मानसून के आते ही गर्मी से राहत मिलती है, सूखी धरती की प्यास बुझती है और मौसम सुहाना लगने लगता है। लेकिन यही मानसून कई जगह कहर बरसाती है, अधिक वर्षा से बाढ़ का पानी गांवों के गांव नष्ट कर डालता है, पहाड़ी इलाकों से चट्टानें फिसलने लगती हैं, रास्ते बंद हो जाते हैं ओर आम जन जीवन पर गहरा असर पड़ता है। बादल फटने से या पहाड़ खिसकने से कितने लोगों की मौत हो जाती है ओर उनके घरों में मातम सा छा जाता है। जैसे जैसे वन कटते जा रहे हैं बाढ़ का प्रकोप अधिक तीव्रता से बढ़ता चला जा रहा है जो सन्देश देता है की प्रकृति से जितना अधिक छेड़छाड़ करने का प्रयास करेंगे हम अपने विनाश को उतना ही अधिक आमंत्रित करेंगे। लेकिन प्रकृति के प्रहार का ओर विपदाओं का सामना करने के लिए अगर कोई खड़ा है तो वो हैं हमारे देश के जवान।
बरसात की मार पर्यटकों पर अपना असर दिखाती है। हर वर्ष कितने पर्यटक तूफानी बारिश की चपेट में आकर अपनी जीवन लीला का अंत कर बैठते हैं। भारत में भी लोग धार्मिक स्थलों के प्रति श्रद्धा रखते हैं और हर साल लाखों श्रद्धालु अमरनाथ गुफा के दर्शन करने व मानसरोवर झील की यात्रा करने के लिए जाते हैं और अधिक बरसात/ बर्फबारी के कारण कई चट्टानों के गिरने से पहाड़ी रास्तों को कई कई दिन बंद रखा जाता है ओर हज़ारों यात्री रास्ते में ही फंसे रहते हैं। हालांकि सरकार की तरफ से यात्रियों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन इसके बावजूद भी कितने यात्री ज़ख्मी होते हैं और कईयों की मौत तक हो जाती है। परिस्थिति कैसी भी हो उससे निपटने के लिए हमारे देश के वीर जवान हैं जो हर चुनोती को स्वीकार कर देश मे लोगों की रक्षा करते हैं।
तेज बरसात हो, ज़ोरदार बर्फबारी हो, तेज़ हवाएं हों, तूफान हो, बाढ़ का कहर हो, आतंकववादिओं की गोलियां हों या फिर सीमा पार से दुश्मनों द्वारा गोलाबारी हो रही इस सब के बीच डटे हैं हमारे सीमा सुरक्षा व भारतीय सेना के वीर जवान जिनके होंसलों के आगे सभी प्रकार की बाधाएं अपना रास्ता बदलने पर मजबूर हो जाती हैं। हमारे जवान, देश के रक्षक, भारत माँ के बेटे जो अपना फर्ज निभाते हुए, अपने देश का तिरंगा ऊंचा रखने के के लिए अपनी जान की बाज़ी लगाने से परहेज़ नहीं करते और हंसते हंसते अपनी शहादत दे जाते हैं जिनपर देश के हर नागरिक को उन पर नाज़ है और राष्ट्र ऐसे वीरों का हमेशा ऋणी रहेगा।
देश की आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को बनाये रखना हो या सीमाओं की रक्षा करनी हो तो देश के जवान सीना ताने खड़े हैं। लोगों को बाढ़ की चपेट से बचाना हो तो तो देश के जवान अपनी जान की परवाह किए बगैर लोगों को बचाते है बिना किसी भेदभाव के की जिसकी वो जान बचा रहे हैं वह किस पार्टी से सम्बन्ध रखता है या किस जाती का है लेकिन जब देश के रक्षकों की प्रशंसा करने की बजाए राजनीती से प्रेरित हो कर सैनिकों पर कीचड़ उछाला जाए, उनके ऊपर पथराव किया जाए तो यह अपने आप में एक शर्म की बात नज़र आती है। देश हित के बारे में राजनेता बड़े बड़े भाषण देते हैं लेकिन खोखले भाषणों से किसी का पेट नहीं भरता, सेना के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए सेना के कार्य को सराहने की आवश्यकता है ना की एक दूसरी पार्टी के ऊपर आरोप प्रतिरोप लगा कर सेना के मनोबल को गिराने की ज़रूरत है।
देश वासी इस बात को कैसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं की भारतीय जवानों के सीमा पर मुस्तेदी से कर्तव्य निभाने के कारण ही देश वासी चैन की नींद से सो रहे हैं। यह जो हमारे राजनेता हैं तब तक ही सुख सुविधाओं को भोग सकते हैं जब तक देश में शांति है। लेकिन जिन जवानों ने शांति कायम रखने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे डाली क्या उनके घरों में भी शांति है की इस की ज़िम्मेदारी सरकार के इलावा हर देश वासी की भी है। एक सैनिक अपने देश की रक्षा करते हुए पीठ नहीं दिखाता ओर अपनी शहादत दे जाता है और जब उस शहीद की लाश तिरंगे में लिपटकर उसके घर पहुंचती है तो परिवार वाले अपने आँसुओं को समेटने की कोशिश करते हुए अपने परिवार के सदस्य की जिसने देश के लिए अपनी कुर्बानी दी होती है गर्व महसूस करते हैं। माताएं ऐसे सपूतों पर नाज़ करती हैं की उनके बेटों ने अपनी मां के दूध की कीमत चुकाई है तो राष्ट्र को ऐसी माताओं को सम्मानित नहीं करना चाहिए।
शहीद सैनिकों के परिवारों को हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध करवाना देश की सरकार का कर्तव्य बन जाता है। शहीद के घर पैंशन, रहने के लिए स्थान, नौकरी और वितीय सहायता का प्रबंध बिना किसी विलम्ब के होना चाहिए ताकी उसके परिवार के सदस्यों को हर काम के लिए चक्कर ना काटने पढ़ें। सैनिकों के परिवारों के रख रखाव व उनके फायदे के लिए नई योजनाएं लागू करने की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। देश के सभी नागरिक भी अपने देश के सैनिकों के प्रति भी अपना फर्ज अदा करने के लिए भी तत्तपर रहें। राष्ट्रीय सैनिक कोष में कोई भी नागरिक जितना योगदान देना चाहे दे लेकिन भारत के सभी बैंकों को सरकार/रिज़र्व बैंक ये निर्देश तो जारी कर ही सकते हैं की सभी बैंक अपने बैंकों के उपभोगताओं के खातों में से कम से कम 1 रुपया प्रति मास कटौती कर के राष्ट्रीय सैनिक कोष में जमा करवाएं ताकी ये राशी समयनुसार शहीद परिवारों को उपलब्ध कराई जा सके। ये 1 रुपया प्रति माह, प्रति खाता दारी के देने से शहीद सैनिकों के परिवारों के लिए एक बड़ी रकम जमा करने का कार्य कर सकती है।
” देश पर मर मिटने वाले वीर जवानों तुमको सलाम,
तुम तो फ़र्ज़ निभा गए अब देशवासियों का है काम,
धन्य किया माताओं को तुमने निभा कर अपना फर्ज,
परिवार तुम्हारे सुखी रहें यह है अब देश पर कर्ज।”
–बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़