प्रायः ये देखा जाता है कि लोग खाने का ब्याह शादियों और पार्टियों में खुलेआम दुरुपयोग करते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि जो भी लोगों को खाने पर आमंत्रित करता है वह ये ज़रूर सोचता है कि हर एक आनेवाले को अच्छी तरह से खाना परोसा जाए और किसी भी वस्तु की कमी न आये, इसलिए खाना ज़रूरत से अधिक तैयार करवाया जाता है ।
खाना खाने से पहले मेहमानों के लिए चाय, काफी, शराब या ठंडे के इलावा कई तरह के स्नैक्स आदि भो परोसे जाते हैं ताकी खाना बनने और मिलने तक मेहमान संगीत की धुनों के साथ साथ इन सब का भी लुत्फ़ उठा सकें।
खाना आमतौर पर देर से ही परोसा जाता है और तभ तक मेहमान काफी स्नैकस आदि खा चुके होते हैं, उनका पेट लगभग भर चुका होता है और खाना खाने की गुंजाइश बहुत कम रह जाती है। फिर जब खाना परोसा जाता है तो मेहमान लोग बहुत कम खाना ही खा पाते हैं जिससे काफी अधिक मात्रा में खाना बच जाता है ओर बेकार हो जाता है। ऐसे में आवश्यक बन जाता है कि छोटी छोटी बातों को भी नज़रंदाज़ न किया जाए और समय का सही इस्तेमाल करके खाना बेकार होने से बचाया जा सके।
होटलों / रेस्टोरेंटस में भी प्रायः लोग खाना खाने जाते हैं तो खाने के वास्ते कई तरह के खानों को मंगवा लेते हैं जो कि इनसे खाया भी नहीं जाता और आधा खाना बर्तनों में ही छोड़ देते हैं और फिर पूरे  बिल का भुगतान करके वहां से निकल पढ़ते हैं।
भारत के अंदर कितनी गरीबी अभी भी है कि हज़ारो लोगों को दो वक्त का भर पेट खाना नसीब नहीं होता और कितने लोग रोज़ भूखे ही सो जाते हैं।एक तरफ तो लोगों को पेट की आग बुझाने के वास्ते दिन रात संघर्ष करना पड़ता है और दूसरी ओर हमलोग झूठी शान दिखाने के वास्ते हज़ारो/लाखों का अन्न बेकार कर देते हैं बिना कुछ सोचे कि ये खाना जिसे हम बेकार फैंक रहें है कितने  ऐसे लोगों का पेट भर सकता था जी जिनको रोज़ भरपेट कहना भी नसीब नहीं होता ओर भूखों सोना पड़ता है। शादियों  में बचा खाना फैंकने कि बजाय किसी मंदिर, गुरद्वारा ,मस्जिद या विकलांग संस्थाएं या लंगर चलाने वाली संस्थाओ को बिना विलम्ब किये भेज देना चाहिए ताकि यह खाना किसी ज़रूरतमंद के पेट में तो जा सके।
ठीक उसी प्रकार रेस्टोरेंटस में अपना खाना झूठा छोड़ कर आने की बजाय आपको चाहिए कि उतना ही खाना मंगवाएं जितने की ज़रूरत है। अगर आप अधिक मंगवाएं तो बचा हुआ खाना घर जाते समय अपने साथ  पैक करवा के ले जाएं। ऐसा करने से वेटर को आपकी झूठन भी नहीं उठानी पड़ेगी और आप बचा हुआ खाना अपने घर मे जाकर एक बार फिर ईस्तेमाल कर सकते हैं जिससे आप अपनी मेहनत से की गई कमाई को व्यर्थ होने से बचा सकते हैं।
बात छोटी ज़रूर है लेकिन है पते की कि जब हमारे द्वारा खाने का दुरुपयोग होता है तो इससे केवल खाने की बर्बादी ही नहीं होती बल्लिक हमारे द्वारा फैंका हुआ बेकार खाना कितना नुकसान पहुंचाता है ? यह खाना गन्दगी फैलाता है, दुर्गंध से वातावरण को दूषित करता है, इस खाने पर मक्खियां व मच्छरों का बसेरा हो जाता है और समाज के अंदर कितनी बीमारियां फैल सकती हैं इसका अंदाज़ा लगाना भी कठिन है।
जब खाना बेकार करने से कितनी हानियां हो सकती हैं तो हम सब को ये कसम लेनी चाहिए कि हम कभी भी खाने का निरादर नहीं करेंगे और लोगों को भी समझाएंगे की वह खाने का उचित उपयोग करें और इसे व्यर्थ न करें।
बृज किशोर भाटिया

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