आज हम आपके लिए एक जबरदस्त आईडिया लेकर आए हैं। अगर आप किसी को ब्लैकमेल कर रहे हैं और वो आपकी तस्वीरें लेकर आपको फसा दे तो आपने बस यह कहना है कि मैं तो एड के पैसे लेने गया था। ऐसा करने से आप बच जाएंगे और किसी को कुछ पता नहीं चलेगा।
यह आईडिया चंडीगढ़/मोहाली एक हिंदी चैनल (इलेक्ट्रॉनिक चैनल) के एक पत्रकार से प्रेरित होकर लिया गया है। इन जनाब ने भी कुछ ऐसा ही किया था। सबको मालूम है कि यह जनाब कितने बड़े ब्लैकमेलर हैं लेकिन एक बड़े चैनल का नाम साथ लेकर घूमते हैं इसलिए किसी की हिम्मत नहीं होती इनको कुछ कहने की।
इतना ही नहीं इन साहब ने तो अपना भी एक खुद का चैनल खोल रखा है जो न तो कहीं से सर्टिफाइड है और न ही जिसका कोई स्टाफ है। ये साहब जैसे ही किसी और पत्रकार को किसी चैनल से जुड़ता हुआ देखते हैं वैसे ही यह खुद उस चैनल में घुसने की तरकीबें लगाने लगते हैं। अकसर प्रेस कॉन्फ्रेंस में इनको बड़े बड़े सवाल पूछते हुए देखा गया है, लेकिन इनकी पोल तब खुलती है जब कोई चैनल इनकी खबर चलाता ही नहीं है। इनको एक और शौंक भी है, इनको जो एरिया के लिए काम करने के लिए कहा जाता है वह छोड़कर ये दूसरों के क्षेत्रों और बीट्स में घुसने लगते हैं।
हाल ही में ब्लैकमेलर साहब को अपने असली रूप में देखा गया। बात है जिला मोहाली की….
इन्होंने एक अखबार के पत्रकार, और एक पूर्व-फोटोग्राफर के साथ मिलकर एक इमीग्रेशन कंपनी को ब्लैकमेल करने शुरू किया। घबराकर कंपनी इनको पैसे देने के लिए राजी हो गई लेकिन साहब को पता नहीं था कि यह फसने वाले हैं। ब्लैकमेलर साहब पहुंचे पैसे लेने के लिए, कंपनी के व्यक्ति ने इनको 20 हज़ार रुपए पकड़ाए और दूसरे ने छुपकर तस्वीरें ले ली। तीसरे ने वीडियो भी बना लिया। अब मामला पहुंचा थाने में।
जैसा कि हम बता चुके हैं कि एक अखबार का पत्रकार भी इसमें शामिल था इसलिए उसने थाने के एसएचओ को किसी तरह मामला खत्म करने के लिए मना लिया। तस्वीरें तो कुछ बाहर भी आई लेकिन वीडियो को बाहर आने ही नहीं दिया गया। इस मामले को इस तरह से दबाया गया कि 2 हफ्ते पहले हुई इस घटना की जानकारी केवल कुछ चैनल के लोगों तक ही पहुंची।
जब बारी आई ब्लैकमेलर साहब की सफाई की तो वे यह कहकर निकल लिए कि मैं तो कंपनी से एड के पैसे लेने गया था। उन्होंने बिना मतलब ही तस्वीरें लेकर मुझे बदनाम किया है। अब ब्लैकमेलर जी से कोई पूछे कि जब आप ऑथोराइज़्ड ही नहीं थे एड के लिए तो किस एड के पैसे लाये हैं? दूसरा, अगर एड के पैसे लिए भी थे तो कहां है वो एड? हम सब देखना चाहेंगे उस एड को जो इनको थाने तक ले गई।
पर जो भी कहें, ब्लैकमेलर साहब ने सभी भ्रष्टाचारी और साथी ब्लैकमेलर पत्रकारों/फोटोग्राफरों/कैमरामैन को क्या बढ़िया आईडिया दिया है। जब भी पकड़े जाएं तो कहें एड के पैसे हैं भाई! मैं तो ईमानदारी से अपना काम करने आया हूँ।
व्हाट एन आईडिया सर जी!!