आज का किस्सा है डिजिटल मीडिया यानि न्यूज़ पोर्टल्स व ऑनलाइन चैनल्स को आज के समय में भी न दी जाने वाली इज़्ज़त पर। जैसा कि सबको पता है कि कोरोना के बाद से सभी अखबारों व टीवी चैंनलों ने खबरें लगाने की पॉलिसी बदल दी है। बहुत सी बीटों की ख़बरें लगनी आजकल नामुमकिन बराबर हो चुकी हैं। ऐसे में पीआर एजेंसी या पीआर में काम करने वाले लोगों का बिज़नेस चलने लगा है ऑनलाइन मीडिया के भरोसे।

पर हैरानी की बात यह है कि आज के समय में भी अच्छा और सही तरीके से काम करने वाले ऑनलाइन पोर्टल्स को वो इज़्ज़त नहीं दी जा रही है जिसके वे हकदार हैं। आज भी पीआर से लेकर आम लोग भेदभाव करते हैं कि यह तो केवल एक ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल है। लेकिन यह वही लोग हैं जो ऑनलाइन पोर्टल वालों के पीछे भागते हैं जब अखबारों में इनकी ख़बरें नहीं लगती।

बात आती है जब इवेंट्स में गिफ़्ट देने की या इन्विटेशन की तो ऑनलाइन पोर्टल्स को सबसे आख़री में रखा जाता है। पहले प्रिंट या टीवी मीडिया को पूछा जाता है और आख़री में जाकर जब कुछ बचता है तो ऑनलाइन वालों की बारी आती है। ऑनलाइन पोर्टल्स से उम्मीद की जाती है कि उनको जितनी बड़ी ख़बर भेजी जाए वे पूरी ख़बर वैसे की वैसे ही प्रकाशित करें। वहीं कोई ऑनलाइन पोर्टल कभी ऐड माँग ले तो बहानों की पूरी लिस्ट तैयार होती है या इग्नोरेंस का कंपीटिशन शुरू हो जाता है।

पीआर वाले और आम लोग यह भूल जाते हैं कि ऑनलाइन पोर्टल्स चलाने वाले भी काम कर रहे हैं। शायद किसी अख़बार या चैनल से ज़्यादा ही क्योंकि बहुत से पोर्टल्स के पास अभी भी टीमें नहीं हैं। बहुत से पोर्टल 1 या 2 लोग मिलकर संभाल रहे हैं। मतलब कम से कम 5-7 लोगों का काम 1 अकेला इंसान कर रहा है। उसके बाद उनसे उम्मीद रखी जाती है कि जैसे ही ख़बर भेजी गई है उसी वक़्त सब और चीज़ें छोड़कर सबसे पहले ख़बर प्रकाशित की जाए।

जो पोर्टल्स सही से अपना काम कर रहे हैं उनके कोई खास फर्क भी नहीं पड़ता कि उनको इवेंट में बुलाया गया है या नहीं, गिफ़्ट मिला या नहीं या दूसरी मीडिया से अलग गिफ़्ट दिया गया। बात यहाँ है बराबरी की। पिछले कई सालों से काम कर रहे पोर्टल्स को वो इज़्ज़त मिलनी चाहिए जो बाकी मीडिया को मिल रही है। क्योंकि कोई ये माने या न माने लेकिन पोर्टल्स हर कोई ख़बर प्रकाशित करते हैं बिना किसी कांट-छांट के। उसके बाद भी अगर इज़्ज़त में उनके साथ कांट-छांट होगी तो एक न एक दिन वे भी पीआर व ऐसे लोगों की ख़बरे बंद कर देंगे।

इज़्ज़त हर किसी का हक है खासकर जब कोई सही से अपना काम कर रहा हो। आज के डिजिटल टाइम में भी ऑनलाइन मीडिया को कम आंकने वालों को एक बार यह याद कर लेना चाहिए कि वे किसके दम पर सर्वाइव कर रहे हैं।

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