आज हम आपको ऐसे स्वयंभू पत्रकारों के बारे में बताने जा रहे हैं जो ऐसा गजब का डाइजेस्टिव सिस्टम रखते हैं कि कोई भी देखकर हैरान हो जाये। स्वयंभू पत्रकार खाने के इतने शौकीन हैं कि इनके खुद के मुँह से यह सुनने में आया है कि इनको घर का खाना पचता ही नहीं है, यह बस बाहर का ही खाना पचा सकते हैं। ये खाने के लिए कहीं भी पहुँच सकते हैं। यदि एक दिन में एक ही समय पर अलग-अलग कार्यक्रम हो रहे हों तो ये हर कार्यक्रम में जाते हैं और हर जगह खाना या स्नैक्स खाकर ही निकलते हैं। फाइव स्टार होटलों में जाकर खाना खाने का इतना चस्का है कि संडे हो या बारिश हो… ये आपको हर जगह मिलेंगे जरूर। इतना ही नहीं इनमें से कुछ तो खाना खाते हुए बेशर्म भी हो जाते हैं। 3-4 बार खाना लेना, खाने की बर्बादी करना इनके लिए आम बात है। कुछ लोग तो झूठी प्लेट सीनियर पत्रकारों के सामने रखने की भी गलती कर चुके हैं जिसका खामियाजा उनको भुगतना पड़ा था। हाल ही में सीनियर पत्रकार के साथ एक स्वयंभू पत्रकार की झड़प हो गई थी झूठी प्लेट सामने रखने को लेकर। अब जैसे जैसे इनकी पोल खुलती जा रही है इन्होंने अपने तरीके बदलने शुरू कर दिए हैं। कुछ ने डर के कारण तब तक खाने के स्टॉल पर जाने से किनारा कर लिया है जब तक कॉन्फ्रेंस खत्म न हो, चाहे सभी पत्रकार खाने चले जाएं।

पर इनको यह मालूम नहीं है कि अलसी पत्रकार होने और स्वयंभू पत्रकार होने में जमीन- आसमान का अंतर है। असली पत्रकार कभी खाने या गिफ्ट के पीछे नहीं भागता बल्कि सच्ची ख़बर दुनिया के सामने लाना उसका मकसद होता है।

अब क्या कहें! गजब का डाइजेस्टिव सिस्टम मिला है तो खाने के लिए फ़र्ज़ी चीज़ें करने से भी नहीं कतराते स्वयंभू पत्रकार!!!

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