चंडीगढ़
3 जून 2017
दिव्या आज़ाद
लगभग 40 डिग्री के आसपास भरे तापमान के माहौल में , यों तो इस बार एकादशी रविवार की प्रातः 8 बजे आरंभ हो जाएगी और 5 जून ,सोमवार की सुबह 9 बजकर 43 मिनट तक रहेगी परंतु मनाई जाएगी सोमवार को ही । इस दिन निराहार व्रत रख कर भगवान विष्णु उपासना तथा यथाशक्ति दान करने से सभी एकादशियों के पुण्य प्राप्त हो जाते हैं। एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्य निकलने तक जल ग्रहण न करने के विधान के कारण ही इसे निर्जला एकादशी कहते हैं। पूरे साल की 24 एकादशियों के व्रतों को न भी किया जाए तो भी इस अकेले निर्जला एकादशी का संपूर्ण फल प्राप्त हो जाता है। ज्येष्ठ मास के शुक्लपक्ष की इस एकादशी को अपरा एकादशी भी कहते हैं।
इस साल यह एकादशी तुला राशि और चित्रा नक्षत्र पर पड़ रही है अतः इस राशि वालों पर, व्रत रखने व दानादि से शनि की साढ़ेसाती जो शनि के वक्री होने पर 6 अप्रैल से पुनः आरंभ हो गई है, के दुष्परिणामों में भी राहत रहेगी। ज्येष्ठ मास की इस शुक्ल पक्ष की एकादशी पर पांडवों ने भी व्रत रखा था। इस लिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस मास अगले दिन 6 जून से पूर्णिमा पक्ष के वटसावित्री व्रत भी आरंभ हो रहे हैं।
क्या है इस व्रत का आधुनिक युग में औचित्य एवं सार्थकता ?
निर्जल व्रत अत्याधिक श्रम – साध्य होने के साथ साथ , कष्ट एवं संयम साध्य भी है। यह एक शारीरिक परीक्षण का दिन भी है जब आप अपनी शारीरिक क्षमता का परीक्षण कर सकते हैं कि आप कैसे भूखे प्यासे एक दिन क्या संयम से निकाल सकते हैं? आधुनिक युग और आने वाले समय में जल का अभाव रहेगा। जल की बचत करना भी सिखाता है यह पर्व। जैसे इस वर्ष देश के कई भागों में जल संकट छाया रहा। लोग एक एक बूंद के लिए तरसते रहे । ऐसी आपात स्थिति में यदि किसी को जल के बिना रहने की आदत नहीं होगी तो वह मरणासन्न हो सकता है।
रमजान हो या करवा चैथ या निर्जला एकादशी का उपवास । ऐसा व्रत आपात काल में भी जीना सिखाता है। ऐसे व्रत हमारे धर्म, संस्कृति और देश में किसी न किसी उदे्श्य से रखे गए हैं ताकि हम जीवन में किसी भी आपात स्थिति से निपट सकें। इसी तरह का हमारे यहां करवा चैथ का व्रत भी है जो महिलाओं को आपात स्थिति से निपटने का एक प्रशिक्षण है कि कैसे बिना कुछ खाए पिये आपात स्थिति से निपटा जा सकता है। अर्थात हमारी संस्कृति में ये दो पर्व ‘डिजास्टर मैनेजमेंट ’ की भूमिका निभाते हैं।
गर्मी से समाज के सभी वर्गों को राहत मिले , इसी लिए इन दिनों मीठे व ठंडे जल की छबीलें लगाने की प्रथा , उत्तर भारत में सदियों से चली आ रही है। जहां जलाभाव है ,वहां इसकी पूर्ति की जाए। जेठ की तपती गर्मा में , इसी कारण हमारे धर्म में आज के दिन खरबूजे, पंखे , छतरियां, आसन,फल, जूते ,अन्न , भरा हुआ जल क्लश आदि दान करने का प्रावधान हैं ताकि सबल समाज द्वारा ,निर्बल और असहायों की सहायता हो और हमारे देश के जीवन दर्शन- ‘सरबत दा भला’ क्रियात्मक रुप में प्रचारित एवं प्रसारित किया जा सके। जल ही जीवन है जैसे नारों को सार्थक बनाता यह दिवस और जल संरक्षण का इशारा करता यह पर्व , निर्जल रहने का प्रशिक्षण देता यह व्रत भविश्य में और सार्थक होने जा रहा है।
व्रत विधिः
व्रती को दशमी के दिन से ही नियमों का पालन आरंभ कर देना चाहिए । एकादशी के दिन ‘ओम् नमो वासुदेवाय ’ मंत्र का जाप करना चाहिए। प्रातः स्नान के बाद एक जल क्लश को भर कर पूजा स्थान पर रख कर सफेद वस्त्र से ढंक दें । ढक्क्न पर चीनी या कोई मिश्ठान व दक्षिणा रख दें। ओम नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें । लक्ष्मी कामना के लिये लक्ष्मी सहस्त्र नाम का पाठ करते हुए लक्ष्मी जी के चित्र या मूर्ति पर लाल पुष्प अर्पित करें ।
रात्रि में भजन कीर्तन करें। धरती पर विराम या शयन करें । यथा शक्ति ब्राहमण अथवा जरुरत मंदों को यह क्लश दान दें। वैसे इस दिन गोदान के साथ साथ गंगा स्नान का भी विशेश महत्व माना गया है। द्वादशी के दिन तुलसी के पत्तों आदि से भगवान विश्णु की आराधना करनी चाहिए। पूजा पाठ के बाद ब्राहमण या किसी जरुरतमंद को भोजन करवा कर दान सहित विदा करना चाहिए।उसके पश्चात ही स्वयं भोजन ग्रहण करना चाहिए। पुरातन काल में ब्राहमण वर्ग को निर्धन माना जाता था । इसी लिए हर प्रकार का दान उन्हें ही दिया जाता था। आज यदि यह वर्ग साधन संपन्न है तो तो देश ,काल एवं परिस्थिति अनुसार दान की पात्रता निर्धन वर्ग की बनती है। अतः हर धार्मिक कृत्य में दान वर्गानुसार की अपेक्षा जरुरत मंद को देने से अधिक पुण्य मिलेगा।
राशि अनुसार जल के अलावा क्या दान करें-
मेष- सात अनाज दान करें।
बृष- सफेद वस्त्रों का दान – करेगा कल्याण।
मिथुन- हरे फल, आम, खरबूजे का दान लाएगा गृहस्थी में हरियाली।
कर्क- कहीं जल की व्यवस्था, वाटर कूलर ,पंखे , कूलर का दान रखेगा कर्क रोग अर्थात कैंसर से दूर।
सिंह- एयर कंडीशनर या धर्म स्थानों पर विद्युत उपकरण लगाएंगे, जीवन में सुख समृद्धि एवं वृद्धि पाएंगे।
कन्या – अनाथालय या लंगर में हरी सब्जियां व खरबूजे दान करें।
तुला- आपकी राशि में है निर्जला एकादशी। मीठे जल या पेय की छबील लगाएं।
बृश्चिक – भगवान विष्णु का स्मरण और तरबूज का दान लाभकारी सिद्ध होगा।
धनु-पीला ठंडा केसर युक्त दूध वितरित करें।
मकर- छतरी , जल पात्र, कलश का दान बढ़ाएगा मनोबल। छायादार वृक्षारोपण या शेल्टर का निर्माण कर सकते हैं ।
कुंभ- जल से भरा कुंभ, कूलर, फ्रिज, वाटर कूलर यथा शक्ति दान करें। एंबुलेंस वाहन का दान करेगा कल्याण।
मीन- ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः का पाठ और सर्व भूत हिते रताः की भावना से सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पेड़ लगाना आपको निरोगी काया, औरों को छाया देगा।