अनीशा राय के मधुर गायन की प्रभावशाली प्रस्तुति

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चंडीगढ़
11 अगस्त 2017

दिव्या आज़ाद

प्राचीन कला केन्द्र द्वारा हर माह आयोजित होने वाली मासिक बैठकों की श्रृखलां को आगे बढ़ाते हुए आज दिनांक 11 अगस्त को मिनी टैगोर थियेटर में 237वीं बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें दिल्ली से आई जानीमानी षास्त्रीय गायिका अनीषा राय ने अपने षास्त्रीय गायन की मधुर प्रस्तुति देकर एक अछूती षाम को संजोया।
अनीषा हिंदोस्तानी षास्त्रीय संगीत की युवा एवं प्रतिभावान गायिका है। जिन्होने संगीत जगत में अपना मुकाम स्थापित किया है। बनारस घराने से संबधित अनीषा को बचपन से ही संगीत में गहरी रूचि थी। उन्होने ने अपने मामा श्री ष्यामष्संुदर दास से संगीत की प्रांरभिक षिक्षा ग्रहण की। इसके पष्चात विख्यात गुरू मानस चक्रव्रती से संगीत की बारीकियां सीखीं। बनारस घराने की विषेषताएं अनीषा ने गुरू सारथी चैटर्जी से सीखीं और आज अनीषा बनारस घराने की युवां कलाकारों की पहली कतार में खड़ी है। अनीषा ने कई सम्मानजनक कार्यक्रमों में षिरकत की है और अपनी कला प्रतिभा का बखूबी प्रर्दषन किया है।
कार्यक्रम का आंरभ अनीषा ने राग मारू बिहाग से किया जिसमें उन्होने बड़ा ख्याल में निबद्ध रचना ‘‘ऐ री हम जात रही ’’ प्रस्तुत करके दर्षको को सहज ही अपने गायन से बाँध लिया। उपरांत एक ताल में निबद्ध अतंरा ‘‘मुरली अधर धरी ’’ प्रस्तुत करके खूब तालीयां बटोरी। इसके पष्चात तीन ताल में निबद्ध द्रुत बदिषं ‘‘ ‘‘ छोड़ो न मायको जाने दो बलमा ’’ पेष करके सहज ही अनीषा ने दर्षकों को अपने गायन के साथ बांध लिया।
कार्यक्रम का समापन अनीषा ने भैरवी से किया। जिसमें उन्होने द्रुत एक ताल में निबद्ध रचना ‘‘ षाम सुदंर मदन मोहन ’’ पेष करके गायकी पर अपनी मजबूत पकड़ को बखूबी प्रस्तुत किया जिसे सुनकर दर्षक भावविभोर हो गए। इनके साथ मंच पर तबले पर युवा एवं प्रतिभाषाली तबलावादक सुकातां बाजपेयी एवं हारमोनियम पर प्रतिभावान आषिक कुमार ने बखूबी संगत की केन्द्र की रजिस्ट्ार डाॅ. षोभा कौसर ने कलाकारों को पुष्प देकर सम्मानित किया।

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