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बीडीपीओ के खिलाफ एकजुट हुई चंडीगढ़ के 12 गाँवों की पंचायतें

 चंडीगढ़

7 अगस्त 2018 

दिव्या आज़ाद                            

50 सालों में पहली बार हुआ है कि पंचायतों द्वारा किए गए कार्यों के बिलों को ( ए सी एफ ) द्वारा जांच के लिए भेजना और कई-कई महीनों तक उसकी पेमेंट ना करनाजिसके कारण गांव की पंचायतों का अब बुरा हाल हो गया है। पंचायत अपने विकास के कार्य नहीं कर पा रही हैे और गांव की हालत और भी बतर होती जा रही है । यह कहना है चंडीगढ़ की  सरपंच एसोसिएशन का।

चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आज हुई एक प्रेस कांफ्रेंस में एसोसिएशन के सदस्यों ने कहा कि बी डी पी ओ द्वारा सभी पंचायतों को शक की निगाहों से देखना और उनके कार्यों को अनदेखा करना और सभी कार्यों में मैं अपनी आपत्ति जताना । जिससे गांव की सभी पंचायतें को परेशानी हो रही है। ना तो विकास कार्य हो रहा है ना किया जा रहा है।

इसी विषय को लेकर चंडीगढ़ की 12 पंचायतों के सरपंच मिलकर बी डी पी ओ को मिलने के लिए उनके ऑफिस  में गयेसभी काफी समय तक उनके ऑफिस के बाहर खड़े रहे । परंतु बी डी पी ओ ने उन्हें मिलने के लिए नहीं बुलायाआखिरकार सभी सरपंच थक हार कर वह सभी लोग अपने गांव वापस चले गए ।उन्हें मायूसी के सिवा कुछ ना मिला । उन्होंने कहा कि यह चंडीगढ़ के गाँव व पंचायतों के लिए का अपमान बात है । उन सभी के साथ इस प्रकार का व्यवहार किया जा रहा है, जो काफी शर्मनाक है ।

उन्होंने आगे कहा कि जब से बीडीपीओ ने अपना कार्यभार संभाला है तब से चंडीगढ़ के 12 गांव की खस्ता हालत हो गई है । गांव के सारे विकास कार्य ठप पड़े हैंकोई तरक्की नहीं हो पा रही है हर किसी कार्य में टाल मटोल किया जा रहा है और उसे रोका जा रहा है । जिसे पंचायतों का बुरा हाल हो चुका है ना तो उन्हें किसी कार्य करने की अनुमति है ना वह कर पा रहे हैं और तो और उनके द्वारा भी कोई कार्य नहीं हो पा रहे हैं जिससे गांव की हालत दिन प्रतिदिन खस्ता हो जा रही है जिससे पंचायती राज अपना दम तोड़ता जा रहा है उसे अनदेखा किया जा रहा है उसका अपमान भी किया जा रहा है ,अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में पंचायती राज का नामोनिशान खत्म हो जाएगा ।

प्रधानमंत्री द्वारा 24-04-18 को चंडीगढ़ की 12 पंचायतों में से 2 पंचायतों को गौरव सम्मान के लिए चुना गया था और चुने गए गांव को सम्मान शुरू पुरस्कार की राशि के रूप में 1000000 को 1500000 रुपए प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए परंतु आज इतना लंबा समय हो जाने के बाद भी यह पैसा गांव की पंचायत को नहीं दिया गया (रिलीज )नहीं किया गया और उसे आज तक लटकाया जा रहा है । बी डी पी ओ द्वारा पंचायती राज  का पूरा अनदेखा करना इस प्रकार के कार्य से पंचायत पूरी तरह बेबस और बेजान हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि चण्डीग़ढ़ की पंचायतों ने मिलकर ये फैसला किया है कि 15 दिनों तक बी डी पी ओ को उनके मूल राज्य में वापस ना भेजा गया तो चंडीगढ़ की सभी पंचायतें अपना इस्तीफा चंडीगढ़ एडमिशन को भेज देगी।