद्र स्थान खुला रखा जाता था माना जाता था की केंद्र जितना खुला होगा ऊर्जा का प्रवाह उतना बेहतर होगा ब्रह्मस्थान क्षेत्र का साफ सुथरा और सुव्यवस्थित होना भी जरूरी है वास्तु शास्त्र के अनुसार ब्रह्मस्थान में तुलसी का पौधा या छोटा सा बगीचा फूल पौधे भी लगाए जा सकते है वास्तु के अनुसार यहाँ की दीवारों का रंग एकसा ही बेहतर रहेगा और यहाँ बीम नहीं रखनी चाहिए, ब्रह्मस्थान में रसोई या कोई और भारी सामान बिजली सम्बंधित उपकरण जनरेटर, इन्वेर्टर नहीं होने चाहिए ये अच्छे स्वस्थ्य को खराब कर सके है ब्रह्मस्थान को व्यव्स्त्थि करने के लिए यहाँ ब्रह्मा के यंत्र को लगाना उत्तम बताया गया है भगवान ब्रह्मा कमल के फूल में विराजमान है तो क्रिस्टल कमल का डेकोरेटिव आइटम भी रखना श्रेष्ठ है वास्तु की इन प्राचीन प्रथाओं को लागू करने से आपके जीवन और आस पास के माहौल और लोगो में सुधर लाने में मदद मिल सकती है।
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Monicka Kambboj, Morvi Astro Vastu