चंडीगढ़
9 अप्रैल 2017
दिव्या आज़ाद
भारत ऐसा देश है जो सबको स्वीकार करता है। इसी ने विश्व को सहिष्णुता और ‘जियो और जीने दो’ का संदेश दिया है, जोकि जैन धर्म के ‘अनेकांतवाद’ के सिद्धांत में निहित है। ये उद्गार हरियाणा के राज्यपाल प्रो0 कप्तान सिंह सोलंकी ने आज स्थानीय लाॅ भवन में भगवान महावीर के 2616वीं जयंती समारोह में अपने सम्बोधन में व्यक्त किए। जयंती समारोह का आयोजन अणुव्रत समिति द्वारा किया गया था।
राज्यपाल ने आगे कहा कि भारत के पास भौतिकता और समृद्धि दोनों हैं लेकिन इससे भी बढकर हमारे पास दर्शन है जिसे सदियों से भगवान महावीर जैसे महापुरूषों ने पोषित किया है। आज विश्व में जो अशांति, हिंसा तथा आतंक फैला हुआ है, उसमें भगवान महावीर द्वारा प्रतिपादित सहिष्णुता व अहिंसा की शिक्षा ही रास्ता दिखा सकती है। उन्होंने कहा कि भगवान महावीर हम सबके हृदय में बसे हैं लेकिन हम हृदय की गूंज न सुनकर मन की बात मानते हैं। इसलिए महावीर जयंती पर हमें उनकी शिक्षाओं को मन व कर्म में भी उतारने का संकल्प लेना चाहिए। उनकी शिक्षाएं 2615 सालों के बाद भी सही हैं। उन्होंने सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, अचैर्य और ब्रह्मवर्य के जो सिद्धांत दिए हैं वे आज भी प्रासंगिक हैं। हमें इन्हें जीवन में अपनाना है। तभी उनकी जयंती मनाना सार्थक है।

इससे पहले मुनिश्री विनय कुमार आलोक ने कहा कि भगवान महावीर ने सिद्ध किया कि जो स्वयं को जीतता है वही विजेता होता है। उन्होंने कहा कि जन्म से कोई महान नहीं होता, कर्म से महान बनता है। उन्होंने उपस्थितजनों को महावीर जयंती पर पानी का अपव्यय न करने और दूसरों की निंदा न करने का संकल्प कराया।
समारोह में पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल, चण्डीगढ भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन, पंजाब के मुख्य निर्वाचक अधिकारी वी0 के0 सिंह, हरियाणा के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक एस0के0 जैन, आयकर विभाग के मुख्य आयुक्त के0सी0 जैन देशबंधु विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 जोरा सिंह ने भी विचार रखे। अणुव्रत समिति, चण्डीगढ के अध्यक्ष मनोज जैन ने सबका धन्यवाद किया।