चंडीगढ़
31 अक्तूबर 2020
दिव्या आज़ाद
कार्तिक कृष्ण पक्ष में करक चतुर्थी अर्थात करवा चौथ का लोकप्रिय व्रत सुहागिन और अविवाहित स्त्रियां पति की मंगल कामना एवं दीर्घायु के लिए निर्जल रखती हैं। इस दिन न केवल चंद्र देवता की पूजा होती है अपितु शिव-पार्वती और कार्तिकेय की भी पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए गौरी पूजन का भी विशेश महात्म्य है।आधंुनिक युग में चांद से जुड़ा यह पौराणिक पर्व महिला दिवस से कम नहीं है जिसे पति व मंगेतर अपनी अपनी आस्थानुसार मनाते हैं।
विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं। विवाहित महिलाएँ भगवान शिव माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ.साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं। करवा चौथ का व्रत कठोर होता है और इसे अन्न और जल ग्रहण किये बिना ही सूर्योदय से रात में चन्द्रमा के दर्शन तक किया जाता है। करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण जो कि अर्घ कहलाता है किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।
4 नवंबर, बुधवार
करवा चौथ पूजा मुहूर्त- 17:29 से 18:48
चंद्रोदय- 20:16 च्ंाद्रोदय का समय- रात्रि 8 बजकर 15 मिनट पंचांगानुसार
परंतु वास्तव में कई नगरों में यह पौने 9 से 9 बजे केे मध्य दिखेगा।
चतुर्थी तिथि आरंभ- 03:24 (4 नवंबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त- 05:14 (5 नवंबर)
क्या है सरगी का वैज्ञानिक आधार ?
व्रत रखने वाली महिलाओं को उनकी सास सूर्योदय से पूर्व सरगी ‘सदा सुहागन रहो’ के आशीर्वाद सहित खाने के लिए देती हैं जिसमें फल, मिठाई, मेवे, मटिठ्यां ,सेवियां, आलू से बनी कोई सामग्री, पूरी आदि होती है।यह खाद्य सामग्री शरीर को पूरा दिन निर्जल रहने और शारीरिक आवश्यकता को पर्याप्त उर्जा प्रदान करने में सक्षम होती है। फल में छिपा विटामिन युक्त तरल दिन में प्यास से बचाता है।फीकी मटठ्ी उर्जा प्रदान करती है और रक्त्चाप बढ़ने नहीं देती।मेवे आने वाली सर्दी को सहने के लिए शारीरिक क्षमता बढ़ाते हैं।मिठाई सास बहू के संबंधों में मधुरता लाने का जहां प्रतीक है ,वहीं यह व्रत के कारण शुगर का स्तर घटने नहीं देती जिससे शरीर पूरी क्षमता से कार्य करता है और व्रत बिना जल पिए सफल हो जाता है।यह व्रत शारीरिक व मानसिक परीक्षा है ताकि वैवाहिक जीवन में विशम व विपरीत परिस्थितियों में एक अर्धांगनी , पति कासाथ निभा सके। भूखे प्यासे और शांत रहने की कला सीखने का यह भारतीय सभ्यता व संस्कृति में पर्वोंं के माध्यम से अनूठा प्रशिक्षण है।चंद्र सौंदर्य एवं मन का कारक ग्रह है अतः चंद्रोदय पर व्रत खोलने से मन में शीतलता का संचार होता है और सोलह श्रृंगार किए पत्नी देख कर कुरुपता में भी सौंदर्य बोध होता है।
करवा चौथ की पूजन सामग्री
करवा चौथ के व्रत से एक-दो दिन पहले ही सारी पूजन सामग्री को इकट्ठा करके घर के मंदिर में रख दें. पूजन सामग्री इस प्रकार है- मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, पानी का लोटा, गंगाजल, दीपक, रूई, अगरबत्ती, चंदन, कुमकुम, रोली, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, देसी घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, चीनी का बूरा, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा के पैसे.
करवा चौथ की पूजा विधि?
– करवा चौथ वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें.
– अब इस मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें- ”मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये”.
– सूर्योदय से पहले सरगी ग्रहण करें और फिर दिन भर निर्जला व्रत रखें.
– आठ पूरियों की अठावरी बनाएं. मीठे में हल्वा या खीर बनाएं और पकवान भी तैयार करें.
– अब पीली मिट्टी और गोबर की मदद से माता पार्वती की प्रतिमा बनाएं. अब इस प्रतिमा को लकड़ी के आसान पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी और बिछुआ अर्पित करें.
– जल से भर हुआ लोट रखें.
– करवा में गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें.
– रोली से करवा पर स्वास्तिक बनाएं.
– अब गौरी-गणेश और चित्रित करवा की पूजा करें.
– पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें- ”ऊॅ नम: शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥”
– करवा पर 13 बिंदी रखें और गेहूं या चावल के 13 दाने हाथ में लेकर करवा चौथ की कथा कहें या सुनें.
– कथा सुनने के बाद करवा पर हाथ घुमाकर अपने सभी बड़ों का आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें.
– पानी का लोटा और 13 दाने गेहूं के अलग रख लें.
– चंद्रमा के निकलने के बाद छलनी की ओट से पति को देखें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें.
– चंद्रमा को अर्घ्य देते वक्त पति की लंबी उम्र और जिंदगी भर आपका साथ बना रहे इसकी कामना करें.
– अब पति को प्रणाम कर उनसे आशीर्वाद लें और उनके हाथ से जल पीएं. अब पति के साथ बैठकर भोजन करें.
कैसे करें पारंपरिक व्रत?
प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके पति,पुत्र,पौत्र,पत्नी तथा सुख सौभाग्य की कामना की इच्छा का संकल्प लेकर निर्जल व्रत रखें। शिव ,पार्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमा या चित्र का पूजन करें। बाजार में मिलने वाला करवा चौथ का चित्र या कैलेंडर पूजा स्थान पर लगा लें। चंद्रोदय पर अर्घ्य दें। पूजा के बाद तांबे या मिटट्ी के करवे में चावल, उड़द की दाल भरें । सुहाग की सामग्री,- कंघी,सिंदूर ,चूड़ियां,रिबन, रुपये आदि रखकर दान करें। सास के चरण छूकर आर्शीवाद लें और फल, फूल, मेवा, बायन, मिष्ठान,बायना, सुहाग सामग्री,14पूरियां ,खीर आदि उन्हें भेंट करें। विवाह के प्रथम वर्ष तो यह परंपरा सास के लिए अवश्य निभाई जाती है। इससे सास- बहू के रिश्ते और मजबूत होते हैं।
चंद्र राशि एवं सामर्थ्य अनुसार क्या दें उपहार और किस रंग की पहनें ड्र्ेस इस पर्व पर ?
1.मेष: उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्निक उपकरण दें । ड्र्ेस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट या लंहगा ।
2.बृष: उपहार:डायमंड या चांदी का अलंकरण । ड्र्ेस: लाल व सिल्वर साड़ी या सूट।
3.मिथुनः उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्ानिक उपकरण दें । ड्र्ेस: हरी बंधेज साड़ी या सूट, हरी – लाल चूड़ियां।
4.कर्कः उपहार:चांदी का गहना दें । ड्र्ेस: लाल सफेद साड़ी या सूट, मल्टी कलर चूड़ियां।
5.सिंहः उपहार:गोल्डन वाच दें । ड्र्ेस: लाल , संतरी, गुलाबी ,गोल्डन साड़ी या सूट।
6.कन्याः उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्निक उपकरण दें । ड्र्ेस: लाल हरी गोल्डन साड़ी या सूट।
7.तुलाः उपहार:कास्मैटिक्स दें । ड्र्ेस: लाल सिल्वर गोल्डन साड़ी,लहंगा या सूट।
8.बृश्चिकः उपहार:विद्युत या इलेक्ट्र्निक उपकरण दें । ड्र्ेस: लाल ,मैरुन ,गोल्डन साड़ी या सूट।
9.धनुः उपहार:पिन्नी या पीला पतीसा ,लडडू दें । ड्र्ेस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट व 9 रंग की चूड़ियां।
10.मकरः उपहार:विवाह की ग्रुप फोटो ग्रे फ्रेम में गीफट करें । ड्र्ेस: इलैक्ट्र्कि ब्लू साड़ी या सूट।
- कुंभःउपहार:हैंड बैग ,ड्र्ाई फू्रट,चाकलेट दें । ड्र्ेस: नेवी ब्लू व सिल्वर कलर की मिक्स साड़ी या सूट।
12.मीनः उपहार:राजस्थानी थाली में कोई गोल्ड आयटम और ड्राई फू्रट । ड्र्ेस: लाल गोल्डन साड़ी या सूट।
कुछ कॉमन गीफट
- सोना – चूड़ी ब्रेसलेट इयरिंग्स टॉप्स भी हो सकते हैं । 2. डायमंड – खूबसूरत रंगों में आ रहे हैं। 3. पेंटिंग 4. फोटो कॉलाज-शादी से लेकर अब तक के फोटो ले सकते हैं ।
विशेष उपाय
दांपत्य जीवन में आई दरार को दूर करने या वैवाहिक जीवन को और आनंदमय बनाने के करवा चौथ पर विशेष उपाय
यदि आपके वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियां हैं या ‘पति-पत्नी के मध्य किसी वो ’ के आगमन से विस्फोटक स्थिति बन गई है तो इस करवा चौथ के अवसर पर हमारे ये प्रयोग करने से न चूकें।ये उपाय सरल ,सफल अहिंसक एवं सात्विक हैं जिससे किसी को शारीरिक नुक्सान नहीं पहुंचेगा और आपके दांपत्य जीवन में मधुरता भी लौट आएगी।
ऽ जीवन साथी का सान्निध्य पाने के लिए, एक लाल कागज पर अपना व जीवन साथी का नाम सुनहरे पैन से लिखें । एक लाल रेशमी कपड़े में दो गोमती चक्र, 50 ग्राम पीली सरसों तथा यह कागज मोड़ कर एक पोटली की तरह बांध लें। इस पोटली को कपड़ों वाली अलमारी में कहीं छिपा कर करवा चौथ पर रख दें। अगले करवा पर इसे प्रवाहित कर दें।
ऽ यदि पति या पत्नी का ध्यान कहीं और आकर्शित हो गया हो तो आप जमुनिया नग ‘ परपल एमीथीस्ट’ 10 से 15 रत्ती के मध्य चांदी या सोने के लॉकेट में बनवा कर, शुद्धि के बाद करवा चौथ पर धारण कर लें।
ऽ यदि आप अपने जीवन साथी से किसी अन्य के कारण उपेक्षित हैं तो करवा चौथ के दिन 5 बेसन के लडडू, आटे के चीनी में गूंधे 5 पेड़े, 5 केले, 250 ग्राम चने की भीगी दाल, किसी ऐसी एक से अधिक गायों को खिलाएं जिनका बछड़ा उनका दूध पीता हो। करवा चौथ पर इस समस्या को दूर करने के लिए अपने ईश्ट से विनय भी करें।
ऽ यदि पति या पत्नी के विवाहेत्तर संबधों की आशंका हो तो एक पीपल के सूखे पत्ते या भोजपत्र पर ‘उसका’ नाम लिखें । किसी थाली में इस पत्र पर तीन टिक्कियां कपूर की रख कर जला दें और इस संबंध विच्छेद की प्रार्थना करें।
करवा चौथ की कहानी
इस रोज बगैर खाए या पिए महिलाएं अपने पति या होने वाले पति की लंबी उम्र की कामना में व्रत रहती हैं करवा चौथ को लेकर कई कहानियां हैं-एक कहानी महारानी वीरवती को लेकर है-सात भाइयों की अकेली बहन थी वीरवती-घर में उसे भाइयों से बहुत प्यार मिलता था-उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत अपने मायके यानी पिता के घर रखा- सुबह से बहन को भूखा देख भाई दुखी हो गएण् उन्होंने पीपल के पेड़ में एक अक्स बनायाए जिससे लगता था कि चंद्रमा उदय हो रहा है- वीरवती ने उसे चंद्रमा समझाण् उसने व्रत तोड़ दिया ण्जसे ही खाने का पहला कौर मुंह में रखाए उसे नौकर से संदेश मिला कि पति की मौत हो गई है ण्वीरवती रात भर रोती रही – उसके सामने देवी प्रकट हुईं और दुख की वजह पूछी- देवी ने उससे फिर व्रत रखने को कहा ण्वरवती ने व्रत रखा उसकी तपस्या से खुश होकर यमराज ने उसके पति को जीवित कर दिया
मदन गुप्ता सपाटू, 9815619620