आजकल 64/28 चण्डीगढ़ कांग्रेस भवन बना हुआ है। कोई भी जरूरी मीटिंग होती है तो 64/28 में। कांग्रेस के लिए कोई भी जरूरी काम या मत्ता (प्रस्ताव) पास करना है तो 64/28 में। 64/28 यानी चण्डीगढ़ के सेक्टर 28-ऐ की कोठी नं. 64 जोकि पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल का निवास स्थान है। चण्डीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा तो आजकल सेक्टर 35 में स्थित राजीव गाँधी कांग्रेस भवन में क्लर्क की भूमिका निभा रहे हैं। जो भी एजेंडा या मत्ता 64/28 से आता है वे उस पर कांग्रेस भवन की स्टैम्प लगा कर साइन कर देते हैं। पार्टी के बड़े पदाधिकारी भी आजकल 64/28 में अपनी हाजरी लगवाने जाते हुए पाए जातें हैं।
पवन बंसल ने पार्टी की गतिविविधियों को प्रेस नोट व ब्यान जारी करने तक सीमित कर दिया है। इसका उदहारण अभी हाल ही में लीज होल्ड प्रॉपर्टियों को फ्री होल्ड में बदलने के लिए शहर की जनता पर थोपीं गईं ऊंची दरों से सम्बंधित हैं। ये अव्यवहारिक दरें प्रशासन के अधिकारियों ने भाजपा के नेताओं के इशारे पर लागूं कीं हैं। इस मुद्दे पर शहर की जनता आक्रोशित है परन्तु कांग्रेस के नेता केवल ब्यान देकर चुप बैठ गए हैं जबकि इन दरों को बदलवाने के लिए सडक़ पर निकलना चाहिए था तथा धरना-प्रदर्शन करके जनता के आक्रोश को आवाज देनी चाहिए थी।
हालत ये हो रखी है कि पुराने कार्यकर्ताओं को जहां एक तरफ नजरअंदाज किया हुआ है वहीँ नए कार्यकर्त्ता पार्टी में आ नहीं रहे और ये सब हो रहा है पवन बंसल की वजह से। चण्डीगढ़ कांग्रेस के तीन जिले हैं और इन जिलों में यूथ कांग्रेस के पदाधिकारियों व वर्कर्स को ही पदभार दे दिए गए हैं क्योंकि पार्टी में नए-पुराने कार्यकर्ताओं का अकाल पड़ा हुआ है। पवन बंसल को ब्लॉक प्रधानों के 25 पद भरने के लिए पसीने छूट गए और इनमें से भी 60 फीसदी प्रधान ऐसे हैं जिन्होंने कभी कांग्रेस के लिए कोई काम नहीं किया व ना ही ये कभी पार्टी से जुड़े थे यानी 25 में से लगभग 15 ब्लॉक प्रधान इस पद के लिए बिलकुल अयोग्य हैं।
इसी प्रकार कांग्रेस के करीब 15 सैल्स (प्रकोष्ठों) के प्रधान भी नहीं लगा पाए। इन सभी सैलों में हरेक में लगभग 100 से 200 तक पदाधिकारी एवं सदस्य होते हैं। ये सभी अपने-अपने क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी की नीतियों व विचारधारा के प्रचार-प्रसार तथा विभिन्न वर्गों की समस्यायों के हल के लिए कार्य करते हैं। इन प्रकोष्ठों में मुख्यत: अर्बन डेवलपमेंट सैल, एस.सी. सैल, एस.टी. सैल, व्यापारी सैल, टीचर सैल, डॉक्टर सैल, कॉलोनी सैल, रूरल सैल, स्पोर्ट्स सैल, सीनियर सिटीजन सैल, फ्रीडम फाइटर सैल, एम्प्लाइज सैल, रेहड़ी-फड़ी सैल आदि शामिल हैं।
जब ब्लॉक कमेटियां ही ढंग से गठित हुईं व सैल बनें ही नहीं तो 2019 तक बूथ लेवल कमेटियां कैसे बनेंगीं। चण्डीगढ़ में करीब 540 पोलिंग बूथ हैं। अगर 2019 में बीजेपी को हराना है और अपनी चण्डीगढ़ की सीट वापिस लेनी है तो किसी नौजवान एवं कर्मठ नेता को यहाँ से टिकट देनी होगी जोकि यहाँ पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करके उनमें उत्साह का संचार कर सके और पार्टी को फिर से खड़ा कर सके।