कभी अनचाही राह
तो कभी मनचाही मंजिल
कभी थका देने वाला सफर
तो कभी सुहानी सी डगर
कभी नीम से रिश्ते
तो कभी मीठे से दोस्त
कभी चार सू अंधेरा
तो कभी मन की भोर
कभी भीङ का शोर
तो कभी एकांत की अमृत बेला
कभी इस पार के रेले
तो कभी किसी धुन में उसपार का आभास
कभी ज़िन्दगी को साकार करने की कोशिश
तो कभी निराकार में शरण की आस
–निधी