कहाँ से आ जाते हैं अफवाहें फैलाने वाले,
 भोले भाले लोगों को यूँही भड़काने वाले।
      क्या मिलता है इनको झूठी अफवाहें फैलाने से,
      बिना बात के लोगों को आपस मे लड़वाने से।
कई लोग जो कुछ कम पड़े लिखे होते हैं,
कुछ लोगों की बातों में यूँही आ जाते है।
      पड़े लिखे ही अनपढ़ों को मूर्ख बना जाते हैं,
      नुकसान किसीका होता है ये खुश हो जाते हैं।
भाखड़ा डैम से जब शहरों में हुई बिजली की सप्लाई,
नहर के पानी से बिजली निकाली, पानी फोका है भाई।
कोई ना पिये नहर का पानी न जाने कोई सच्चाई,
ये अफवाह है बिल्कुल झूठी जनता जान ना पायी।
बड़ी मुश्किल से लोगों ने अनपढ़ों को समझाया,
सत्य बता कर ही बिजली को घरों में पहुंचाया।
नोट बन्दी के वक्त 10 रुपये के सिक्के नक़ली,
यह अफवाह लोगों में किसीने जाकर फैलाई।
दूकानदारों नें 10 रुपये की सिक्कों को ठुकराया,
इसका खंडन सरकार ने करके सबको समझाया।
झूठी अफवाहों से रोज़ कितने हादसे हो जाते हैं,
अफवाहों के कारण मेलों में कई लोग मर जाते हैं।
अफवाहें फैलाने वालों से सावधान रहना होगा,
बिना परखे ख़बर किसी को निर्णय ना लेना होगा।
अफवाहें फैलाने वाले सबको आपस में लड़वाते हैं,
देश के दुश्मन हैं जो देश में अराजकता फैलाते हैं।
बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़

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