चंडीगढ़
16 फरवरी 2017
दिव्या आज़ाद
चंडीगढ़। थोड़ा सी सर्दी या जुखाम क्या हुआ चल दिए डॉक्टर के पास दवा लेने। डॉक्टर ने तीन दिन की दवा लिख कर दी और अपनी मर्जी से दो दिन की दवा लेकर घर आ गए और फिर शिकायत यह कि दवा तो असर ही नहीं करती है। वर्तमान की स्थिति देखें तो बहुत से लोग यही करते हैं। लोगों ने अपनी मर्जी से दवाऐं लेना शुरू कर दिया है जिससे हालात खराब होते नज़र आ रहे हैं। बिना सोचे समझे हम हर छोटी बिमारी के लिए ऐंटीबॉयोटिक्स लेने के लिए पहुंच जाते हैं। ज्Þयादातर लोग यह जानते ही नहीं कि ऐंटीबॉयोटिक्स होती क्या हैं। जुखाम, सर्दी, बल्ड प्रेशर आदि बीमारियों के लिए ऐंटीबॉयोटिक्स नहीं होती हैं फिर भी लोग डॉक्टरों पर दवाब डालकर कोई ना कोई ऐंटिबॉयोटिक्स प्रेसक्राइब करवा ही लेते हैं। जितने समय के लिए उन्हें दवा लिख कर दी जाती है वे आधे कोर्स की दवा खाकर छोड़ देते हैं। इससे उस बिमारी के बैक्टिरिया में दवा के प्रति रैज्Þिास्टैंस आ जाती है और दोबारा वह बिमारी होना के आसार बढ़ जाते हैं। दूसरी बार वह दवा असर नहीं करती और जान का खतरा हो सकता है। ज्Þयादातर लोग तो बिना डॉक्टर की सलाह के ही दवाऐं लेना शुरू कर देते हैं। किसी को यह खबर ही नहीं की उनकी यह आदत भयंकर रूप ले सकती है और उन्हें हस्पताल पहुंचा सकती है। यही नहीं बैक्टिरिया रैज़िस्टैंस दूसरे लोगों में भी फैलने के आसार होते हैं। एक बार बैक्टिरिया में दवा के प्रति रैज़िस्टैंस आ जाने के बाद दवा असर करना बंद कर देती है। लोगों द्वारा ऐंटीबॉयोटिक का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
ऐंटीबॉयोटिक में क्या है अंतर:
ऐंटीबॉयोटिक खास तौर से बैक्टिरिया और इंफैक्शन मारने के लिए दी जाती हैं। आम बिमारी के लिए इनका इस्तेमाल नहीं होता। पेनकिल्र, बल्ड प्रेशर और सर्दी-जुखाम जैसे वायरल के लिए इनका प्रयोग करना गलत है। यूं तो वायरल बीमारियों के लिए दवाओं से बेहतर है देसी नुस्खे अपनाना। कोल्ड के लिए तो कोई दवा बनी ही नहीं है।
गलत दवा से शरीर कमज़ोर:
मनमर्जी करना आपके शरीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। अपनी मर्जी से कोई भी दवा उठा कर खा लेना या फिर कोर्स बीच में ही छोड़ देना खतरनाक रूप ले लेता है। इससे धीरे-धीरे आपका शरीर कमज़ोर हो जाता है और आपको हस्पताल में एडमिट होना पड़ सकता है।
भारत में चल रहे जागरूकता अभियान:
अब तक लोग ऐंटीबॉयोटिक के सही प्रयोग के बारे में अच्छे से कुछ नहीं जानते थे। ईएआरएस ने जिम्मा उठाया लोगों में जागरूकता फैलाने का। अपने प्रोग्राम ‘अवेक ’ के जरिए वे पूरे देश में ऐंटीबॉयोटिक्स के गलत प्र्रयोग को छोड़ सही तरीके से दवाऐं खाने के लिए लोगों को जागरूक करते रहते हैं। नवंबर 2013 से इस कार्य की शुरूआत की गयी थी और अब तक कई लोगों को इसका फायदा मिला है। ईएआरएस की प्रसिडेंट मनू चौधरी ने बताया कि यूएस और यूके में पहले से ही इस विषय को लेकर प्रोग्राम किए जाते हैं पर भारत में अब तक इस क्षेत्र में किसी ने काम नहीं किया था । हम लोगों को जागरूक करने के लिए शहर में पीजीआई और बाकी सिटीज में बने बड़े हस्पतालों के साथ मिलकर काम करते रहते हैं।