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आज का किस्सा बेहद जरूरी है। यह जरूरी इसलिए है कि इससे चंडीगढ़ मीडिया के आधे से ज़्यादा पीआर और बहुत से पत्रकार काफी ज़्यादा परेशान हैं। आज का किस्सा है एक ऐसे पीआर के बारे में जिसको वर्क एथिक्स की बिलकुल भी जानकारी नहीं है। यह पीआर अपने फायदे के लिए दूसरे पीआर के काम छीनने, पत्रकारों की बेइज्जती करने से भी बाज़ नहीं आता है। इसको चुगली करने का इतना शौंक है कि यह इसकी मदद करने वालों तक को नहीं छोड़ता।
अंदाज़ा लगाना बिलकुल भी मुश्किल नहीं है कि यह किसके बारे में है क्योंकि एक ही ऐसा पीआर है जिससे सब परेशान हैं। इस पीआर के पास अपना काम होने के बावजूद इसको दूसरों के काम से जलन होती है। यदि इसको पता चल जाए कि किसी और के पास कोई काम आया है तो इसका मुँह बन जाता है। यह दूसरों के क्लाइंट हथियाने से भी बाज़ नहीं आता। आपको एक किस्सा बताते हैं। एक बार इस पीआर ने किसी और पीआर के क्लाइंट को अप्रोच किया। उसको जाकर बोला कि मैं आपका काम आधे से भी कम रेट में कर दूंगा और मुझे उस पीआर ने ही भेजा है जो आपका काम करता है। अब इसको नहीं पता था कि कुछ लोग वफ़ादारी में ज़्यादा यकीन रखते हैं तो उस क्लाइंट ने अपने पीआर को जाकर बता दिया कि कोई आपका नाम लेकर मेरे दफ़्तर पहुंच गया था। यह सिर्फ 1 किस्सा है। ऐसे कई अन्य किस्से भरे पड़े हैं। अगर लिखने पर आएं तो कई पेज भर जाएंगे लेकिन इस पीआर की हरकतें कम नहीं होंगी।
अगर यह किसी और का काम छीनने में सफल नहीं हो पाता है तो भी यह हटता नहीं है। कभी यह दूसरों के इवेंट में घुस जाता है, कभी यह दूसरों के प्रेस नोट लेकर पत्रकारों को अपनी ओर से देने शुरू कर देता है, कभी किसी की कॉन्फ्रेंस खराब करने के लिए अपोजिट पार्टी से हाथ मिला लेता है। ऐसी बहुत से हरकतें हैं जिससे यह दूसरों का काम ख़राब करने की कोशिश में ही लगा रहता है। इसको पता नहीं ऐसा क्यों लगता है कि किसी को भी कुछ मालूम नहीं चलता है।
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अब बात करते हैं पत्रकारों के इस पीआर से परेशान होने की। इस पीआर को पिक एंड चूज़ की इतनी बुरी आदत है कि यह आपको तब तक अपने इवेंट में नहीं बुलाता जब तक इसको भीड़ न दिखानी हो। पत्रकारों की इज़्ज़त करना तो शायद इसने कभी सीखा ही नहीं। इसने कई पत्रकारों को मौके पर अपने इवेंट में घुसने से मना किया है और बाद में जब भीड़ दिखानी होती है तो यह उन पत्रकारों के आगे-पीछे घूमता नज़र आता है। कई पत्रकार इसके द्वारा किए गए व्यवहार से परेशान हैं। अब बात करते हैं इसकी दूसरी बुरी आदत की जिससे बहुत लोग परेशान हैं। यह किसी को भी एक साथ देखकर खुश नहीं होता है। सबसे पहले तो इस पीआर को लगता है कि यह मीठा बोलकर लोगों को अपनी बातों में फसा लेता है और कोई भी समझ नहीं पाता कि इसके दिमाग में क्या है। इस पीआर को आदत है बात यहां से वहां करने की और वो भी बढ़ा-चढ़ा कर। इसलिए ही हमने इसको ‘चुगली मास्टर’ का नाम दिया है। यहां तक कि इसने मीडिया जगत में इसका साथ देने वाले लोगों को भी नहीं बख्शा है। दूसरों को जाकर उनके बारे में भी बहुत गलत बोला है।
यह अलग-अलग पत्रकारों को फ़ोन करके दूसरों के बारे में गलत चीज़ें बोलता है। इसको लगता है कि किसी को कभी पता नहीं चलेगा कि इसने किसके बारे में क्या बोला है। अपने काम से काम रखने की बजाए इसको हर किसी के काम और ज़िंदगी में घुसने का शौंक है और दूसरों की लड़ाईयां करवाने का भी।
तभी बोलते हैं कि ‘जिसका काम उसी को साजे और करे तो डंडा बाजे’।प्रोफेशनल लोगों को ही काम करना चाहिए। अनप्रोफेशनल लोग काम से ज़्यादा गॉसिप, दूसरों को नीचा दिखाने, दूसरों का काम बिगाड़ने आदि में ही व्यस्त रहते हैं। वैसे तो सब इस पीआर से परेशान ही हैं लेकिन बोलने की हिम्मत किसी में भी नहीं है। पता नहीं सबको किस बात का डर लगता है। पर अब वक्त आ गया है कि कोई न कोई तो बोले क्योंकि चुप रहना कोई सॉल्यूशन नहीं होता है।
आखिर किसी न किसी को तो इस पीआर को बताना ही होगा कि यह मीडिया है, आओ बहन चुगली करें सेशन नहीं और न ही कौन सबसे ज़्यादा काम छीन सकता है कम्पटीशन।
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