चण्डीगढ़
30 मई 2021
दिव्या आज़ाद
राज्य उपभोक्ता आयोग ने डीडीए को भुगतान लेकर भी शिकायतकर्ता को फ्लैट का कब्जा नही देने के कारण 60 लाख रुपया रिफंड के साथ 1.5 लाख जुर्माना भरने का निर्देश दिया है। चण्डीगढ़ निवासी भूपिंदर नागपाल की शिकायत संख्या 386 ऑफ 2018 को निस्तारित करते हुए आयोग ने 20 मई 2021 को अपने आदेश ने कहा की डीडीए द्वारा फ्लैट का भुगतान लेकर भी 4 साल तक फ्लैट का कब्जा ना देना कानूनन सेवा मे कमी है।
प्राप्त विवरणानुसार डीडीए ने 2014 ने एक हाउसिंग स्कीम निकालशि थी जिसमे शिकायतकर्ता ने ऑनलाइन माध्यम से अपना आवेदन संख्या 7508355 चण्डीगढ़ से फाइल कर फ्लैट आवंटन के लिए आवेदन किया था जिसके ड्रॉ में वो सफल रहा और उसे फ्लैट नंबर 103, 10वीं मंजिल, सेक्टर ए-9, पॉकेट 1, ब्लॉक बी, नरेला में एमआईजी फ्लैट आबंटित किया गया। आवंटन के ऑनलाइन प्रबंधन के लिए एक लॉगिन आईडी और पासवर्ड भी प्रदान किया गय। शिकायतकर्ता ने सभी आवश्यक दस्तावेज डीडीए को उपलब्ध कराए, जिसमें एग्रीमेंट टू सेल और हलफनामा भी था। दिनांक 03.04.2015 के डीडीए के एक डिमांड केे मुताबिक उन्हें 02.07.2015 तक 59,94,941 / – की राशि जमा करनी थी, जिसे 01.07.2015 को ऑनलाइन मोड के माध्यम से जमा किया गया और इसे डीडीए ने ईमेल के माध्यम से विधिवत स्वीकार भी किया । इसलिए, शिकायतकर्ता कब्जा पत्र, बिक्री समझौता और हस्तांतरण विलेख का हकदार था। लेकिन कई प्रयासों के बावजूद भी उसे उक्त्त हक प्राप्त नहीं हुआ। शिकायतकर्ता के अनुुुसार आवंटित फ्लैट रहने योग्य नहीं था क्योंकि मुख्य सड़क तक कोई पहुंच नहीं थी अनियमित जलापूर्ति, फ्लैटों में अच्छे बुनियादी ढांचे की कमीी ,बुनियादी सुविधाओं का अभाव; बाजार का अभाव, सीवरेज और सीपेज की समस्या थी।
शिकायतकर्ता ने डीडीए को नोटिस भेजकर फ्लैट का कब्जा देने की मांग की लेकिन विरोधी पक्ष कानूनी नोटिस प्राप्त होने के बावजूद भी कब्जा सौंपने में विफल रहा। शिकायतकर्ता ने 02.09.2018 को पोर्टल पर अपने पेज पर लॉग इन किया तो पाया कि विपक्षी दलों ने डिमांड नोटिस के कंटेंट की को बदल दिया है जो अब और अधिक देय राशि की मांग को दर्शाता है। आगे यह भी बताया गया कि इतनी बड़ी राशि रुपए 6094941 की प्राप्ति के बावजूद भी विरोधी पक्ष इकाई का कब्जा देने में विफल रहे, जो एक सेवा में कमी, और अनुचित व्यापार व्यवहार है।
डीडीए ने आयोग को प्रस्तुत अपने जवाब में कहा की दिल्ली विकास प्राधिकरण से संबंधित कोई भी दावा दिल्ली में ही सुनी जा सकती है, यहां चण्डीगढ़ में नहीं। फ्लैट की बुकिंग एवं भुगतान की बात को स्वीकार किया और कहा गया कि शर्तों के अनुसार शिकायतकर्ता द्वारा डीडीए को कुछ आवश्यक दस्तावेज डाक द्वारा भेजना था, जो नही भेजा गया। शिकायतकर्ता कब्जे के लिए आवश्यक दस्तावेजों के साथ डीडीए से संपर्क करने में विफल रहा। डीडीए ने कहा कि आवंटित फ्लैट रहने योग्य है और भौतिक कब्जा आवंटी को सौंप दिया गया है सभी फिटिंग और फिक्स्चर के साथ। इस तरह कहा गया कि न तो सेवा में कोई कमी थी, और ना ही कोई अनुचित व्यापार व्यवहार।
दोनो पक्षों को सुनने के बाद आयोग ने कहा कि, वर्तमान मामले में, यह एक स्वीकृत तथ्य है कि शिकायतकर्ता ने ऑनलाइन के माध्यम से इकाई का आवंटन के लिए आवेदन और भुगतान किया है। वह स्थान जहां बुकिंग की गई है या वह स्थान जहां भुगतान किया गया है उस स्थान पर शिकायत पर विचार करने के लिए के क्षेत्राधिकार होगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के पुनरीक्षण याचिका संख्या 1396 ऑफ़ 2016, स्पाइसजेट केेेस का निर्णय दिनांक 07.02.2017, जिसे भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भी बरकरार रखा गया हैै, वो वर्तमान शिकायत के लिए बिल्कुल तर्क संगत है।
आयोग के समक्ष प्रस्तुत दस्तावेज को देखने से यह भी पता चलता है कि याची द्वारा स्पीड पोस्ट से डीडीए को दस्तावेज भेजे गए जो उसे प्राप्त हो चुके हैं। उपरोक्त तथ्यों के आलोक में डीडीए के तर्क को खारिज किया जाता है, और शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए भुगतान को रिफंड करने के साथ मुआवजे के तौर पर 1.50 लाख रुपया भी दे।