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हर तरफ देखो कैसा दौर चल रहा है,
कुर्सी की ख़ातिर हर नेता लड़ रहा है।
कोई देखो भूख से तड़प रहा है ,
कोई खाने को बर्बाद कर रहा है।
नौकरी की ख़ातिर कोई भटक रहा है,
आरक्षण से कोई नौकरी घटक रहा है।
काम रुक गए, पर लोन न मिल रहा है,
लोन ले के कोई देश से निकल रहा है।
बाबाओं के भेष में शैतान पल रहे हैं,
अपने भक्तों को ही बाबे छल रहे हैं।
प्रवचन सुनने श्रद्धालु ढेरों में हैं जाते,
बाबाओं द्वारा कईओं के रेप हो जाते।
यह ऋषियों के देश मे क्या हो रहा है,
भटकाएं नेता कपटी बाबे पल रहे हैं।
हर तरफ देखो कैसा दौर चल रहा है
कुर्सी की खातिर हर नेता लड़ रहा है।
-बृज किशोर भाटिया, चंडीगढ़
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