चंडीगढ़
22 जून 2017
दिव्या आज़ाद
जीवन में भक्ति, तपस्या व त्याग से ही प्राप्त होती है और वह भक्ति महापुरूषों के सत्संग से बलवती हो जाती है और उसके बाद मनुष्यों के जीवन में परिवर्तन आने लगता है और वह अच्छे व नेक कर्म करता है। मनुष्य को चाहिए कि वे अच्छे कर्म करें और फल की इच्छा न रखें। जब हमारे कर्म अच्छे होगें तो निश्चत ही उसका फल भी अच्छा होगा। यह प्रचवन कथा व्यास श्री अतुल कृष्ण शास्त्री जी ने श्रद्धालुओं को ब्रह्मलीन सतगुरू देव श्री श्री 108 मुनि श्री गौरवानंद गिरि जी महाराज की 30वीं पुन्य बरसी समारोह के उपलक्ष्य में श्री महावीर मुनि मंदिर सेक्टर 23 में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दौरान दिये।
कथा व्यास श्री अतुल कृष्ण शास्त्री ने इस अवसर पर श्रद्धालुओं को बताया कि संतो का संग और हरि कथा  बहुत भाग्यशाली मनुष्यों को ही मिलती है और इसी से भाग्यवान मनुष्य कहा जाता है। उन्होंने बताया कि द्वापर से पूर्व दिपावली से दूसरे दिन देवराज इंद्र की पूजा होती थी, परन्तु भगवान श्री कृष्ण जी ने इस दिन से गोर्वधन की पूजा शुरू करवाई और समाज में यह संदेश दिया कि वनस्पति का मनुष्य के जीवन में होना अनिवार्य है इसलिये उन्होंने गोर्वधन की पूजा का संस्कार मनुष्य में डाला। जिससे देवराज इंद्र कुपित होकर गोर्वधन पर लगातार सात दिन तक घमासान वर्षा की और भगवान कृष्ण ने ग्वाल बाल और गौऊ की रक्षा के लिए अपनी छोटी उंगली पर गोर्वधन पर्वत को उठाकर रखा। इससे इंद्र देव का मान मर्दन हुआ।
हजारों साधु, संत और महात्मा 23 जून का पहुंचेगे मुनि मंदिर:
श्री महावीर मुनि सभा के  प्रधान दलीप चंद गुप्ता तथा महा सचिव एन एस चौहान तथा पं.दीप शर्मा ने बताया कि 23 जून को प्रात: 6 बजे सैक्टर 23 सी व डी में प्रभात फेरी का आयोजन किया जायेगा तद्पश्चात् प्रात: 7:30 बजे हवन किया जायेगा जिसके पश्चात् दोपहर 12 बजे क था का भोग व लगभग हजारों आमंत्रित साधु, संत महात्माओं का पूजन श्री श्री 108 स्वामी श्री पंचानन गिरी जी महाराज के सानिध्य में किया जायेगा और उन्हेंं वस्त्र, फल तथा दक्षिणा दी जायेगी और विशाल भंडारें का प्रसाद दिया जायेगा इसके बाद आम जनता के लिये भंडारा वितरण किया जायेगा।

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