जब जब बरसात आती है
अपनों की याद आती है
जो छोड़ गए हैं यह दुनिया
याद उनकी हमें रुलाती है
वो बारिश में भीग के घर आना
मां का तौलिया/कपड़े पकड़ाना
सीरा पिला के बिस्तर में लिटाना
फिर डांट खाने की याद आती है
जैसे शुरू होता बारिश का आना
पापा का अस्थमा बढ़ता जाना
आधी रात को सांस उखड़ जाना
दवा दे के सुलाने की याद आती है
जब जब बरसात आती है
अपनों की याद आती है
जो छोड़ गए हैं यह दुनियां
याद उनकी हमें रुलाती है।
–बृज किशोर भाटिया,चंडीगढ़