धनत्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था और इसीलिए इस दिन को धन तेरस के रूप में पूजा जाता है।
इस बार धनतेरस 5 नवंबर को मनाया जा रहा है।
ज्योतिषबालादत्त पुजारी से जानते हैं धनतेरस के महत्व बारे में:
धनतेरस 2018 का मुहूर्त-
धनतेरस पूजा मुहूर्त- शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे
अवधि- 1 घंटा 55 मिनट
प्रदोष काल- 5.29 PM से 8.07 PM
वृषभ काल- 6:05 PM से 8:01 PM
त्रयोदशी तिथि आरंभ- 5 नवंबर, 01:24 AM
त्रयोदशी तिथि खत्म- 5 नवंबर, 11.46 PM
पूजन का महत्व?
लक्ष्य ज्योतिष संस्थान के सदस्य ज्योतिष बालादत्त पुजारी ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे, इसलिए इस दिन को धन त्रयोदशी कहा जाता है. धन और वैभव देने वाली इस त्रयोदशी का विशेष महत्व माना गया है.
कहा जाता है कि समुद्र मंथन के समय बहुत ही दुर्लभ और कीमती वस्तुओं के अलावा शरद पूर्णिमा का चंद्रमा, कार्तिक द्वादशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी को धनवंतरी और कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को भगवती लक्ष्मी जी का समुद्र से अवतरण हुआ था. यही कारण है कि दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजन और उसके दो दिन पहले त्रयोदशी को भगवान धनवंतरी का जन्म दिवस धनतेरस के रूप में मनाया जाता है.
भगवान धनवंतरी को प्रिय है पीतल
भगवान धनवंतरी को नारायण भगवान विष्णु का ही एक रूप माना जाता है. इनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें से दो भुजाओं में वे शंख और चक्र धारण किए हुए हैं. दूसरी दो भुजाओं में औषधि के साथ वे अमृत कलश लिए हुए हैं. ऐसा माना जाता है कि यह अमृत कलश पीतल का बना हुआ है क्योंकि पीतल भगवान धनवंतरी की प्रिय धातु है.
क्या है मान्यता
धनतेरस मान्यता है कि इस दिन खरीदी गई कोई भी वस्तु शुभ फल प्रदान करती है और लंबे समय तक चलती है. लेकिन अगर भगवान की प्रिय वस्तु पीतल की खरीदारी की जाए तो इसका तेरह गुना अधिक लाभ मिलता है।
धनतेरस के दिन चांदी खरीदना ,कुछ नया सामान खरीदना शुभ रहता है ।लेकिन बर्तन खरीदें तो खाली न लायें घर में कुछ मिष्ठान्न अवश्य लायें बर्तन में भरकर बरकत आती है ।
ज्योतिष बालादत्त पुजारी व लक्ष्य ज्योतिष संस्थान की ओर से सभी पाठकों को धनतेरस की शुभकामनाएं!