“गिरगिट”

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जब किसी के घर में शोक सन्देश आते हैं,
मां बाप के कलेजे बस फटकर रह जाते हैं।
         लापता बेटों को मृतक कैसे कोई मान ले,
         बिना सबूत के उनको मरा कैसे जान ले।
जिनके घर में  मरता है  कोई उनको शोक होता है,
नेताओं का शोक जताने का अंदाज़ अलग होता है।
         किसीके बेटे, पति और भाई की हत्या की जाती है,
         सरकार पे दोष लगाएं कातिलों को कोस ना पाते हैं।
 कश्मीर में रोज़ सुरक्षा बल और सेनिक मारे जाते हैं,
 ISIS के झंडे फहराने वाले संरक्षण इनका पाते हैं।
         अलगाववादी नेता देखो जनता को  भड़कते है ,
         हमदर्द आतँकवादियों के, शहीद  उन्हें बताते हैं।
 ISIS के समर्थकों के ये  विचार सुनने जाते हैं,
विदेशों में जा सरकार पलटने की गुहार लगाते हैं।
        देश की आम जनता मरे यां सैनिक मारे जाएं,।
        वोटें मिल जाएं चाहे आतंकी शरण देश में पाएं।
गिरगिट जैसे नेता जब देश के प्रतिनिधि बनते जाएंगे,
दुश्मन की क्या बात करें ये खुद देश बांट कर खाएंगे।
बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़

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