भूली बिसरी यादें लेकर फिर आयी रात तूफानी,
बिजली कड़के, बादल गरजें बरसे वर्षा का पानी।
याद है मुझको आज भी कहर की वो रात,
बिजली गुल थी ओर जोरों की थी बरसात।
समझ ना पाए कैसे घर में घुस आया पानी,
मुश्किल हो गयी जब अपनी जान बचानी।
भूली बिसरी……
समान छोड़ छत पर पहुंचा घर का हर प्राणी,
सर पर ना छाता ना ही थमता वर्षा का पानी,
चेहरे नज़र ना आएँ, बस बोली बनी निशानी,
ठुरक रहे थे सब कठिन हो गयी रात बितानी।
भूली बिसरी……
सुबह भी बारिश ना थमी चारों तरफ पानी पानी,
सामान घर का बह गया साथ बहे वर्षा का पानी।
शाम को जब बरसात थमी घर से निकला पानी,
बर्बादी का वो मंज़र अब है इक बीती कहानी।
भूली बिसरी यादें लेकर फिर आयी रात तूफानी,
बिजली कड़के, बादल गरजें बरसे वर्षा का पानी।
-बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़