चंडीगढ़
15 नवंबर 2024
दिव्या आज़ाद
सतिगुर नानक प्रगटिआ
मिटी धुंध जग चानण होआ
जिउ कर सूरज निकलिआ तारे छपि अँधेर पलोआ ॥”
गुरदास जी द्वारा रचित इन पावन पंक्तियों का अर्थ है कि जब गुरु नानक साहिब का जन्म हुआ तब यह संसार झूठे सामजिक बंधनों, पाखण्डवाद, समाजिक कुरीतियों, जाति-पाति भेद भाव आदि में लिप्त था, जब गुरु साहिब के आगमन हुआ तो ये सभी प्रकार कि कुरीतियों कि बुराई रूपी धुंध मिट गई उनके नाम का सूर्य उदय हुआ तारे छिप गए और अंधकार समाप्त हुआ तथा संसार प्रकाशमान हो गया।
आज समूची नानक नाम लेवा संगत तथा देश- विदेश में गुरु नानक देव जी का प्रकाश दिवस मनाया जा रहा है इसी सम्बन्ध में गुरुद्वारा कलगीधर खेड़ी सेक्टर 20 चंडीगढ़ में भी कथा-कीर्तन समागम रखे गए जिसमें विशेष रूप से श्री दरबार साहिब अमृतसर से आये रागी जत्थों ने हाजरी भरी।
गुरु साहिब के प्रकाश पर्व के सम्बन्ध में दो रोज़ पहले से ही श्री अखंड पाठ साहिब आरम्भ किये गए जिनके भोग पड़े। उपरांत कथा कीर्तन दीवान सजाये गए , भाई गुरभेज सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अमृतसर साहिब, भाई हरजीत सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अमृतसर साहिब, भाई इच्छपाल सिंह जी हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अमृतसर साहिब, भाई कुलदीप सिंह जी हजूरी रागी बाग़ शहीदां सेक्टर 44, बीबी बलवंत कौर जी मोहाली वाले, इस्तरी सतिसंग जत्था गुरुद्वारा कलगीधर खेड़ी सेक्टर 20 चंडीगढ़ तथा भाई गुरप्रीत सिंह जी हजूरी रागी गुरुद्वारे कलगीधर खेड़ी सेक्टर 20 चंडीगढ़ द्वारा कीर्तन हाजरी लगाई है , गुरद्वारा साहिब के हैड ग्रंथी भाई मनदीप सिंह जी द्वारा गुरु नानक साहिब जी के जीवन, आदर्शों – विचारों से संगत को निहाल किया।
इन सारे समागमों में संगत ने बढ़ -चढ़कर भाग लिया और गुरु घर की खुशियां प्राप्त की। गुरुद्वारे कलगीधर खेड़ी की प्रबंधक कमैटी सेक्रेटरी हुकम सिंह जी, मोहिंदर सिंह जी, हरमीत सिंह जी, गुरप्रीत सिंह जी, प्रितपाल सिंह जी तथा मुख्य सेवादार गुर इन्दर बीर सिंह जी इन सारे समागमों मने मौजूद रहे, गुर इन्दर बीर सिंह जी ने कहा कि गुरु नानक साहिब एक महान दार्शनिक, समाज सुधारक तथा सच्चे भक्त थे जिन्होंने निर्मल भेदभाव रहित समाज की सृजना पर जोर दिया गुरु साहिब की बाणी ही संसार में फैले हुए अंधकार को दूर कर सकती है, गुरु साहिब की बाणी हम सब को भेद- भाव मिटा कर कर एक होने का सन्देश देती है, गुरु साहिब की बाणी में सामाजिक कुरीतियां जैसे धार्मिक भेद-भाव, जाति-पाति के नाम पर गरीबों के शोषण और स्त्रियों के शोषण का विरोध है।
आपने अपने समकालीन मुग़ल राजा बाबर के आक्रमण से हुई मानवता की क्षति मुखर रूप से विरोध किया।
हमें भी गुरु साहिब के बताए मार्ग पर चलना चाहिए
प्रधान गुर इन्दर बीर सिंह जी ने समूची साध संगत को गुरु साहिब के आगमन पूर्व की बधाई दी।
इन सभी समागमों में कॉफ़ी- पकौड़े, देसी घी के लड्डू तथा गुरू के अटूट लंगर वितरित किए गए। गुरुद्वारा साहिब को बहुत सुंदर रौशनी वाली विशेष प्रकार की लड़ियों से सजाया गया दीवाना हाल में हैं विशेष प्रकार के फूलों से सजावट की गई।