चंडीगढ़
27 अगस्त 2019
दिव्या आज़ाद
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन सुअवसर पर गोपाल गोलोक धाम गौशाला कैम्बवाला में गौ- गंगा कृपाकांक्षी पूज्य श्री गोपाल मणि जी के पावन सानिध्य में धेनु मानस गौ कथा निरंतर 24 से 28 अगस्त तक हो रही है। गौ कथा में 29 राज्यों के प्रतिनिधि अपने हजारों गौ भक्तों के साथ भाग ले रहे हैं।
तीसरे दिन की कथा में गुरु जी के मुखारविंद से गौ माता की महिमा तथा हमारी संस्कृति में गौ माता को सर्वोच्च स्थान एवं हमारी परंपरा के महत्व के विषय में निरंतर ज्ञान बरसता रहा। गोपाल मणि जी महाराज ने बताया की हमारी संस्कृति इतनी महान है, हमारी परंपरा इतनी महान है कि हम प्रतिष्ठा दे देकर एक पत्थर को भी , एक प्रतिमा को भी भगवान बना देते हैं। तब गौमाता तो चलता फिरता देवालय है, विश्व की मां है। हमारे वेद, पुराणों एवं ग्रंथों ने, हमारे पूर्वजों ने, हमारे बड़ों ने, गाय को माता के रूप में स्वीकार किया है। पुराने जमाने में हमारी दादी, नानी, घर की माताएं सबसे पहले सुबह उठकर गाय की पीठ पर हाथ फेरा करती थी। इस हाथ फेरने का मतलब कि हमने सुबह-सुबह सूर्यनारायण प्रभु से हाथ मिला लिया। गाय के शरीर में 33 करोड़ रोम होते हैं। गाय के शरीर के 33 करोड़ रोम वह 33 करोड़ देवी-देवता है। हमें गौ माता को सम्मान देना चाहिए। यदि हम गौ माता को सम्मान देते हैं तो हमारा जीवन सुधर जाएगा। आज रिश्तों में अनेकों विकृतियां आ गई हैं । बच्चे मां-बाप की बात नहीं मानते। वह इसी कारण हो रहा है क्योंकि हम अपनी संस्कृति, अपनी परंपरा, अपने पूर्वजों की बातें, अपने वेदों और ग्रंथों में कहीं बातों को नजरअंदाज कर रहे हैं। हमें उन सब मूल्यों को जीवन में वापस उतारना होगा । गौमाता को सम्मान देकर हम अपना जीवन सुधार सकते हैं। हमारे हाथ जगन्नाथ प्रभु के हाथ हैं । इन्हें हम रोज गौ माता की सेवा में जीवन के सारे कष्टों को दूर करें । उक्त जानकारी देते हुए धर्माचार्य गिरवर शर्मा ने दी ।